कन्हैया लाल मर्डर: मुख्य साजिशकर्ता’ को किस आधार पर मिली जमानत?

कन्हैया लाल मर्डर: फरहाद के बाद अब जावेद बाहर…’मुख्य साजिशकर्ता’ को किस आधार पर मिली जमानत?
जून 2022 में उदयपुर में हुए कन्हैया लाल हत्याकांड में एक और आरोपी को जमानत मिल गई. हत्या से पहले घटनास्थल की रेकी करने और साजिश रचने को लेकर गिरफ्तार हुए मोहम्मद जावेद को राजस्थान हाईकोर्ट कुछ शर्तों पर राहत दे दी. उच्च न्यायलय में उनके वकील ने किस तरह की दलीलें रखीं और अदालत ने किन बातों के आधार पर जमानत दी, आइये समझें.
कन्हैया लाल मर्डर: फरहाद के बाद अब जावेद बाहर...'मुख्य साजिशकर्ता' को किस आधार पर मिली जमानत?

कन्हैयालाल और उनकी हत्या करने वाले मुख्य आरोपी गौस मोहम्मद और मोहम्मद रियाज

करीब दो साल पहले राजस्थान के उदयपुर में हुए कन्हैयालाल हत्याकांड मामले में एक और आरोपी, मोहम्मद जावेद को जमानत मिल गई. इससे पहले 1 सितंबर 2023 को आरोपी फरहाद मोहम्मद शेख उर्फ बाबला को भी जमानत मिल चुकी है. जावेद को तो राजस्थान उच्च न्यायालय से बेल मिली जबकि फरहाद को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की कोर्ट ने जमानत दिया था.

मोहम्मद जावेद पर कन्हैया लाल की हत्या से पहले इलाके की रेकी करने का आरोप था. कन्हैया की हत्या के एक महीने के बाद जावेद की गिरफ्तारी एनआईए ने की थी. एनआईए इस केस की जांच हत्या के अगले ही दिन (यानी 29 जून 2022) से कर रही है. और वह दिसंबर 2023 में 11 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र भी दाखिल कर चुकी है. जिनमें से दो पाकिस्तानी हैं.

किस तरह हुई थी कन्हैया लाल की निर्मम हत्या?

फिर क्या, सनक से भरे दो लोग – गौस मोहम्मद और मोहम्मद रियाज अट्टारी कन्हैया लाल की दुकान में ग्राहक की तरह दाखिल हुए और एक धारदार हथियार से कन्हैया लाल की गला रेतकर हत्या कर दी. न केवल इतना, उन्होंने इस वीभत्स घटना का वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर डाल दिया. पुलिस ने मुस्तैदी दिखाते हुए दोनों को कुछ ही घंटे के भीतर गिरफ्तार किया. आज भी ये दोनों अजमेर जेल में बंद हैं.

मोहम्मद जावेद पर आरोप और जमानत की शर्तें

जावेद पर अन्य लोगों के साथ मिलकर हत्या की साजिश रचने, रेकी करने तथा हत्या से पहले कन्हैया लाल के अपनी दुकान पर मौजूद होने की सूचना अटारी और गौस को देने का आरोप लगाया गया था.

मामले की जांच एनआईए कर रही है. जयपुर में एनआईए की अदालत ने 11 आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 452, 153-ए, 295-ए, 120-बी और यूएपीए के तहत आरोप तय किया है.

इस जघन्य अपराध के तकरीबन दो साल बाद मोहम्मद जावेद को राजस्थान हाईकोर्ट से कुल 3 लाख रुपये के मुचलके पर जमानत मिल गई. जमानत की शर्तों के मुताबिक जावेद देश छोड़कर बाहर नहीं जा सकेगा. और एनआईए की जांच में लगातार सहयोग करना होगा.जावेद ने राजस्थान उच्च न्यायालय से पहले एनआईए की अदालत से राहत की गुहार लगाई थी मगर वहां उसकी बात न बनी. इसके बाद जावेद ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

किस आधार पर जावेद को मिली जमानत

मोहम्मद जावेद की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट में सैयद सादत अली पेश हुए. अली की मुख्यतः 4 दलील थी –

पहला – जावेद के यहां से किसी भी तरह की कोई बरामदगी नहीं हुई है और मुकदमे में अब भी उसका दोषी साबित होना बाकी है. जावेद एक चुड़ी की दुकान पर काम करता था. एनाआईए ऐसा कोई सीसीटीवी फुटेज नहीं दे पाई है जिससे यह साबित हो सके कि इस हत्या में जावेद की कोई मिलीभगत थी.

दूसरा – एनाआईए ने दावा किया था कि जावेद और दूसरे आरोपियों ने 27 जून को एक चाय की दुकान पर कन्हैयालाल के हत्या की साजिश रची. हालांकि, चाय की दुकान के मालिक का बयान इस दावे से अलग है.

तीसरा – एनाआई यह साबित करने में नाकाम रही है कि जावेद ने हत्या से पहले घटनास्थल की किसी तरह की कोई रेकी की. हत्या करने वाले मुख्य आरोपियों के बारे में कहा जाता है कि वे घटना से पहले एक चाय की दुकान पर इकठ्ठा हुए लेकिन जावेद के लोकेशन से मालूम होता है कि वह वहां मौजूद नहीं था.

चौथा – जावेद की गिरफ्तारी फोन कॉल के रिकॉर्ड्स पर हुई. जबकि साजिश रचने में शामिल रहे दूसरे आरोपियों और जावेद के लोकेशन में अंतर रहा. जावेद को एक नामूलम नंबर से 11 बजे कॉल आया जबकि हत्या 3 बजकर 30 मिनट पर हुआ. साथ ही, मुख्य आरोपी अट्टारी और जावेद के बीच कभी भी फोन पर बातचीत नहीं हुई.

सैयद सादत अली की दलीलों पर गौर करते हुए जस्टिस पंकज भंडारी और प्रवीन भटनागर की डिवीजन बेंच ने जावेद की जमानत का आदेश दे दिया.

जमानत पर BJP और कांग्रेस में तू-तू, मैं-मैं

मोहम्मद जावेद की जमानत पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने भाजपा को घेरा है. गहलोत का इल्जाम है कि भाजपा ने इस केस को राजनीतिक तौर पर भुनाया लेकिन पीड़ित के परिवार को न्याय नहीं दिया.

अशोक गहलोत ने कहा कि – केंद्र सरकार की एनआईए दोषियों को सजा दिलाने में विफल रही है और लोग ये नहीं भूले हैं कि इस हत्याकांड को अंजाम देने वाले दोनों मुख्य आरोपी भाजपा के कार्यकर्ता थे.

भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ ने दोषियों को सजा दिलाने की प्रतिबद्धता को दोहराया है. अशोक गहलोत की ओर से एनआईए की जांच और भाजपा की कथनी-करनी पर सवाल उठाने के जवाब में राठौड़ ने जयपुर सीरियल ब्लास्ट की जांच में हुई ढिलाई का आरोप कांग्रेस के सिर मढ़ा है.

राठौड़ ने पूछा कि – गहलोत साहब, आप जयपुर ब्लास्ट में बारे गए बेगुनाह 71 लोगों को कैसे भूल रहे हैं? जिनकी हत्या हुई और कांग्रेस की पुरानी सरकारों के दौरान ढुलमुल कानूनी कार्रवाई की वजह से ब्लास्ट करने वाले आतंकी बरी हो गए, उसका दोषी कौन है?

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