ग्वालियर-दिल्ली की ट्रेनें प्रभावित तो यात्री “बे-बस”
200 रुपये में आगरा जाने के लिए चुनिंदा निजी बस सवारी बैठा भी लेती हैं तो धौलपुर उतार दें या आगरा से पहले कोई गारंटी ही नहीं है। दिल्ली के नाम पर सवारियों को भर लिया जाता है क्योंकि ग्वालियर-आगरा के लिए परमिट नहीं है। उधर यूपी रोडवेज की दो तीन बसें जो ग्वालियर आना चाहती है वे गुंडई के कारण यहां रुकने नहीं दी जातीं।

- ग्वालियर से आगरा तक भी जाने की सोच रहे तो मुसीबत भरा हो सकता है सफर
- रेलवे स्टेशन के पास स्थित बस स्टैंड पर बेतरतीब बसों की भीड़ महज धोखाधड़ी जैसी है
- यूपी रोडवेज की दो तीन बसें जो ग्वालियर आना चाहती है वे गुंडई के कारण यहां रुकने नहीं दी जातीं
ग्वालियर। रेल सेवा प्रभावित होने के कारण अगर आप यात्री बस से आगरा-दिल्ली का सुलभ सफर करने की सोच रहे हैं तो सावधान हो जाइए। कोई सुचारू बस सेवा नहीं है। रेलवे स्टेशन के पास स्थित बस स्टैंड पर बेतरतीब बसों की भीड़ महज धोखाधड़ी जैसी है, मनमाने रूटों पर मनमाने ढंग से निजी बस सेवा का परिवहन है, रोडवेज तो है नहीं, इसलिए नियम कायदे तो भूल ही जाइए।
200 रुपये में आगरा जाने के लिए चुनिंदा निजी बस सवारी बैठा भी लेती हैं तो धौलपुर उतार दें या आगरा से पहले कोई गारंटी ही नहीं है। दिल्ली के नाम पर सवारियों को भर लिया जाता है क्योंकि ग्वालियर-आगरा के लिए परमिट नहीं है। उधर यूपी रोडवेज की दो तीन बसें जो ग्वालियर आना चाहती है वे गुंडई के कारण यहां रुकने नहीं दी जातीं। इसलिए गोला का मंदिर रूट से जिन यात्रियों की हिम्मत है वही बस पकड़ पाते हैं।
आगरा की बसें यहां नहीं आने देते,वे ग्वालियर की नहीं रूकने देते
ग्वालियर और आगरा के बस आपरेटरों के बीच कोई तालमेल नहीं है। यहां तक कि यूपी रोडवेज की बसों को ग्वालियर रेलवे स्टेशन बस स्टैंड पर नहीं आने दिया जाता है यहां न आने देने के कारण यह बसें गोला का मंदिर क्षेत्र में जेबी मंघाराम फैक्ट्री के सामने खड़ी होती हैं। सुबह यहां से बसें निकलतीं हैं, जिन ग्वालियर के यात्रियों को जानकारी होती है वे वहां पहुंचकर आगरा के लिए बस पकड़ लेते हैं। इसी तरह ग्वालियर के निजी आपरेटरों की बसों को यूपी रोडवेज वाले खड़े नहीं होने देते हैं, इससे आगरा से ग्वालियर आने वाले यात्रियों को परेशानी होती है। इस आपसी खींचतान में यात्रियों की फजीहत हो रही है।
यह चलता है खेल: सवारियों की अलट-पलट
ग्वालियर से दिल्ली तक के रूट की बात की जाए तो सबसे ज्यादा सवारियों का अलट पलट का खेल चलता है। शुरूआत मुरैना से होती है। ग्वालियर से धौलपुर कहकर सवारी बैठा ली जाती है और मुरैना पर उतार दिया जाता है। मुरैना से दूसरी बस की व्यवस्था की जाती है लेकिन कभी होती भी है तो कभी नहीं होती। इसी तरह आगरा जाने के लिए जो बसें यहां से यात्रियों को बैठाती हैं उन्हें धौलपुर में उतार दिया जाता है, दूसरी बस में बैठाया तो ठीक नहीं तो आप खुद जानो।
रोडवेज बंद होने के कारण यात्री परेशान हैं, संविधान में यात्री सुविधाएं दिए जाने का प्रविधान है, इसे बंद नहीं किया जा सकता है। देश के अलग अलग राज्यों में रोडवेज बसें चल रही हैं। मप्र में रोडवेज की बसों का संचालन नहीं है,यह दुविधा है। रोडवेज का बंद करना असंवैधानिक है। ग्वालियर और आगरा के बीच बड़ा रूट है इसको लेकर रोज हजारों यात्री परेशान होते हैं। निजी बस आपरेटरों की मनमानी और मुसीबत बढ़ाती है।
सेवानिवृत उप परिवहन आयुक्त