नोएडा बोर्ड में निकलेगा हल कैसे आए 34 हजार करोड़?
नोएडा बोर्ड में निकलेगा हल कैसे आए 34 हजार करोड़?
IDC के सामने खोली जाएगी फाइल, बकायादार बिल्डर्स को मिल सकती है छूट
प्राधिकरण अपनी वित्तीय स्थिति को बेहतर करने जा रहा है। इसके लिए बिल्डर बकायादार जिनके मामले एनसीएलटी में है। इनसे बकाया रकम कैसे वापस ली जाए। इस पर आईडीसी से चर्चा की जाएगी। ये बातचीत आगामी 27 जून को होने वाली बोर्ड में होगी। अधिकारियों ने बताया कि अब तक जिन 13 बिल्डरों को नोटिस जारी किया था। उनमें से एक ने जवाब नहीं दिया।
ऐसे में सिर्फ बातचीत की जाएगी। यदि बिल्डर भविष्य में केस वापस लेकर हमारे पास आता है तो शासन स्तर पर अवगत कराकर छूट का लाभ दिया जा सकता है। इन पर करीब 34 हजार करोड़ का बकाया है। ये बकाया ग्रुप हाउसिंग, कॉमर्शियल और अन्य श्रेणी में है।
केस वापस लेने पर दिया जा सकता है ऑफर
दरअसल 2009-10 में नोएडा में ग्रुप हाउसिंग और कॉमर्शियल परियोजनाओं का बूम आया था। इस दौरान प्लाट के कुल लागत का महज 10 प्रतिशत लागत राशि लेकर भूखंड आवंटित कर दिए गए। शेष बकाया के लिए किस्त बांध दी गई।
शुरुआत में बिल्डर और अन्य श्रेणी के बकायादार ने पैसे जमा किए। इसके बाद किस्त जमा नहीं की। प्राधिकरण ने नोटिस भेजा लेकिन बकाया जमा नहीं किया गया। रकम जमा नहीं करने पड़े इसके लिए बिल्डर एनसीएलटी चले गए। वहां दिवालिया की प्रक्रिया शुरू हो गई।
कई परियोजनाओं के लिए आईआरपी भी नियुक्त हो चुके है। ऐसे में प्राधिकरण का पैसा पूरी तरह से फंस गया। इसको निकालने के लिए अब प्राधिकरण बिल्डर एनसीएलटी गए बिल्डरों के साथ सेटलमेंट करने का विचार कर रहा है। जिसके तहत वो बिल्डर जो केस वापस लेंगे उनको ऑफर दिया जा सकता है।
ऐसे हुआ 34 हजार करोड़ का बकाया
ग्रुप हाउसिंग में एनसीएलटी गए बिल्डरों पर करीब 6 हजार करोड़ और कॉमर्शियल परियोजनाओं पर करीब 6 हजार करोड़। जिसमें हाल ही में सुपरनोवा जिस पर 2 हजार करोड़ और एटीएस पर करीब 2 हजार करोड़ का बकाया है।
एनसीएलटी में है। इसी तरह अन्य श्रेणी में भी बकायादार है। यानी कुल मिलाकर करीब 34 हजार करोड़ का बकाया है।ये वित्त से जुड़ा मामला है इसलिए बिना शासन अनुमति के बिल्डरों के लिए कोई नई स्कीम नहीं लाई जा सकती है।
13 बिल्डर प्रोजेक्ट को जारी किए थे नोटिस
इसी प्रस्ताव के मद्दे नजर प्राधिकरण ने 13 बिल्डर परियोजनाओं को नोटिस जारी किए थे। इन सभी के मामले एनसीएलटी में चल रहे है। इसमें एटीएस होम्स 640.46 करोड़ रुपए , सुपरटेक रियलटर्स 2,245.81 करोड़ रुपए, सुपरटेक लिमिटेड 815.73 करोड़ रुपए, लॉजिक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड 446.44 करोड़ रुपए , लॉजिक्स सिटी डेवलपर्स 666.80 करोड़ रुपए , थ्री सी 572.51 करोड़ रुपए प्राधिकरण के बकाया है। इसके अलावा अन्य भी है।
5 जून तक बिल्डर से मांगी गई खाली इंवेंट्री की जानकारी
प्राधिकरण ने 12 अन्य बिल्डरों से उनके यहां खाली इंवेंट्री की जानकारी मांगी है। ये वो बिल्डर है जो अमिताभ कांत सिफारिश में तो आते है लेकिन सिफारिश का लाभ लेने के लिए इन लोगों ने सहमति नहीं दी। इन 12 बिल्डर साइट पर प्राधिकरण नोटिस बोर्ड लगाए है। अब इनकी 5 जून 2024 तक की खाली इंवेंट्री की जानकारी मांगी है। ताकि उसे सील कर प्राधिकरण बकाया की वसूली करे और रजिस्ट्री ओपन करे।
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