व्यापमं कांड के आरोपित कांस्टेबल थानों में कर रहे ड्यूटी !
व्यापमं कांड के आरोपित कांस्टेबल थानों में कर रहे ड्यूटी, एसटीएफ के नोटिस से खुली पोल
मध्य प्रदेश में हुए व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले के आरोपित पुलिसकर्मी अब भी थानों पदस्थ हैं। इंदौर एसटीएफ से नोटिस आने के बाद खुलासा हुआ कि ग्वालियर के दो थानों में इन पुलिसकर्मियों की पोस्टिंग हैं। इसमें एक पर रुपये लेकर किसी दूसरी की जगह परीक्षा देने का मामला दर्ज है।
- ग्वालियर थाने में पदस्थ आरक्षक प्रदीप जादौन व्यापमं कांड में आरोपित है।
- प्रदीप ने ही आरक्षक देवेश पचौरी के स्थान पर व्यापमं की परीक्षा दी थी।
- आनन-फानन में एक पुलिस आरक्षक को लाइन हाजिर कर दिया गया है।
ग्वालियर(MP Vyapam Scam)। मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं घोटाले के आरोपित आरक्षक थानों में ड्यूटी कर रहे हैं। ग्वालियर के दो थानों की पोल तो तब खुल गई जब एसटीएफ की इंदौर इकाई का नोटिस आया। इसमें एक आरक्षक को धारा 41 के तहत हाजिर होने के लिए नोटिस जारी किया गया था।
तब सामने आया कि वह व्यापमं कांड में आरोपित है और उसने रुपये बतौर साल्वर किसी दूसरे अभ्यर्थी के स्थान पर परीक्षा देकर उसे परीक्षा उत्तीर्ण करवाई थी। जिस अभ्यर्थी के स्थान पर परीक्षा दी थी, वह भी ग्वालियर में ही पदस्थ है।
जब यह गड़बड़झाला खुला तो आनन-फानन में एक आरक्षक को लाइन हाजिर कर दिया गया। ग्वालियर थाने में पदस्थ आरक्षक प्रदीप जादौन व्यापमं कांड में आरोपित है। उसने आरक्षक देवेश पचौरी के स्थान पर 2012 में व्यापमं द्वारा आयोजित आरक्षक भर्ती लिखित परीक्षा दी थी। इसमें उत्तीर्ण होकर देवेश ने नौकरी भी हासिल कर ली। देवेश अभी जनकगंज थाने में पदस्थ है, जबकि प्रदीप ग्वालियर थाने में पदस्थ है।
पोल खुली तो लाइन अटैच कर दिया
प्रदीप जादौन को दो दिन में हाजिर होने के लिए एसटीएफ की इंदौर इकाई से धारा 41 का नोटिस आया। इसके बाद पोल खुली तो अधिकारियों ने अपना पल्ला झाड़ते हुए उसे लाइन रवानगी दे दी। गुरुवार शाम को ही उसे लाइन रवाना कर दिया गया।
पुलिसकर्मियों में मची खलबली
इसके बाद देवेश के बारे में पता किया गया तो वह जनकगंज थाने में पदस्थ है। उसे इस मामले में अग्रिम जमानत जरूर मिल गई है, लेकिन अब भी व्यापमं कांड का आरोपित है। शुक्रवार को जब देवेश के बारे में पता लगा तो थाना प्रभारी से लेकर अन्य पुलिसकर्मियों में खलबली मच गई।
आपराधकि प्रकरण दर्ज तो थाने में पदस्थापना मिल नहीं सकती
जानकार बताते हैं कि कोई पुलिस अधिकारी हो या पुलिसकर्मी। अगर उस पर आपराधिक प्रकरण दर्ज है तो थाने में पदस्थापना मिल ही नहीं सकती। वहीं ग्वालियर में तो व्यापमं कांड के अन्य आरोपित पुलिसकर्मी बर्खास्त तक हो चुके हैं। ऐसे में यह दोनों पुलिसकर्मी किसकी मेहरबानी से थाने में शान से नौकरी कर रहे थे, इसे लेकर तमाम चर्चाएं चल रही हैं।
चार महीने पहले ग्वालियर थाने में हुई पदस्थापना
चार महीने पहले ही आरक्षक प्रदीप जादौन की पदस्थापना ग्वालियर थाने में हुई। इससे पहले वह डीएसपी संतोष पटेल के आफिस में पदस्थ रहा। जब डीएसपी संतोष पटेल एसडीओपी घाटीगांव थे, तब वह इन्हीं के आफिस में पदस्थ था। अब सवाल है कि जब उस पर आपराधिक प्रकरण दर्ज था तो किस तरह पूरे सिस्टम की आंख में धूल झोंककर वह लगातार पदस्थापना लेता रहा।
एक आरोपित तो दो ही थानों में करता है नौकरी
देवेश पचौरी के बारे में पुलिसकर्मियों ने दबी जुबान में कहा कि वह सिर्फ दो थानों में ही मन लगाकर नौकरी करता है। इसमें जनकगंज और पुरानी छावनी थाने शामिल हैं। उसकी अधिकांश नौकरी इन दोनों थानों की ही है।