सुकून और शिक्षा की आवाज बन रहा है तिनका तिनका जेल रेडियो

सुकून और शिक्षा की आवाज बन रहा है तिनका तिनका जेल रेडियो

56 साल के अशोक कुमार पत्रकारिता में ग्रेजुएशन कर चुके हैं. वे इस दिशा में अपना करियर बनाना चाहते थे. मगर 2019 में उनकी ज़िंदगी की दिशा बदल गई. उन्हें जेल में आना पड़ा. फिर आने वाले कई दिन उदासी से भरे रहे. एकाएक उनकी जिंदगी में एक और बड़ा बदलाव आया. 2020 में जब तिनका तिनका फाउंडेशन ने हरियाणा की जेलों में रेडियो लाने की मुहिम शुरू की. जनवरी 2021 में जिला जेल, पानीपत में हरियाणा के पहले जेल रेडियो का उद्घाटन हरियाणा के जेल मंत्री ने किया. आज हरियाणा की 20 में से 12 जेलों में रेडियो अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुका है. हरियाणा की करनाल जेल इनमें से एक है. 2021 से आज तक यह रेडियो हर रोज प्रसारण कर रहा है.

Tinka Tinka Jail Radio। Ep 23 ।Broadcasting Day। Theme Song। Karnal Jail ।Tinka Tinka Foundation (youtube.com) इसी जेल में बंदी हैं- अशोक कुमार. जेल में रेडियो आया तो वे इसका हिस्सा बन गए. रेडियो जॉकी के तौर पर बोलना और रेडियो पर गाने सुनाना उनका पसंदीदा शौक़ हो गया. 

अशोक कुमार ने हाल में जेल में मुलाक़ात के दौरान मुझे बताया, “जेल में आने के बाद मुझे यह समझ नहीं आता था आगे क्या होगा लेकिन रेडियो मेरी जिंदगी का एक बड़ा सहारा बना. तिनका जेल रेडियो ने यह एहसास दिलाया कि जो पत्रकारिता जेल से बाहर मुझसे छूट गई थी, उससे एक नाता अब बन सकता है. रेडियो ने मेरी जिंदगी को मकसद दिया, मुझे एक नई पहचान और जेल में विसेष सम्मान. यह नाता अब न टूटे.” 

अब अशोक जेल रेडियो पर रागिनी गाते हैं. पूरी जेल उनके गाए गानों की मुरीद हो गई गई. लेकिन गानों के अलावा जेल के रेडियो ने एक और बड़े मक़सद को पूरा किया है और वो है जेल में शिक्षा.

Tinka Jail Radio। Ep 86। Tinka Prison Research Cell। Ashok from District Jail, Karnal (youtube.com)

करनाल जेल में इस समय क़रीब 2000 बंदी हैं. इनमें क़रीब 60 महिलाएं हैं. जेल में इग्नू की क्लास चलती हैं. कई बंदी निरक्षर से साक्षर होने की कोशिश कर रहे हैं. और कई साक्षर बंदी उच्च शिक्षा के लिए फॉर्म भर चुके हैं. इग्नू की क्लास में बहुत-से बंदी पहले समय पर नहीं आते थे. लेकिन अब अशोक कुमार और उनके साथ दो और बंदी- वीरेंद्र और सोनिया, जब जेल रेडियो के ज़रिए यह घोषणा करते हैं कि उनकी क्लास का समय हो गया है तो इसका बंदियों पर तुरंत असर पड़ता है. वे क्लास के लिए समय पर पहुंचने औऱ ठीक से पढ़ने के लिए प्रेरित होते हैं.

जेल की डिप्टी सुपरिंटेंडेंट शैलाक्षी भारद्वाज मुझे बताती हैं, “क़रीब 90% बंदी जेल रेडियो पर दी गयीं सूचनाओं और घोषणाओं को अहमियत देते हैं. रेडियो पर जब उनका नाम पुकारा जाता है और क्लास में जब उनसे सही समय पर आग्रह किया जाता है तो वे इसे गंभीरता से लेते हैं. रेडियो पर कही जा रही बात और उनके नाम की पुकार उन्हें प्रेरित करती है.” 

जेल में कई बार जो काम प्रशासन नहीं कर पाता, वो रेडियो का माइक करता है. इस समय हिंदुस्तान जब चुनाव की प्रक्रिया से गुजर रहा है. बंदी एक बार फिर हाशिये पर है. वैसे भी जेल की याद आमतौर पर लोगों को नहीं आती है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जेल में इंद्रधनुष बनाने की कोशिश न की जाए. धीरे-धीरे इन जेलों में इंद्रधनुष बन रहे हैं और उम्मीदों का सागर उफान पर है. इस काम को कर रहा है- तिनका जेल रेडियो. 

(डॉ. वर्तिका नन्दा जेल सुधारक हैं. जेलों पर एक अनूठी श्रृंखला- तिनका तिनका- की संस्थापक. उनका काम दो बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल हुआ. 2019 में आगरा की जिला जेल और 2021 में हरियाणा की जेलों में रेडियो की शुरुआत की. तिनका तिनका तिहाड़, तिनका तिनका डासना और तिनका तिनका मध्य प्रदेश – जेलों पर उनकी चर्चित किताबें. 2020 में आईसीएसएसआर ने भारतीय जेलों में संचार की जरुरतों उनके शोध को उत्कृष्ट माना. दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज में पत्रकारिता विभाग की प्रमुख. Email: tinkatinkaorg@gmail.com

Relevant links: 
1. Interview with Ashok: Tinka Tinka Jail Radio: Episode 86: Tinka Jail Radio। Ep 86। Tinka Prison Research Cell। Ashok from District Jail, Karnal – YouTube
2. Website: Jail Radio: Karnal –http://tinkatinka.org/jail-radio-karnal/

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.] 

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