10 साल में एक लाख पेड़ कटे ?

51 लाख पेड़ लगाने से पहले देखें आईना …
10 साल में एक लाख पेड़ कटे, निगम के रिकॉर्ड में सिर्फ 11 हजार, 2500 पेड़ ट्रांसप्लांट का दावा, 90% मर गए
  • निगम की अलिखित छूट, सिर्फ एक हजार रु. जमा करें और कोई भी कैसा भी पेड़ काट दें
  • अधिनियम में यह रियायत विशेष परिस्थिति के लिए दी थी, वहीं अवैध रूप से पेड़ काटने वालों पर सिर्फ 10 हजार फाइन

शहर 51 लाख पौधे लगाकर विश्व रिकॉर्ड बनाने जा रहा है। पेड़ों को लेकर अभी जिम्मेदार कैसे काम कर रहे हैं, उसे समझने के लिए भास्कर ने तीन एक्सपर्ट के साथ करीब एक महीने तक काम किया। इसमें सामने आया कि पिछले 10 वर्ष में शहर में एक लाख से अिधक पेड़ काटे गए हैं, जबकि निगम के पास सिर्फ 11 हजार का रिकॉर्ड है। मेट्रो और फ्लाईओवर में बाधा बन रहे 2500 पेड़ दो वर्षों में ट्रांसप्लांट करने का दावा है, लेकिन इनमें से 90 फीसदी मृत पाए गए, क्योंकि लगाने के बाद किसी ने सुध ही नहीं ली।

हरियाली में सबसे बड़ी बाधा यही है कि निगम में वृक्ष अधिकारी और उद्यान विभाग तो है, लेकिन वे एक हजार रुपए की फीस लेकर पेड़ काटने या ट्रांसप्लांट की अनुमति देने के अलावा कुछ नहीं करते। यदि कोई बिना अनुमति पेड़ काट दे तो उससे सिर्फ 10 हजार रुपए का जुर्माना वसूला जाता है। मप्र वृक्षों का परिरक्षण अधिनियम, 2001 और 2002 में पेड़ के बदले पेड़ लगाने की शर्त को अफसरों ने पूरी तरह से भुला दिया है। अधिनियम की धारा 6 की उपधारा (2) के मुताबिक यदि पेड़ के बदले पेड़ लगाना संभव नहीं हो तभी व्यक्ति को 500 रुपए प्रतिवृक्ष अदा करना होगा।

इसकी आड़ में धड़ल्ले से पेड़ कटवाए जा रहे हैं। ऑनलाइन व्यवस्था होने के बावजूद रिकॉर्ड सहेजने में लापरवाही की जा रही है। इसी का नतीजा है कि निगम के पास 10 वर्षों में सिर्फ 11634 पेड़ों की कटाई और ट्रांसप्लांट का हिसाब है।

75 हजार से ज्यादा पेड़ इन योजनाओं में कटे

  • 15,000 बीआरटीएस की बलि चढ़े
  • 10,000 खजराना, फूटीकोठी, लवकुश, भंवरकुआं, आईटी पार्क, रेडिसन, मूसाखेड़ी चौराहे पर फ्लाईओवर के लिए काटे गए
  • 15,000 अवैध रूप से कटे। 311 एप पर इनकी शिकायत मिली। यानी 4-5 पेड़ रोज काटे जा रहे कॉलोनियों में
  • 10,000 2017 में पीपल्याहाना चौराहे पर ब्रिज निर्माण में और सरकारी जमीन सहित 20 से ज्यादा कॉलोनियों में कटे
  • 11,000 से ज्यादा पेड़ बाॅड सड़कें और कॉलोनी की सड़कों के विस्तार के लिए काटे गए​​​​​​​

