ग्वालियर : कोर्ट स्टे के बाद भी कैसे हुए निर्माण,होगी जांच, नया निर्माण तो अब कार्रवाई

कोर्ट स्टे के बाद भी कैसे हुए निर्माण,होगी जांच, नया निर्माण तो अब कार्रवाई
नए जिला कोर्ट के सामने विद्या विहार की जिस जमीन पर कोर्ट का स्टे है वहां निर्माण पिछले कुछ समय में कैसे होते चले गए, इसकी जांच की जा रही है। इसके अलावा अब किसी ने नया निर्माण किया तो प्रशासन तत्काल कार्रवाई करेगा।
  1. नए जिला कोर्ट के सामने जिस विद्या विहार की जमीन पर स्टे, वहां बढ़ाई निगरानी
  2. प्रशासन जारी कर रहा निर्माण करने वालों को नोटिस, आदेश भी जारी होगा
ग्वालियर। नए जिला कोर्ट के सामने विद्या विहार की जिस जमीन पर कोर्ट का स्टे है वहां निर्माण पिछले कुछ समय में कैसे होते चले गए, इसकी जांच की जा रही है। इसके अलावा अब किसी ने नया निर्माण किया तो प्रशासन तत्काल कार्रवाई करेगा। पूरे क्षेत्र में प्रशासन की ओर से यह जानकारी भी दी जा रही है कि इस जमीन पर कोर्ट का स्टे है यहां किसी भी तरह का निर्माण नहीं किया जा सकता है।
सको लेकर अब एक नया आदेश भी प्रशासन की ओर से जारी किया जाएगा। वहीं हाल में नए निर्माण इस इलाके में होते पाए गए हैं उन्हें नोटिस जारी कर निर्माण को यथावत स्थिति में रखने के लिए निर्देशित किया गया है। कलेक्ट्रेट-जिला कोर्ट इस क्षेत्र में होने के कारण विद्या विहार की इस जमीन पर अब कई लोगों की नजरें हैं, इसी कारण अब प्रशासन ने सक्रियता दिखाई है।

बता दें कि 19 जून से नया जिला कोर्ट कलेक्ट्रेट के बगल से स्थित नई इमारत में शुरू हो गया है। यहीं सामने रोड पार करते ही विद्या विहार की वह जमीन है जहां कोर्ट का स्टे है। इसी जमीन के सड़क किनारे पर हाल ही में ठेला व गुमटी वालों ने रातों रात कब्जा करना शुरू कर दिया था, जिसकी सूचना जिला प्रशासन को मिली। सूचना मिलते ही जिला प्रशासन ने अतिक्रमणकर्ताओं को हटा दिया और मुनादी भी कराई। नई कलेक्ट्रेट के सामने सेना की जमीन थी, लेकिन शासन ने सेना को दुगनावली में जमीन दे दी और कलेक्ट्रेट के सामने की जमीन पीडब्ल्यूडी को आवंटित कर दी थी।

इस जमीन पर गंगा प्रसाद शर्मा व अन्य ने सिविल दावा न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां पेश किया और न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 2003 में उनके पक्ष में डिक्री कर दी। फिर दो साल बाद शासन को डिक्री की जानकारी मिली। वर्ष 2004 में अपर सत्र न्यायालय में सिविल अपील दायर की, जिसे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने यह कहते हुए खारिज कर दी कि शासन ने अपील करने में देर कर दी। इसके बाद मप्र शासन व पीडब्ल्यूडी ने हाईकोर्ट में सेकंड अपील दायर की। इस अपील को दायर करने में 800 दिन देर कर दी। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की।

सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी को स्वीकार करते हुए अपर सत्र न्यायालय को आदेश दिया कि गुण दोष के आधार पर फिर से जमीन का मालिकाना हक तय किया जाए। शासन को जमीन बचाने का मौका मिला था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दोबारा अपील की सुनवाई हुई। 12 सितंबर 2018 को जिला न्यायाधीश ने शासन की अपील को खारिज कर दिया। इसके बाद हाई कोर्ट में सेकंड अपील दायर की। इसके बाद 2019 में डिक्री के आदेश पर रोक लगा दी गई।

कलेक्ट्रेट के सामने तब भी होते गए निर्माण

ऐसा नहीं है कि कोर्ट के स्टे के बाद यहां प्लाटों की रजिस्ट्री नहीं हुई, निर्माण नहीं हुए,यह चलता रहा लेकिन कलेक्ट्रेट के सामने होने के बाद भी यह जारी रहा,यह हैरत की बात है। यहां जिन लोगों ने निर्माण किए या रजिस्ट्री की प्रशासन ने उनपर कोई कार्रवाई नहीं की और रोक के बाद कई अधिकारी बदलते गए।

नए जिला कोर्ट के सामने जिस जमीन पर कोर्ट का स्टे है वहां निर्माण होने पर कार्रवाई की जाएगी। यहां निर्माण करने वालों को नोटिस जारी किए गए हैं और निर्माण जो पहले से हो रहे उन्हें रुकवाया गया है। जल्द आदेश भी जारी किया जाएगा।

-अनिल राघव, तहसीलदार, सिटी सेंटर ग्वालियर।

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