जरायम किंग आनंदपाल का एनकाउंटर कैसे हुआ था?
जरायम किंग आनंदपाल का एनकाउंटर कैसे हुआ था? पुलिस की थ्योरी पर क्यों उठे सवाल? पढ़ें- 7 साल में क्या-क्या हुआ
राजस्थान पुलिस ने 24 जून 2017 को गैंगस्टर आनंदपाल को मारकर एनकांउटर का नाम दिया. अब 7 पुलिसकर्मियों पर हत्या का केस चलेगा. अगली सुनवाई जोधपुर हाईकोर्ट में 16 अक्टूबर को होगी. आखिर क्या हुआ था उस रात को जिससे दहल गया था चूरू का मालासर गांव. सात साल पुराने कुख्यात गैंगस्टर एनकाउंटर की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है.
24 जून 2017 का दिन… रात के 10 बजकर 25 मिनट का वक्त था. राजस्थान के चूरू का मालासर गांव गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा. यहां एक घर में किसी का एनकाउंटर था. जिसका ये एनकाउंटर हुआ था वो कोई और नहीं बल्कि, जरायम की दुनिया का किंग और नामी गैंगस्टर आनंदपाल था. वही आनंदपाल जिसके एक इशारे पर उसके 100 ज्यादा गुंडे कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते थे.
इस हत्याकांड के बाद वो फरार हो गया. उसकी फरारी के 6 साल बाद साल 2012 में पुलिस ने उसको गिरफ्तार किया था. 3 सितंबर 2015 को डीडवाना कोर्ट में पेशी के बाद आनंदपाल सिंह पुलिस वैन से अजमेर हाई सिक्योरिटी जेल जा रहा था. इसी दौरान वो परबतसर के पास पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया था. फरारी के दौरान भी आनंदपाल पुलिस के लिए सिर दर्द बना रहा.
कई बार पुलिस के साथ आनंदपाल सिंह की मुठभेड़ हुई. खींवसर के पास एक पुलिसकर्मी खुमाराम की जान चली गई. कई बार मुठभेड़ में लोग जख्मी हुए. पुलिस उसके सिर पर 5 लाख का इनाम रखा था. उस पर दबाव बनाने के लिए पुलिस-प्रशासन ने उसकी करीब 150 करोड़ से ज्यादा की बेनामी संपत्तियां कुर्क कर ली थीं.
पुलिस पर फायरिंग का दावा
जून 2017 को पुलिस को सूचना मिली थी आनंदपाल मालासर गांव में एक घर में छिपा है. पुलिस आनंदपाल को गिरफ्तार करने के लिए मौके पर पहुंची. पुलिस की मानें तो आनंदपाल के पास पास AK-47 थी. उसके साथ ही 400 कारतूस भी थे. आनंदपाल ने सरेंडर करने के बजाय छत पर चढ़कर पुलिस पर AK-47 से फायरिंग की.
पुलिस का दावा था कि जिस घर में आनंदपाल छिपा था उसे चारों ओर से घेरने के बाद कई बार मुनादी कर गैंगस्टर को सरेंडर करने के लिए कहा गया था. लेकिन उसने पुलिस की नहीं सुनी. उसने पुलिस पर करीब 100 राउंड फायर किए. इसमें कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए. उसके बाद पुलिस घर के अंदर घुसी. आनंदपाल पीछे के दरवाजे से फायर करता हुआ फरार होने की कोशिश कर रहा था. इसी दौरान पुलिस की जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया. उस पर पुलिस ने छह राउंड गोलियां दागी थीं.
परिवार ने बताया इसे हत्याकांड
लेकिन, आनंदपाल सिंह का परिवार और उनके समर्थकों से इसे हत्याकांड बताया और लगातार सीबीआई से जांच की मांग उठाई. घटना के बाद 18 दिन तक आनंदपाल सिंह का अंतिम संस्कार नहीं किया गया और कई बार आनंदपाल सिंह के गांव में उपद्रव देखने को मिला. पुलिस के साथ लोगों की मुठभेड़ भी हुई. दो लोगों की जान भी गई. कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए. बाद में 13 जुलाई 2017 को पुलिस ने जबरन आनंदपाल सिंह का अंतिम संस्कार करवाया. इस दौरान आनंदपाल सिंह के परिवार का कोई सदस्य नहीं था. न ही कोई गांव वाला था.
