बजट सत्र : विपक्ष के हौसले बुलंद, मोदी सरकार की दिक्कतें बढ़ेगी
संसद के बजट सत्र में वित्तीय कामकाज पर राजनीतिक मुद्दों के हावी होने के आसार हैं। इस दौरान दिल्ली विधानसभा का चुनाव प्रचार चरम पर होगा और उसका असर संसद में भी दिखेगा। साथ ही विपक्ष के पास विरोध के मुद्दों की भरमार है।
हाल के विधानसभा चुनावों में मिली जीत से विपक्ष के हौंसले भी बुलंद हैं। ऐसे में सरकार को सत्र के पहले चरण में काफी विरोध का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि लोकसभा में बहुमत होने और राज्यसभा की अनिवार्यता न होने से बजट पर असर नहीं पड़ेगा। संसद के बजट सत्र के लिए राजनीतिक दलों की तैयारियां शुरू हो गई हैं।
कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल सोमवार को रणनीति तय करने बैठेंगे। हालांकि तृणमूल कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दल इससे दूरी बना सकते हैं। इसके बावजूद सीएए, जेएनयू, एनआरसी व एनपीआर के मुद्दे ऐसे हैं जिन पर विपक्ष अपने सड़क के संघर्ष को संसद में भी ले जाएगा। दरअसल महाराष्ट्र व झारखंड में भाजपा से सत्ता छीनने और हरियाणा में बेहतर प्रदर्शन करने से विपक्ष के हौसले बुलंद हैं और वह लोकसभा चुनाव की हार के सदमे से भी उबर आया है।
राष्ट्रपति के अभिभाषण में होगा सरकार का रोड मैप :
बजट सत्र की तारीखें और दिल्ली का विधानसभा चुनाव लगभग साथ है। ऐसे में संसद के भीतर व सड़क पर राजनीतिक वार व पलटवार के सुर एक जैसे हो सकते हैं। विपक्ष की काट के लिए सरकार बजट में बड़ी घोषणाएं कर सकती है, जिससे जनता में विपक्ष के हंगामे से ज्यादा चर्चा बजट को लेकर रहे। सरकार इसके संकेत राष्ट्रपति के अभिभाषण में ही दे देगी कि आगामी वित्त वर्ष के लिए उसके रोड मैप में क्या है?
हंगामा हुआ तो भी बजट पारित कराना आसान :
लोकसभा में भारी भरकम बहुमत होने से सरकार के वित्तीय कामकाज पर असर नहीं पड़ेगा। वह आसानी से वहां से बजट पारित करा सकती है। राज्यसभा में सरकार का अपना बहुमत नहीं है, लेकिन इस कार्यकाल में उसने हर बड़े मौके पर बहुमत से ज्यादा का समर्थन जुटाया है। चूंकि राज्यसभा के लिए वित्तीय कामकाज पर सदन की मुहर अनिवार्य नहीं होती है, इसलिए सरकार उसे लेकर ज्यादा चिंतित भी नहीं है।
दोनों सदनों के सभापतियों की बढ़ेगी भूमिका :
सत्तापक्ष व विपक्ष के आमने-सामने टकराव की मुद्रा में होने से एसे में दोनों सदनों में पीठासीन अधिकारियों की भूमिका बढ़ जाएगी। खासकर लोकसभा में जहां लोकसभा अध्यक्ष सांसदों को भरपूर मौका दे रहे हैं, लेकिन हंगामे को कतई सहन नहीं कर रहे हैं। राज्यसभा में भी सभापति वेंकैया नायडू समय समय पर सदन में हंगामा को लेकर सख्ती दिखाते रहे हैं। सरकार को भी उम्मीद है कि दोनों सदनों के सभापतियों का रवैया सदन संचालन में मददगार होगा।