ग्वालियर :पीएचई घोटाले में पुलिस सवालों के घेरे में ?
पीएचई घोटाले में पुलिस सवालों के घेरे में …
सरगना हीरालाल के पड़ोसी प्रदीप के खाते में 6.24 करोड़ रुपए आए, पुलिस ने सिर्फ बयान लेकर छोड़ा
पीएचई घोटाले की जांच कर रही पुलिस खुद सवालों के घेरे में हैं। जिस पंप ऑपरेटर राहुल आर्या और उसके परिचितों के खाते में कथित फर्जीवाड़ा कर 1.72 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए, उसे पुलिस ने 16 अगस्त 2023 को गिरफ्तार किया। ठेकेदार राहुल वर्मा के खाते में 2 करोड़ से ज्यादा रुपए पहुंचे। वह भी 5 नवंबर 2023 से जेल में है, लेकिन जिस प्रदीप कुमार पलरैया (निवासी पाताली हनुमान मंदिर) ने पुलिस को दिए बयान में खुद को ई-रिक्शा चालक बताया और अपने बैंक खाते में कुल 6.24 करोड़ रुपए आना स्वीकार किया। उसे पुलिस ने आरोपी बनाना ही उचित नहीं समझा।
प्रदीप ने 7 जनवरी को पुलिस पूछताछ में बताया कि हीरालाल (इस फर्जीवाड़े का कथित मास्टरमाइंड) उसका पड़ोसी है और उसी के कहने पर उसने कुछ लोगों के खाते में राशि ट्रांसफर भी की थी। वहीं, इस केस का एक अन्य आरोपी पीएचई अधिकारी जागेश श्रीवास्तव भी लंबे समय से पुलिस गिरफ्त से दूर है। गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने जिला न्यायालय में अग्रिम जमानत का आवेदन प्रस्तुत किया था, जिसे 15 दिसंबर 2023 को खारिज कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर नहीं की है।
केस का एक अन्य आरोपी पीएचई अधिकारी जागेश भी पुलिस गिरफ्त से बाहर
हीरालाल से जुड़े होटल में काम किया, इसलिए आए पैसे
राहुल वर्मा के परिजनों का दावा है कि उसके खाते में पैसे काम के एवज में ट्रांसफर किए गए। हीरालाल के परिजन ने नमनराज होटल तैयार किया है। इसमें कंस्ट्रक्शन मटेरियल से लेकर एसी सहित अन्य माल सप्लाई करने का काम राहुल वर्मा ने किया। ये काम हीरालाल के कहने पर किया और इसी के एवज में उसे राशि दी गई।
ऐसे समझें आरोपी हीरालाल व ई-रिक्शा चालक प्रदीप कुमार का कनेक्शन
हीरालाल पूर्व में प्रदीप कुमार का पड़ोसी रहा हैं। पुलिस को दिए बयान में प्रदीप कुमार ने बताया कि उसकी, मां पीतांबरा हथकरघा वस्त्र उद्योग नाम से फर्म है। जिसमें कपड़े बनाने का काम होता है। इस फर्म का खाता पंजाब नेशनल बैंक की हजीरा शाखा में है। हीरालाल ने प्रमोद कुमार से कहा कि वह उसे काम दिलवाएगा और राशि उसके बैंक खाते में आ जाएगी। बाद में हीरालाल ने उसकी फर्म के खाली बिलों का उपयोग किया और कुछ समय बाद उसके खाते में लगभग 6.24 करोड़ रुपए ट्रांसफर हुए। इसमें से अधिकांश राशि प्रमोद कुमार ने हीरालाल को नगद लौटाना बताया, जबकि कुछ राशि अन्य खातों में ट्रांसफर करना बताया।
जिसने एफआईआर कराई, उसे भी पुुलिस ने बनाया आरोपी
अभियोजन कहानी के अनुसार, पीएचई विभाग के अधिकारी संजय सिंह सोलंकी ने शिकायती आवेदन दिया। जिसके बाद चार अगस्त 2023 को क्राइम ब्रांच ने एफआईआर दर्ज की। इसमें बताया कि डीडीओ कोड 1403402008 में वित्तीय वर्ष 2018-19 से 2023-24 तक लगभग 16.42 करोड़ रुपए का संदिग्ध भुगतान किया गया। इसमें स्थापना प्रभारी हीरालाल, कंप्यूटर ऑपरेटर राहुल आर्य व अन्य सहयोगियों की भूमिका संदेह के घेरे में है। बाद में हुई जांच में संजय सोलंकी के साथ ही अशोक कछोरिया, जागेश श्रीवास्तव, राहुल आर्या, विनोद कुमार छारी व अन्य को भी आरोपी बनाया गया है।
एफआईआर में थे इनके नाम
राहुल वर्मा, रामनरेश करहैया, संजय सोलंकी, अशोक कछौरिया, विनोद छारी, जागेश श्रीवास्तव, राकेश कुमार, महेंद्र कुमार उमरिया, हरीसिंह तोमर। हीरालाल, राहुल आर्या के नाम बाद में जोड़े गए।
एक चर्चा ये भी
सूत्रों की मानें तो इस प्रकरण में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) ए भी लगाई गई है। आरोपियों की मंशा ये है कि जांच का जिम्मा ईओडब्ल्यू को दे दिया जाए। ताकि जांच सालों साल तक चलती रहे। ऐसा होने से साक्ष्य को आसानी से प्रभावित किए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। यहां बता दें कि एफआईआर पुलिस थाना क्राइम ब्रांच में 4 अगस्त 2023 को दर्ज कराई गई थी।