सीबीआई की रिपोर्ट को चुनौती दी
दिसंबर 2017 में राजस्थान सरकार ने इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया था. सीबीआई ने जांच के बाद दावा किया कि ये एक एनकाउंटर था. उसके बाद जांच एजेंसी ने अगस्त 2019 में अदालत में क्लोजर रिपोर्ट पेश की. पत्नी राज कंवर और आनंदपाल के भाई रूपेंद्र पाल सिंह ने मई 2023 में इस रिपोर्ट को अदालत में चुनौती दी और खुद को एक प्रत्यक्षदर्शी के तौर पर बताया.
आनंदपाल की पत्नी राज कंवर और भाई मंजीतपाल ने कोर्ट में पेश किए सबूतों के आधार पर दावा किया कि पुलिस की कहानी मनगढंत है. उनका दावा था कि पुलिस जब मालासर पहुंची तब आनंदपाल के भाई रुपेंद्रपाल उर्फ विक्की ने उससे बात की थी. उसे समझाया कि वह सरेंडर कर दे पुलिस उसका एनकाउंटर नहीं करेगी. इस पर रुपेंद्रपाल के पीछे पुलिस उस घर में घुसी जहां आनंदपाल छिपा हुआ था. रुपेंद्रपाल की मौजूदगी में आनंदपाल ने पुलिस के सामने सरेंडर किया.
गैंगस्टर आनंदपाल के भाई मंजीतपाल का दावा था कि एनकाउंटर टीम में शामिल विद्याप्रकाश के पास उसी समय किसी का फोन आया. इस पर सरेंडर करने के बावजूद आनंदपाल को नीचे पटककर मारा गया. फिर करीब तीन से पांच फीट दूर से आनंदपाल की पीठ में गोली दागकर हत्या कर दी गई.
आनंदपाल ने किया था सरेंडर: परिवार
राज कंवर के वकील भंवर सिंह की मानें तो दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने पाया कि आनंदपाल ने मारे जाने से पहले पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था. अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट युवराज सिंह ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया और निर्देश दिया कि तत्कालीन एसपी राहुल बारहट, तत्कालीन डीएसपी विद्या प्रकाश, तत्कालीन इंस्पेक्टर सूर्य वीर सिंह, हेड कांस्टेबल कैलाश चंद्र और सोहन सिंह और कांस्टेबल धर्मपाल, धर्मवीर के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाए. अब सीबीआई की विशेष अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है और कथित फर्जी मुठभेड़ करने वाले 7 पुलिस अफसरों के खिलाफ हत्या का केस चलाए जाने का आदेश दिया है.
अदालत ने केंद्रीय जांच एजेंसी की क्लोजर रिपोर्ट भी खारिज कर दी है और निर्देश दिया कि इसमें शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या और अन्य आरोपों में FIR दर्ज की जाए. अब इस मामले में हत्या का केस चलेगा. अगली सुनवाई जोधपुर हाईकोर्ट में 16 अक्टूबर, 2024 को होगी. पुलिस वाले इस पर क्या दलील देंगे या आगे इस पर क्या होगा. कहीं फिर से यह गुत्थी सुलझते-सुलझते और न उलझ जाए, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
किन पुलिस वालों के खिलाफ FIR?
एनकाउंटर में शामिल तत्कालीन चूरू एसपी राहुल बारहठ वर्तमान में मुंबई एयरपोर्ट पर प्रवासी सरंक्षक के पद पर तैनात हैं. विद्या प्रकाश को उस समय गैलेंटरी प्रमोशन मिला था. वर्तमान में जयपुर एजीएफ में एडिशनल एसपी के पद पर तैनात हैं. सूर्यवीर सिंह राठौड़ वर्तमान में बांसवाड़ा में डिप्टी एसपी के पद पर तैनात हैं. कोर्ट के आदेश के बाद में अब इन अधिकारियों और हेड कांस्टेबल को जो लाभ राज्य सरकार द्वारा मिले थे. वह वापस लौटाना पड़ेगा.