चुनावी दौर में जहरीली शराब का धंधा…
अपराध: चुनावी दौर में जहरीली शराब का धंधा…,
अवैध शराब बनाने वालों और उनके सहयोगियों पर नकेल कसना समय की मांग
लोकसभा चुनावों के मद्देनजर इस समय पूरे देश में आदर्श आचार संहिता लागू है। लेकिन पिछले 20 मार्च को पंजाब के संगरूर जिले में जहरीली शराब से पांच की मृत्यु हो गई और कुछ लोग भर्ती किए गए। मरने वालों की संख्या बढ़कर 21 तक पहुंच गई। इस घटना का तत्काल ही चुनाव आयोग ने संज्ञान लिया और पंजाब सरकार के मुख्य सचिव व डीजीपी को रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा। इस बार लोकसभा चुनावों में आचार संहिता लागू होने के बाद जहरीली शराब पीने से मौत की यह पहली घटना है।
लोकसभा, विधानसभा या पंचायतों के चुनावों में भी मतदाताओं को लुभाने के लिए राजनीतिक दल और उम्मीदवार कच्ची-पक्की, सस्ती-महंगी शराब बांटते रहते हैं। इसलिए चुनाव आयोग नकदी के साथ शराब या नशीले पदार्थों पर भी निगरानी रखता है। अभी देश भर में शराब पकड़ी जा रही है। राज्यों में इसके लिए विशेष छापामार दस्ते तैनात किए गए हैं। उत्तराखंड में तो ड्रोनों की मदद से शराब बनाने वालों पर नजर रखी जा रही है।
संगरूर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान का गृह जिला भी है। वह जब प्रभावित परिवारों से मिलने गए, तो गांव वालों ने बताया कि क्षेत्र में अवैध शराब का धंधा खुलेआम चल रहा है। इस कांड की जांच के लिए विशेष उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन हो चुका है। दोषियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
संगरूर कांड में नकली शराब में मिथेनॉल पाया गया। शराब बनाने के लिए ये रसायन मिथाइल अल्कोहल नोएडा से तथा बोतलें व ढक्कन बनाने का सामान लुधियाना से खरीदा गया था। बताया जा रहा है कि शराब बनाने की जानकारी यूट्यूब से जुटाई गई थी और कुछ जरूरी सामान ऑनलाइन भी खरीदा गया था। पंजाब पुलिस और आबकारी विभाग को छापों में जगह-जगह हजारों लीटर शराब, सैकड़ों खाली व भरी अवैध शराब की बोतलें, पेटियां एवं भट्ठियां मिल रही हैं। किंतु मौके पर शराब बनाते अपराधी कम ही पकड़े जा रहे हैं।
हालांकि सांविधानिक प्रतिबद्धता देश में मद्यपान को कम करने की है, किंतु राज्य ज्यादा से ज्यादा शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाने में लगे हैं। उनका तर्क होता है कि इससे अवैध व नकली शराब के जोखिम कम होंगे। अनुमानतः औसतन राज्यों को करीब ढाई लाख करोड़ का राजस्व शराब की बिक्री से मिलता है। इसलिए कोरोना महामारी के दौरान बंद शराब की दुकानों को खुलवाने के लिए राज्य बेताब थे। शराब बनाने, वितरण, प्रबंधन आदि राज्यों का
विषय है। 19 जुलाई, 2022 को गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने एक लिखित जवाब में संसद को बताया कि वर्ष 2016 से 2020 के बीच जहरीली शराब पीने से देश में 6,000 मौतें हुईं थीं।
देखने में आता है कि विभिन्न जहरीली शराब कांडों में जो अपराधी पकड़े जाते हैं, वे पहले भी ऐसे ही कारोबारों में कई बार सजा व जमानत पाए हुए होते हैं। बाहर निकलते ही वे फिर से पुराने धंधे में लग जाते हैं। संगरूर घटना के ज्यादातर आरोपी पहले ही हिस्ट्रीशीटर थे। संगरूर हादसा होली से ठीक पहले हुआ था, जब शराब की मांग बढ़ जाती है। शराब की मांग बढ़ जाने पर शराब तस्करों के साथ-साथ अन्य अपराधी भी नकली शराब के धंधे में सक्रिय हो जाते हैं।
जब भी ऐसी कोई घटना होती है, तो दोषियों को मौत की सजा देने की भी मांग उठने लगती है, फिर धीरे-धीरे सब कुछ ठंडा पड़ जाता है। ऐसी घटनाओं पर खूब जमकर राजनीति होती है और भारी मुआवजे की मांग होती है। कई बार ऐसी घटनाओं में पुलिस-प्रशासन की मिलीभगत की भी बात सामने आई है। जब तक अवैध शराब बनाने वालों और उन्हें सहयोग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होगी, ऐसे दर्दनाक हादसे होते रहेंगे।