अतिरिक्त लोन की अनुमति मिली तो मप्र करीब 13 हजार करोड़ रुपए ज्यादा कर्ज ले सकेगा !

कर्ज की इकोनॉमी:अतिरिक्त लोन की अनुमति मिली तो मप्र करीब 13 हजार करोड़ रुपए ज्यादा कर्ज ले सकेगा

मप्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023 -24 में कुल 42500 करोड़ का कर्ज लिया था। वहीं शनिवार को वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने नई दिल्ली दौरे के दौरान केंद्र से जीएसडीपी के 1% अतिरिक्त कर्ज की अनुमति मांगी है। ये अनुमति मिली तो प्रदेश सरकार इस साल लगभग 13000 हजार करोड़ अतिरिक्त कर्ज ले सकेगी।

वर्तमान में राज्य सरकारें अपने जीएसडीपी का 3% कर्ज के तौर पर ले सकती हैं। हालांकि पेंशन संबंधी लाइबिलिटी एनपीएस में अंशदान देने के बाद और पावर सेक्टर में रिफॉर्म्स करने वाले राज्य अतिरिक्त कर्ज भी ले सकते हैं। राज्य की अर्थव्यवस्था का रेवन्यू सरप्लस होना भी एक शर्त है। इस तरह से जीएसडीपी का लगभग 4.5 % कर्ज राज्य सरकार ले सकती है।

प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा शनिवार को केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण से मिले। उन्होंने बताया कि मप्र रेवन्यू 2021-22 से लगातार रेवन्यू सरप्लस की हालत में है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से मप्र के लिए जीएसडीपी का 1% अतिरिक्त लोन प्राप्त करने की अनुमति देने का भी अनुरोध किया। वित्तीय वर्ष 2023-2 4 में मप्र की जीएसडीपी लगभग 13 लाख करोड़ थी। 2024-25 के लिए भी जीएसडीपी लगभग इतनी ही रहने का अनुमान है।

मप्र ने 5 साल में 1 लाख करोड़ सिर्फ ब्याज के चुकाए

मप्र सरकार ने पिछले साल अलग -अलग स्रोतों से 42500 करोड़ कर्ज लिया था। 13 लाख करोड़ जीएसडीपी के हिसाब से सरकार की कर्ज लेने की लिमिट लगभग 58000 करोड़ है। हालांकि इसके लिए केंद्र के सभी नियम और शर्तें पूरी होनी चाहिए। 1% अतिरिक्त अनुमति मिली तो लगभग 13000 करोड़ का अतिरिक्त कर्ज भी उपलब्ध होगा। वर्तमान में मप्र सरकार पर कुल 3 .73 लाख करोड़ का कुल कर्ज है। 5 सालों में प्रदेश लगभग 1 लाख करोड़ ब्याज में दे चुका है।

कोई योजना बंद नहीं होगी, भार नहीं आएगा

हाल ही में राजधानी में बजट संवाद कार्यक्रम के दौरान वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा था कि आगामी बजट में किसी पर कोई भार नहीं आएगा। यानि उन्होंने इशारा किया था कि करों में कोई खास वृद्धि नहीं होगी। साथ ही कहा था कि कोई योजना बंद नहीं होगी। इस तरह से साफ है कि सरकार कर्ज जैसे उपायों पर ही ज्यादा निर्भर होगी। ये भी कहा था कि नियमों के मुताबिक विकास के लिए कर्ज लेते हैं, तय समय से चुकाते भी हैं, इसमें कुछ गलत नहीं।

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