स्कूल के फेसबुक पेज पर आपके बच्चे की फोटो
स्कूल के फेसबुक पेज पर आपके बच्चे की फोटो: क्या प्राइवेसी का हनन है?
आजकल बच्चे पैदा होते ही डिजिटल दुनिया से जुड़ जाते हैं. उनकी हर छोटी-बड़ी बात उनकी जिंदगी के हर पहलू को डिजिटल तरीके से देखा, समझा और रखा जा रहा है. ये सब स्कूल-कॉलेजों में भी हो रहा है.
हम जब भी किसी स्कूल की वेबसाइट या विज्ञापन देखते हैं तो वहां खुश और मुस्कुराते हुए बच्चों की तस्वीरें मिल ही जाती है. यही फोटो स्कूल के न्यूजलेटर्स, सोशल मीडिया पेज और सालाना रिपोर्ट में भी इस्तेमाल होती है. वहीं कुछ स्कूल-कॉलेज अपने प्रचार के लिए बच्चों की फोटो-वीडियो आए दिन सोशल मीडिया पर अपलोड करते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ये आपके बच्चे की प्राइवेसी का हनन नहीं है?
ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऑस्ट्रेलियाई बच्चों की निजी तस्वीरें बिना उनकी या उनके परिवारों की जानकारी या अनुमति के ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल्स को तैयार करने के लिए इस्तेमाल की जा रही हैं. ये तस्वीरें इंटरनेट से चुराई जा रही हैं और फिर उन्हें एक बड़े डेटा सेट में डाल दिया जाता है.
कंपनियां इसी डेटा सेट का इस्तेमाल करके AI टूल्स को ट्रेनिंग देती हैं. इसके बाद दूसरे लोग इन टूल्स का इस्तेमाल करके खतरनाक ‘डीपफेक’ बना रहे हैं, जिससे बच्चे और भी ज्यादा शोषण और खतरे में पड़ जाते हैं.
190 बच्चों की तस्वीरें लीक!
ह्यूमन राइट्स वॉच की जांच में पाया गया है कि LAION-5B नाम का एक डेटा सेट है जिसका इस्तेमाल AI टूल्स बनाने में किया जाता है. ये डेटा सेट ज्यादातर इंटरनेट को खंगालकर बनाया गया है और इसमें ऑस्ट्रेलियाई बच्चों की पहचान वाली तस्वीरों के लिंक्स शामिल हैं. इन तस्वीरों के साथ दिक्कत ये है कि कुछ बच्चों के पूरे नाम तो कैप्शन में लिखे हैं, कुछ के नाम तो उस वेब एड्रेस (URL) में शामिल हैं जहां ये तस्वीरें रखी हुई हैं.
ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि LAION-5B डेटा सेट में पूरे ऑस्ट्रेलिया के सभी राज्यों से 190 बच्चों की तस्वीरें शामिल हैं. असली संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है. असल में ह्यूमन राइट्स वॉच ने इस पूरे डेटा सेट का सिर्फ 0.0001% ही जांच किया है जिसमें 5.85 अरब तस्वीरें हैं.
किन बच्चों की निजी तस्वीरें डेटा चोरी का शिकार!
इन तस्वीरों में बच्चों के जीवन के हर पल की झलक मिलती है. ऑस्ट्रेलिया के आदिवासी बच्चे भी शामिल हैं. इनमें बच्चे के जन्म से लेकर स्कूल में खेलते-कूदते हुए पल तक की तस्वीरें शामिल हैं. जैसे, डॉक्टर के हाथों में एक नवजात बच्चा, प्रीस्कूल में बुलबुले उड़ा रहे बच्चे और स्कूल के स्विमिंग कार्निवल में स्विमसूट पहने बच्चे.
इनमें से कई तस्वीरें पहले बहुत कम लोगों ने देखी थीं और इनकी प्राइवेसी बनी हुई थी. इन्हें इंटरनेट पर सर्च करके भी नहीं ढूंढा जा सकता था. कुछ तस्वीरें बच्चों या उनके परिवारों ने पर्सनल ब्लॉग और फोटो-वीडियो शेयरिंग साइट्स पर डाली थीं. कुछ तस्वीरें स्कूलों या परिवारों की ओर से हायर किए गए फोटोग्राफरों ने डाली थीं. इनमें से कुछ तस्वीरें इन वेबसाइट्स के पब्लिक वर्जन पर नहीं मिलती हैं. कुछ तस्वीरें तो LAION-5B बनने से कई साल पहले ही सोशल मीडिया पर अपलोड की गई थीं.
यूट्यूब वीडियो से भी निकाली बच्चों की तस्वीरें
एक तस्वीर में दो लड़के मजाकिया चेहरे बनाते देखे गए. ये तस्वीर एक वीडियो से ली गई है जिसे स्कूल की परीक्षा खत्म होने के बाद जश्न मनाने वाले टीनएजर्स ने YouTube पर डाली थी. गौर करने वाली बात ये है कि इस वीडियो को प्राइवेट रखा गया था और ये यूट्यूब सर्च में नहीं दिखता था.
