बढ़ते साइबर अपराध, धोखाधड़ी रोकना और डिजिटल समझ बढ़ाना आवश्यक
बढ़ते साइबर अपराध, धोखाधड़ी रोकना और डिजिटल समझ बढ़ाना आवश्यक
साइबर अपराध रोकने के लिए एक ओर जहां पुलिस एवं अन्य एजेंसियों को सक्षम बनाने की आवश्यकता है वहीं दूसरी ओर नियम-कानूनों को दुरुस्त करने की भी जरूरत है। इसी के साथ संचार-तकनीक क्षेत्र की कंपनियों को जवाबदेह बनाने के भी उपाय किए जाने चाहिए। आखिर यह कैसे संभव है कि साइबर अपराधी किसी और के नाम से मोबाइल सिम हासिल करने में समर्थ हो जा रहे हैं?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ग्लोबल फिनटेक फेस्ट को संबोधित करते हुए यह सही कहा कि साइबर धोखाधड़ी रोकना और डिजिटल समझ बढ़ाना आवश्यक है, लेकिन इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए सरकार और उसकी एजेंसियों को सक्रिय होना होगा। यह सक्रियता तत्काल प्रभाव से दिखानी होगी, क्योंकि साइबर धोखाधड़ी अनियंत्रित होती दिख रही है।
देश के विभिन्न हिस्सों से प्रतिदिन साइबर धोखाधड़ी के मामले सामने आ रहे हैं। साइबर अपराधी लोगों को ठगने के लिए जिस तरह नए-नए तरीके अपना रहे हैं, उससे तो ऐसा लगता है कि उन्होंने ठगी का सुगठित तंत्र विकसित कर लिया है। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि कुछ समय पहले तक झारखंड का जामताड़ा क्षेत्र साइबर ठगों की हरकतों के लिए कुख्यात था, लेकिन अब देश में जगह-जगह जामताड़ा बन गए हैं।
साइबर अपराधियों का दुस्साहस किस तरह बढ़ रहा है, इसका पता इससे चलता है कि पहले वे लोगों को बहकाकर या लालच देकर ठगते थे, अब वे डरा-धमका कर वसूली कर रहे हैं। यह भी साइबर अपराधियों के बढ़ते दुस्साहस का ही प्रमाण है कि वे फर्जी काल सेंटर तक स्थापित कर ले रहे हैं।
साइबर अपराध रोकने के लिए एक ओर जहां पुलिस एवं अन्य एजेंसियों को सक्षम बनाने की आवश्यकता है, वहीं दूसरी ओर नियम-कानूनों को दुरुस्त करने की भी जरूरत है। इसी के साथ संचार-तकनीक क्षेत्र की कंपनियों को जवाबदेह बनाने के भी उपाय किए जाने चाहिए। आखिर यह कैसे संभव है कि साइबर अपराधी किसी और के नाम से मोबाइल सिम हासिल करने में समर्थ हो जा रहे हैं?
कई बार यह देखने में आया है कि कुछ मामलों में टेक कंपनियां संदिग्ध साइबर अपराधियों का विवरण देने में आनाकानी करती हैं। सरकार को ऐसी कंपनियों के खिलाफ कठोरता का परिचय देने में संकोच नहीं करना चाहिए। यह स्वीकार्य नहीं कि ऐसी कंपनियां गोपनीयता के नाम पर साइबर अपराधियों के पक्ष में खड़ा होना पसंद करें।
यह सही है कि साइबर अपराध के प्रति लोगों को भी सजग होना होगा और उन्हें लालच में आने से बचना होगा, लेकिन यह काम रातोरात नहीं हो सकता। लोगों को जागरूक करने का अभियान छेड़ने के साथ ही सरकार और एजेंसियों को कुछ ऐसा करना होगा, जिससे साइबर अपराधियों के मन में भय व्याप्त हो।
अभी तो वे पूरी तरह बेलगाम और बेखौफ दिखते हैं। आज जब वित्तीय कार्यों में प्रौद्योगिकी का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है और इसके चलते फिनटेक कंपनियां बढ़ रही हैं, तब फिर इसके लिए जतन करने ही होंगे कि साइबर अपराध पर प्रभावी ढंग से अंकुश लगे।