ट्रांसप्लांट सिर्फ धोखा: सर्वाइवल रेट 20 प्रतिशत भी नहीं

एक्सपर्ट का कहना है कि पेड़ों के ट्रांसप्लांट सिर्फ धोखा साबित हो रहे हैं। उनके मुताबिक सभी पेड़ों का ट्रांसप्लांट हो ही नहीं सकता, जिनका होता है, उनमें भी सर्वाइवल रेट 20 प्रतिशत से कम है। उन्होंने बताया कि पेड़ को छायादार बनने में 10 साल लग जाते हैं, जबकि हम ट्रांसप्लांट के नाम पर सिर्फ ठूंठ को स्थानांतरित करते हैं, जिसे फिर बड़ा होने में 5 साल लगते हैं। यही वजह है कि इंदौर का ग्रीन कवर तेजी से कम हो रहा है।

अब कह रहे हमने सिर्फ जमीन दी, जिम्मेदारी हमारी नहीं
आईडीए और मेट्रो रेल कार्पोरेशन लि. ने जिन कंपनियों को ठेका दिया है, उन्हें ही पेड़ शिफ्टिंग की जिम्मेदारी भी दी गई है। निर्माण कंपनियों ने यह कार्य अन्य विशेषज्ञ एजेंसियों से कराया। अधिकारियों का कहना है कि हमने केवल जगह उपलब्ध कराई है, बाकी जिम्मेदारी ठेका लेने वाली कंपनियाें की थी। ग्रीन बेल्ट और टिगरिया बादशाह तालाब की ओर जाने वाले रास्ते पर ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ ठूंठ में बदल चुके हैं। किसानों का कहना है कि ठेकेदार केवल पेड़ लगा गए, देखभाल करने कोई नहीं आया। इसी तरह गोम्मटगिरी के पास ग्रीन बेल्ट और गांधी नगर में ट्रांसप्लांट किए गए अधिकांश पेड़ भी गायब हैं।​​​​​​​

  • 9000 पेड़ खंडवा रोड में गए
  • 3000 पेड़ मेट्रो प्रोजेक्ट में कटे
  • 400 एमआर10 ब्रिज के लिए

(एक्सपर्ट्स के मुताबिक 10 वर्षों में बायपास, सुपर कॉरिडोर, खंडवा रोड, धार रोड, सांवेर रोड, निपानिया सहित 100 से ज्यादा इलाकों से बिल्डरों ने बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई कर गुपचुप उन्हें बेचा। यह आंकड़ा 25 हजार से ज्यादा है पर इसका अधिकृत रिकॉर्ड नहीं है।)

कटाई के बदले पेड़ क्यों नहीं लग रहे?
-लोग एक्सपर्ट नहीं है, इस​लिए उनसे फीस लेते हैं ताकि हम पेड़ लगा सकें।
निगम के पास तो रिकाॅर्ड ही नहीं है?
– 2019 से ऑनलाइन व्यवस्था हुई है, वही रिकॉर्ड में है।
अवैध कटाई पर पेनल्टी कम क्यों?
– अधिनियम में 10 हजार रुपए का ही प्रावधान है। हालांकि इसे पांच गुना बढ़ाने का प्रस्ताव स्वीकृति के लिए भेजा गया है।

सीधी बात – आरपी अहिरवार, आईडीए सीईओ जिम्मेदार एजेंसियों से एक की जगह 10 पेड़ लगवाएंगे

​​​​​​​फ्लाईओवर की राह में आ रहे करीब ढाई हजार पेड़ ट्रांसप्लांट किए गए। इनमें से 90% खत्म हो चुके हैं?
– इतना अंतर नहीं हाे सकता। हमारे शिफ्ट किए पेड़ों का सर्वाइवल रेट अच्छा है।

ठेका कंपनियों को अनुमति और सहमति किस आधार पर दी थी?
– शर्तों में प्रावधान किया है कि एक पेड़ सूखने पर उन्हें 10 पेड़ लगाने होंगे।

सुपर कॉरिडोर सहित ग्रीन बेल्ट में जहां भी पेड़ ट्रांसप्लांट कराए गए हैं, उनमें से अधिकांश ठूंठ बन चुके हैं?
– यदि लापरवाही से पेड़ सूखे हैं तो हम उनसे एक की जगह 10 पेड़ लगवाएंगे। इसका परीक्षण कराएंगे।

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