पुरानी होती पीढ़ी का अनुभव, इतिहास और ज्ञान एक खजाना है!

पुरानी होती पीढ़ी का अनुभव, इतिहास और ज्ञान एक खजाना है!

जनरल सुंदरराजन पद्मनाभन का 83 वर्ष की उम्र में इस रविवार को चेन्नई में निधन हो गया। “ऑपरेशन पराक्रम’ के दौरान पश्चिमी मोर्चे पर पाकिस्तान के सामने भारी-भरकम सैन्य दल की तैनाती के दौरान वह सेना प्रमुख थे।

सैन्य सर्किल में लोग उन्हें प्रेम से ‘पैडी’ कहते थे, वह सीधी बात करने वाले अधिकारी के रूप में जाने जाते थे, जब उन्होंने सार्वजनिक रूप से पाकिस्तान के बारे में बात की, तो साउथ ब्लॉक और दुनिया भर में बड़ी हलचल पैदा हो गई। मुझे हमेशा अफसोस होगा कि उस ऑपरेशन के बारे में उनसे कभी अंदर की जानकारी हासिल नहीं कर सका।

इससे मुझे इतिहास-पुरातत्व की दो अमेरिकी छात्रा कायला स्मिथ, हाना विन्टन की याद आ गई, जिन्होंने कॉलेज में द्वितीय विश्वयुद्ध की क्लास में शामिल होने के बजाय अनुभवी सैन्य संगठनों से मिलना शुरू किया, ताकि सीधी जानकारी मिले।

उन्होंने सोचा, किताबों में युद्ध के बारे में पढ़ने या फिल्म देखने के बजाय अनुभवी लोगों से सीधी जानकारी मिलेगी। उन्होंने पाया, युद्ध में शामिल 1.6 करोड़ लोगों में से 1,19,000 अभी भी जिंदा हैं। उन्होंने आर्मी वेटरन एंडी वलेरो (99) व यूएस नेवी में पायलट प्रशिक्षक लियो डोरमन (100) से दोस्ती की।

20 साल के आसपास की दोनों छात्राएं 100 साल के दोस्त पाकर खुश थीं। डोरमन 35 तरह के विमान उड़ा चुके हैं, 10 हजार से ज्यादा घंटों की उड़ान का अनुभव है, 300 पायलट ट्रेन्ड किए। मुझे यकीन है, इस वर्ष स्नातक हो रही ये छात्राएं विषय विशेष की बात करते समय साथियों से अधिक समृद्ध होंगी।

ऐसी कहानियां सिर्फ आर्मी में ही नहीं मिलतीं। कहीं से भी आ सकती हैं, यहां तक कि ग्रैंडपैरेंट्स से भी। ये महसूस करते हुए कि हर वरिष्ठ नागरिक के पास कहने के लिए कहानी है, चेन्नई की संस्था एसनोवेशन, स्कूल शिक्षा विभाग, सार्वजनिक पुस्तकालय निदेशालय, अन्ना सेन्टेनरी लाइब्रेरी व चेन्नई स्टोरीटेलर्स के सहयोग से छह दिवसीय चिल्ड्रंस स्टोरीटेलिंग फेस्टिवल (18 से 24 अगस्त) की मेजबानी कर रहा है।

इसके पहले संस्करण में चेन्नई की अन्ना सेन्टेनरी लाइब्रेरी में दिल्ली, पश्चिम बंगाल, पुणे, हैदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई के 52 किस्सागो जुटे। इसमें नेत्रहीन व्यक्ति ऋषि केसवन का अनूठा सत्र होगा, जो बताएंगे कि कैसे कहानी कहने से याददाश्त में सुधार कर सकते हैं।

बड़ों से सिर्फ ऐतिहासिक कहानियां ही नहीं, ये भी सीख सकते हैं कि वे कैसे रहते थे और लंबे स्वस्थ जीवन के लिए क्या खाया। गोवा के दत्ता नाइक को ले लीजिए, जिन्होंने पौष्टिक व औषधीय गुणों वाली सब्जियों की 27 किस्मों की पॉट्स में सफलतापूर्वक खेती की है और विभिन्न प्रदर्शनियों में उन्हें प्रदर्शित किया है।

नाइक का लक्ष्य कुछ मौसमी रूप से उपलब्ध किस्मों को बचाना है, जो लंबे समय से गोवा में जनजातीय समुदायों के आहार का एक अनिवार्य हिस्सा रहे हैं। इन दुर्लभ सब्जियों को लेकर नाइक बचपन से ही जुनूनी थे क्योंकि उनका गांव बागवानी फसलें और विविध पुष्प संपदा के लिए जाना जाता था।

एक और प्रेरक कहानी लें। बेंगलुरु-मैसूरु हाइवे से दूर गांव करसवाड़ी के 1,000 से अधिक गन्ना किसानों के जीवन में बदलाव आ रहा है और मांड्या तालुका के ज्यादातर गांवों के किसान मांड्या गुड़ किसान उत्पादक कंपनी के बैनर तले एकजुट हो गए हैं।

इन वरिष्ठ नागरिकों का लक्ष्य जैविक गुड़ का गौरव लौटाना है और इस परंपरा को क्षति पहुंचा रही कृत्रिम मिठास की घुसपैठ रोकना है। कभी मांड्या में 10 हजार के आसपास गुड़ निर्माण इकाइयां थीं। पर मिलावट के कारण 1200 रह गईं।

अब जैविक गुड़ की वापसी, उपज को ऑनलाइन बाजार में लाने के निर्णय ने तेजी से नया रास्ता खोला है। ऑनलाइन अभियान शुरू करने के महज एक दिन के अंदर इसे 5 टन गुड़ का ऑर्डर मिला, यह साफ संकेत है कि ग्राहक उत्पादन के पुराने तौर-तरीकों को लेकर कितने उत्साहित हैं।

फंडा यह है कि आधुनिकीकरण में कुछ भी गलत नहीं है, पर समय के साथ विदा लेती पीढ़ी के अनुभव, इतिहास व ज्ञान को जाने देना पागलपन होगा।

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