कम गहराई दिखाकर माफिया की जुर्माना राशि घटाने की कोशिश !

कम गहराई दिखाकर माफिया की जुर्माना राशि घटाने की कोशि
रिपोर्ट- ग्वालियर में खदानें 90 फीट तक गहरीं, हकीकत- आबादी के बीच 220 फीट की खाई

खनन माफिया से मिलकर खनिज विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी सिर्फ वरिष्ठ अफसरों को ही नहीं बल्कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को भी गुमराह कर रहे हैं। ग्वालियर के अधिकारियों ने शताब्दीपुरम के पास स्थित खदानों के गड्ढों को लेकर एनजीटी में रिपोर्ट देकर गहराई को लेकर सफेद झूठ बोला है। इन खदानों में 200 फीट से ज्यादा गहरे गड्ढे हैं, जो कि खनन कर काला पत्थर निकालने से हुए हैं और अधिकारियों ने वरिष्ठ अधिकारियों व एनजीटी को दी रिपोर्ट में ये गड्ढे 60 से 90 फीट तक ही गहरे बताए हैं।

भास्कर रिपोर्टर ने जब मौके पर जांच कराई तो अफसरों के सफेद झूठ का सच सामने आया कि खाईनुमा इन गड्ढों की गहराई 200 से 225 फीट तक है। 2018 में बंद हुई इन खदानों के गड्ढे न भरवा पाने वाले जिम्मेदार अधिकारी अब रिपोर्ट को लेकर गोलमोल जवाब दे रहे हैं। जानकारी के अनुसार अधिकारियों की टीम ने गड्ढों की कम गहराई इसलिए दिखाई है ताकि, खनन करने वाले अधिक खनन के नियम-कानून के दायरे से बच सकें। क्योंकि, अधिक गहराई पाए जाने पर अधिक जुर्माना भी किया जा सकता है।

दावा: गड्ढों के पानी में बदबू नहीं

बारिश का पानी इन गड्ढों में भरा हुआ है, लेकिन वो काफी गहराई में है। इस पानी में किसी प्रकार के संक्रमण या बदबू की समस्या नहीं है। इसमें कोई भी ठोस अवशिष्ट फेंका नहीं गया है और इंसान व जानवर की पहुंच से दूर है। इस पानी से किसी बीमारी होने का दावा गलत है।

स्थिति: वर्षों का पानी, बदबू फैल रही

हर खदान की गहराई में कई वर्षों का पानी भरा हुआ है और उसमें से बदबू भी फैल रही है। खदान में नीचे जाने का रास्ता भी खुला है, जिससे इंसान या जानवर गहराई तक पहुंच जाते हैं। ऊपरी हिस्से में फेंसिंग नहीं कराई, जिस कारण इंसान या जानवर यहां हादसे का शिकार हो सकते हैं।

सांठगांठ बतातीं 3 वजह… माफिया का कैसे साथ देते हैं अफसर

1. अनुमति से ज्यादा गहराई तक खनन करने के बाद भी कार्रवाई नहीं की गई।

2. पट्टाधारियों से गड्ढे भरवाने की बजाए सरकारी खर्च पर फ्लाइएश से भरवाने शासन को भेजा प्रस्ताव

3. मप्र खनिज विभाग के आयुक्त के आदेश पर जांच की तो गड्ढों की गहराई 3 गुना तक कम बताई।

मैं ये मामला दिखवाता हूं

शताब्दीपुरम-मऊ की खदानों के गड्ढों की जांच तो की गई थी। लेकिन जांच रिपोर्ट में गहराई कितनी बताई थी वह मुझे याद नहीं है, मैं इस मामले को देखकर बताता हूं।
– प्रदीप भूरिया, जिला खनिज अधिकारी

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