ग्वालियर बैकफुट पर आया सरकारी अमला ?

 ननि में बदले की “नीति”.. तुम हमारे कब्जे तोड़ोगे तो हम कराएंगे तुम्हारे भ्रष्टाचार की जांच
शहर में गलत कार्य को सही कराने के लिए बदले की राजनीति शुरू हो गई है। खुलेआम सरकारी जमीनों पर कब्जे हो रहे हैं। इसमें राजनैतिक गठजोड़ भी सामने आ चुका है। कई पार्षदों पर ही सरकारी जमीन घेरने के आरोप हैं और दबाव में सरकारी अमला सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ाने में लगा है।
Gwalior News: ननि में बदले की "नीति".. तुम हमारे कब्जे तोड़ोगे तो हम कराएंगे तुम्हारे भ्रष्टाचार की जांच
  1. गलत कार्य को सही कराने के लिए बदले की राजनीति शुरू हो गई है
  2. खुलेआम सरकारी जमीनों पर कब्जे हो रहे हैं
  3. कई पार्षदों पर ही सरकारी जमीन घेरने के आरोप हैं

 ग्वालियर। शहर में गलत कार्य को सही कराने के लिए बदले की राजनीति शुरू हो गई है। खुलेआम सरकारी जमीनों पर कब्जे हो रहे हैं। इसमें राजनैतिक गठजोड़ भी सामने आ चुका है। कई पार्षदों पर ही सरकारी जमीन घेरने के आरोप हैं और दबाव में सरकारी अमला सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ाने में लगा है। नारायण विहार कालोनी और दीनदयाल नगर में पार्षदों द्वारा सरकारी जमीन घेरने का मामला उजागर होने के बाद अब अलग तरह की राजनीति चल रही है।

नगर निगम ने पार्षद देवेंद्र राठौर द्वारा किए गए कब्जे हटाने के लिए नोटिस जारी कर फाइलों में रख लिए। जब मंगलवार को ये नोटिस सामने आए, तो बुधवार को देवेंद्र राठौर ने दबाव बनाने के लिए पत्र लिखकर मानपुर स्थित प्रधानमंत्री आवासों की जांच का फरमान जारी कर दिया। पार्षद देवेंद्र राठौर को परिषद के ठहराव के अंतर्गत पीएम आवासों की जांच कमेटी का संयोजक बनाया गया था।

बुधवार को उन्होंने कमेटी के सदस्यों जितेंद्र मुदगल, अपर्णा पाटिल, अनीता धाकड़ और शकील खां मंसूरी के साथ ही नोडल अधिकारी पीएम आवास योजना पवन सिंघल और संपदा अधिकारी अरविंद चतुर्वेदी को इस संबंध में पत्र लिखा है। इसमें अधिकारियों से कहा गया है कि वे समस्त दस्तावेजों के साथ शुक्रवार शाम चार बजे मानपुर स्थित पीएम आवास परिसर में मौजूद रहें। ये स्थिति तब है, जबकि मानपुर स्थित इन पीएम आवासों का उद्घाटन खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था और सांसदों का दल भी इनकी तारीफ कर चुका है लेकिन अब इन आवासों में कई तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं।

सीवर लाइन उफनने से लेकर पानी की लाइन फूटने तक की दिक्कतें आएदिन मिल रही हैं। लोग लगातार शिकायतें कर रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। उधर जांच की ये सारी कवायद सरकारी जमीनों पर किए गए कब्जों को हटाने से रोकने की है। जैसे ही कार्रवाई का अंदेशा होता है, वैसे ही दबाव की राजनीति शुरू हो जाती है। इसका नुकसान हितग्राहियों और जनता को उठाना पड़ता है। वहीं प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों की भी इसमें मिलीभगत है। वे अपनी कार्रवाई दर्शाने के लिए नोटिस जारी कर देते हैं, लेकिन मौके पर कार्रवाई नहीं करते हैं।