यूट्यूब की शर्तों के मुताबिक, किसी भी व्यक्ति की पहचान वाली जानकारी को इकट्ठा करना मना है, लेकिन ऐसा हुआ. जब ये डेटा AI सिस्टम में चला जाता है तो बच्चों की प्राइवेसी को और खतरा होता है. LAION-5B पर ट्रेन किए गए AI मॉडल में भी ये दिक्कतें हैं. ये मॉडल मेडिकल रिकॉर्ड्स और असली लोगों की तस्वीरें जैसी निजी जानकारी को लीक कर सकते हैं. कुछ कंपनियों ने ऐसी जानकारी लीक होने से रोकने के लिए नियम बनाए हैं लेकिन ये नियम बार-बार टूट रहे हैं.
दरअसल, बच्चों की तस्वीरें और निजी जानकारी सोशल मीडिया पर डालने से उनकी पूरी जानकारी हमेशा के लिए इंटरनेट पर सेव हो जाती है. ये डेटा एक ‘डिजिटल कॉपी’ की तरह होता है. ये डेटा हमारे बारे में जानकारी रखता है लेकिन हमें दिखाई नहीं देता. इसे बेचा जा सकता है और इसका इस्तेमाल हमें ऑनलाइन विज्ञापन दिखाने या हमें क्या देखना है, ये तय करने के लिए किया जा सकता है.
स्कूलों को क्या करना चाहिए?
स्कूलों को बच्चों की फोटो, वीडियो और निजी जानकारी को कानून के तहत सुरक्षित रखना जरूरी है. ये नियम हर देश और उनके राज्यों में अलग-अलग हो सकते हैं. ऑस्ट्रेलिया में अगर उन्हें बच्चों की फोटो, वीडियो या कोई दूसरी जानकारी लर्निंग प्लेटफॉर्म, स्कूल की वेबसाइट, विज्ञापन, सोशल मीडिया, स्कूल की खबरों में या फिर न्यूज में इस्तेमाल करनी है तो हर स्कूल को बच्चों या उनके माता-पिता की इजाजत लेनी पड़ती है.
स्कूल को किसी भी बच्चे की फोटो शेयर करने से पहले उसके माता-पिता की लिखित सहमति लेनी चाहिए. अगर माता-पिता सहमत नहीं हैं तो बच्चे का चेहरा छिपाकर फोटो शेयर की जा सकती है. फोटो में से ऐसी कोई भी जानकारी हटानी चाहिए जिससे बच्चे की पहचान आसानी से की जा सके. स्कूल को एक स्पष्ट गोपनीयता नीति बनानी चाहिए जिसमें बताया जाए कि वे बच्चों की फोटो कैसे और क्यों शेयर करेंगे. साथ ही स्कूलों को बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षा के बारे में शिक्षित करना चाहिए ताकि वे समझ सकें कि उनकी निजी जानकारी क्यों अहम है.
क्यों हो सकता है प्राइवेसी का हनन?
बच्चों को अपनी तस्वीर ऑनलाइन शेयर करने का अधिकार होता है. लेकिन बिना उनकी सहमति के उनकी फोटो शेयर करना उनके इस अधिकार का उल्लंघन हो सकता है. ऑनलाइन दुनिया में अजनबी लोग भी होते हैं. बच्चा किसके संपर्क में आ जाए, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है. ऐसे में बच्चे की तस्वीर का इस्तेमाल गलत तरीके से किया जा सकता है.
सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई फोटो पर अक्सर लोग कमेंट करते हैं. कुछ कमेंट्स नेगेटिव या अपमानजनक भी हो सकते हैं जिससे बच्चे साइबर बुलिंग का शिकार हो सकते हैं. आज जो फोटो शेयर की जा रही है वह कल बच्चे के लिए शर्मिंदगी का कारण भी बन सकती है. इसलिए हर व्यक्ति को अपनी गोपनीयता का अधिकार होता है. बच्चों को भी यह अधिकार होता है.
फेसबुक पर क्या है नियम?
फेसबुक पर कई तरीके हैं जिनसे आप ऐसी फोटो या वीडियो की शिकायत कर सकते हैं जो आपकी प्राइवेसी को तोड़ती है. सबसे आसान तरीका है कि आप उस फोटो या वीडियो के पास दिए गए ‘सपोर्ट’ या ‘रिपोर्ट’ वाले लिंक पर क्लिक करें.
अगर किसी फोटो या वीडियो में आपका नाम टैग किया गया है और आपको ये पसंद नहीं है, तो आप अपने नाम के पास दिए गए ‘टैग हटाएं’ वाले लिंक पर क्लिक कर सकते हैं. आपका नाम हट जाएगा और वो फोटो या वीडियो आपके टाइमलाइन से जुड़ा नहीं रहेगा.
फेसबुक के नियम के अनुसार, अगर आप अपने 13 साल से कम उम्र के बच्चे की फोटो हटाना चाहते हैं, तो ऑनलाइन एक फॉर्म भरके भी फेसबुक से फोटो हटाने के लिए अनुरोध कर सकते हैं. अगर आपके बच्चे की उम्र 13 से 17 साल के बीच है फेसबुक कुछ नहीं कर सकता, जब तक कि वो मानसिक या शारीरिक रूप से खुद रिपोर्ट करने में सक्षम न हो. फेसबुक ने अपने नियमों में कहा है कि आप अपने बच्चे से इस बारे में बात करें और उन्हें खुद ही ये रिपोर्ट करने में मदद करें. आप सेफ्टी पर जाकर अपने बच्चों को सुरक्षित रखने के बारे में और अधिक जान सकते हैं.