तो संसद में गिर जाएगा वन नेशन, वन इलेक्शन बिल… ?

तो संसद में गिर जाएगा वन नेशन, वन इलेक्शन बिल… केंद्र को घेरने के लिए कांग्रेस बना रही ये प्लान
वन नेशन, वन इलेक्शन पर अगर विपक्ष एकजुट रहती है तो लोकसभा में इसे पारित कराना सरकार के लिए आसान नहीं होगा. सरकार को इस बिल को पास कराने के लिए कम से कम 362 वोटों की जरूरत होगी, लेकिन अभी उसके पास सिर्फ 293 सांसद ही है.
तो संसद में गिर जाएगा वन नेशन, वन इलेक्शन बिल... केंद्र को घेरने के लिए कांग्रेस बना रही ये प्लान

वन नेशन, वन इलेक्शन पर विपक्षी दलों को एकजुट करेगी कांग्रेस

वन नेशन वन इलेक्शन पर सरकार की मजबूत घेराबंदी के लिए कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों को साधना शुरू कर दिया है. पार्टी की कोशिश इंडिया गठबंधन के दलों को एकजुट रखते हुए बीजेपी के नैरेटिव को शिकस्त देने की है. जल्द ही इसकी कवायद जमीन पर दिख सकती है.

इन 2 मोर्चों पर मोदी सरकार को घेरने की तैयारी

1. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक इस एक देश, एक चुनाव के अधिनियम को पास कराने के लिए सरकार को विशेष बहुमत की जरूरत होगी. यानी दो तिहाई बहुमत की. वर्तमान में एनडीए दलों के पास सिर्फ 293 सांसद हैं. यह जरूरी 362 वोटों से काफी कम है. ऐसे में अगर इंडिया लोकसभा में एकजुट रहती है तो मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती है.

खर्च और नीति वाले तर्क के खिलाफ दलील तैयार

कांग्रेस लोगों को यह समझाने का प्रयास करेगी कि वन नेशन, वन इलेक्शन कैसे संभव नहीं है. इसके लिए पुराने रिपोर्ट को आधार बनाया गया है. साल 1952 में एक साथ पूरे देश का चुनाव कराया गया था, लेकिन सरकार गिरने और राष्ट्रपति शासन लगने की वजह से अब अलग-अलग चुनाव कराए जा रहे हैं. कांग्रेस का कहना है कि आगे यह नहीं होगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है.

पार्टी ने सरकार के उन 2 तर्कों के खिलाफ भी दलील तैयार किया है, जिसमें कहा जा रहा है कि इससे पैसों की बचत होगी और नीति बनाने में सहूलियत होगी.

कांग्रेस का कहना है कि उद्योगपतियों का लोन माफ करने सरकार इन बातों का ध्यान क्यों नहीं रखती है? बात नीति निर्माण की है तो सरकार के पास नीति बनाने के लिए 4 साल 11 महीने का वक्त होता है.

इन दलों का विरोध, शीतकालीन सत्र में बड़ा मुद्दा

इंडिया गठबंधन में शामिल समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल जैसे दलों ने वन नेशन वन इलेक्शन का खुलकर विरोध किया है. अखिलेश ने इसे साजिश करार दिया है. वहीं आप का कहना है कि इसके जरिए बीजेपी जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहती है.

तृणमूल सुप्रीमो और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे संघीय ढांचा के खिलाफ बताया है. कहा जा रहा है कि जिस तरह से विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ हमलावर है, उससे संसद के शीतकालीन सत्र में इस मुद्दा के गर्म रहने की चर्चा है.

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