..इधर बैकफुट पर आया सरकारी अमला, कार्रवाई के लिए गए ही नहीं

गत मंगलवार को पर्याप्त पुलिस बल न मिलने का बहाना बनाकर नारायण विहार कालोनी में सरकारी जमीन से कब्जे हटाने की कार्रवाई को टाल दिया गया। बताया गया कि अगले दिन कार्रवाई की जाएगी, लेकिन बुधवार को न तो जिला प्रशासन और न ही नगर निगम ने कार्रवाई की सुध ली। तहसीलदार ने बुधवार को फिर से पुलिस बल न मिलने का बहाना बनाया, तो वहीं नगर निगम के अमले ने प्रशासन से कोई सूचना न होने का हवाला देकर पल्ला झाड़ लिया। बताया जा रहा है कि इस मामले में राजनैतिक दबाव के कारण अब अधिकारी कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।

 

पार्षदों के कब्जे तोड़ने की जवाब में पीएम आवास की जांच
    • नारायण विहार कालोनी में बनी संजीवनी क्लीनिक के ठीक बगल की सरकारी जमीन पर मार्केट बना दी है। ये मार्केट रामलाल राजावत और अनिल तोमर के नाम पर है, लेकिन इसमें वार्ड 21 के पार्षद का संरक्षण सामने आ चुका है। संजीवनी क्लीनिक से जुड़ा मामला होने के कारण गत 23 मार्च को नगर निगम ने तोड़फोड़ के लिए नोटिस जारी कर फाइलों में दफन कर दिया। 85 दिन बाद मंगलवार को कार्रवाई की तैयारी की गई, लेकिन पर्याप्त पुलिस बल न होने का बहाना बनाकर टाल दिया गया।
    • वार्ड 18 की पार्षद रेखा त्रिपाठी की भी शिकायत हो चुकी है। निगमायुक्त को हुई शिकायत में वार्ड 18 की शासकीय भूमि सर्वे क्रमांक 203 एवं 204 मौजा लोहारपुर वार्ड मुरार में पार्षद एवं उनके पति राधेश्याम त्रिपाठी ने 7000 वर्गफीट शासकीय जमीन पर कब्जा कर लिया है। यहां एक छात्रावास बना हुआ है, जिसके आसपास की सरकारी जमीन की घेराबंदी की गई है।
    • वार्ड 15 के पार्षद देवेंद्र राठौर द्वारा दीनदयाल नगर में ही सरकारी जमीन पर जय गुरुदेव सेनेटरी स्टोर्स तैयार कर लिया गया है। इस अवैध निर्माण को लेकर नगर निगम ने गत 29 मई 2023 को सिर्फ नोटिस देकर इतिश्री कर ली। पांच जून 2023 को मुरार एसडीएम को पत्र लिखकर गेंद प्रशासन के पाले में फेंक दी गई, लेकिन मौके पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। जब मामला उजागर हुआ, तो दबाव की राजनीति शुरू हो गई।
एसडीएम को लिखा है पत्र

ग्राम लखमीपुर मुरार के सर्वे क्रम 309, 310 और 311 की सरकारी जमीन पर अतिक्रमण की शिकायतें मिली थीं। इस मामले में पार्षद देवेंद्र राठौर को नोटिस जारी किए गए थे। सरकारी जमीन पर कब्जा होने के कारण कार्रवाई के लिए एसडीएम मुरार को पत्र लिखा था। नारायण विहार में बुधवार को कार्रवाई के लिए कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई। इस कारण अमला नहीं गया। मानपुर प्रधानमंत्री आवासों की जांच के लिए संयोजक देवेंद्र राठौर का पत्र मिला है।

पवन सिंघल, सिटी प्लानर नगर निगम

 

मुझ पर दबाव बनाना चाहते हैं

 

 

मैं प्रधानमंत्री आवासों की जांच न करूं, इस कारण मुझ पर दबाव डालने के लिए नोटिस दिए गए हैं। मैंने हाउसिंग बोर्ड से वह संपत्ति ली है। यदि हाउसिंग बोर्ड ने गलत संपत्ति मुझे बेची है, तो मैं कह नहीं सकता। मैंने इसका वर्ष 2035 तक का लीजरेंट भरा है और नामांकन भी कराया है। यदि प्रशासन को कोई संदेह है, तो मेरे दस्तावेज देखे जा सकते हैं। मैं किसी के दबाव में नहीं आऊंगा और निष्पक्ष जांच करूंगा।

देवेंद्र राठौर, पार्षद व जांच कमेटी संयोजक

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