जिन कर्मियों के कंधों पर स्वच्छता का जिम्मा, उनकी सेहत की ही नगर निगम को नहीं चिंता ?
जिन कर्मियों के कंधों पर स्वच्छता का जिम्मा, उनकी सेहत की ही नगर निगम को नहीं चिंता
स्वच्छता के सिपाही बिना मास्क, दस्ताने, टोपी आदि लगाए शहर के वार्डों में घरों से गीला, सूखा व अन्य तरह का कचरा एकत्रित कर रहे हैं। वह ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र पर भी बिना किसी सुरक्षा के काम कर रहे हैं। ऐसे में उनको हमेशा गंभीर बीमारी होने का खतरा बना रहता है। इनके स्वास्थ्य की चिंता न तो ठेका कंपनी को है न नगर निगम को।
- सफाई कर्मचारियों को नहीं दी गई है सुरक्षा किट।
- असुरक्षित माहौल में काम करने को मजबूर सफाईकर्मी।
- सुरक्षा किट में दस्ताने, मास्क, एप्रिन, टोपी आदि शामिल।
भोपाल। शहर को स्वच्छ बनाए रखने का जिम्मा जिनके कंधों पर है, उनके ही स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। दरअसल स्वच्छता के सिपाही बिना मास्क, दस्ताने, टोपी आदि लगाए शहर के वार्डों में घरों से गीला, सूखा व अन्य तरह का कचरा एकत्रित कर रहे हैं। वह ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र पर भी बिना किसी सुरक्षा के काम कर रहे हैं। ऐसे में उनको हमेशा गंभीर बीमारी होने का खतरा बना रहता है। इनके स्वास्थ्य की चिंता न तो ठेका कंपनी को है न नगर निगम को। जब नवदुनिया की टीम आरिफ नगर स्थित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र पहुंची तो यह हकीकत सामने आई। यह हाल तब है, जब शहर में ‘स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा 2024’ मनाया जा रहा है।
32 कर्मचारी, एक के पास भी नहीं दिखी सुरक्षा किट
आरिफ नगर स्थित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र में गीला-सूखा, प्लास्टिक, कांच, धातु, ई-कचरा, चिकित्सकीय अपशिष्ट, निर्माण अपशिष्ट, सीवेज कीचड़ आदि तरह का कचरा पहुंचता है। कचरे को पृथक करने के लिए निजी कंपनी को ठेका दिया गया है। यहां कंपनी के 21 तो नगर निगम के 11 कर्मचारी सहित कुल 32 कर्मचारी कार्यरत हैं। केंद्र पर शनिवार को कर्मचारी बिना सुरक्षा किट पहने ही वाहनों से कचरा खाली करवा रहे थे।
सुरक्षा किट पर प्रतिवर्ष खर्च होते दो करोड़
शहर को स्वच्छ बनाए रखने के लिए लगभग 12 हजार से अधिक सफाई कर्मचारी नगर निगम ने तैनात कर रखे हैं। इनको सुरक्षा किट देने के लिए प्रति वर्ष दो से तीन करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं। इसके बाद भी वह सुरक्षा किट पहने नजर नहीं आते हैं।
100 वाहनों से पहुंचता है 70 टन कचरा
केंद्र पर आरिफ नगर, करोंद, हाउसिंग बोर्ड, देवकी नगर, निशातपुरा, लांबाखेड़ा, नवीबाग, छोला, नारियल खेड़, टीलाजमालपुरा, डीआइजी बंगला, सिंधी कालोनी, जेपी नगर सहित आसपास के क्षेत्रों से कचरा एकत्रिकरण करने के लिए 100 वाहन लगे हुए हैं। केंद्र पर प्रतिदिन 70 टन कचरा पहुंचता है। इस कचरे को यहां अलग-अलग करने के बाद आदमपुर छावनी भेजा जाता है।
कर्मचारी बोले, कभी-कभी मिलते हैं उपकरण
सफाई कर्मचारियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि वर्षा का समय निकल गया है लेकिन सुरक्षा किट नहीं दी गई है, जो दी गई थी वह फट गई हैं। मजबूरी में वह परिवार का पेट पालने के लिए बिना किट पहने काम कर रहे हैं। सफाई कर्मचारियों को दस्ताने, मास्क, एप्रिन, टोपी सहित सुरक्षा किट दी जानी चाहिए।
क्या है ठोस अपशिष्ट प्रबंधन
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन अपशिष्टों के संग्रहण, उपचार और निपटान की प्रक्रिया है। इसमें कचरे को विभिन्न जगहों से एकत्रित कर उसका निपटान किया जाता है। यह प्रक्रिया निगरानी में होनी चाहिए, जिससे सख्त नियमों और दिशा-निर्देशों का पालन किया जा सके।
सफाई कर्मचारियों के स्वास्थ्य का पूरा ध्यान नगर निगम द्वारा रखा जाता है। उनका स्वास्थ्य परीक्षण समय-समय पर कराया जाता है। उनको सुरक्षा किट उपलब्ध कराई जाती है। यदि किसी ठेका कंपनी द्वारा लापरवाही बरती जा रही है तो इसे दिखवाकर व्यवस्था में सुधार कराया जाएगा।
– मालती राय, महापौर
शहर में 12 से 15 हजार सफाई कर्मचारी तैनात हैं। नगर निगम द्वारा इनको सुरक्षा किट देने के नाम पर दो से तीन करोड़ रुपये खर्च होते हैं। इस बार अब जाकर 50 लाख का टेंडर नगर निगम ने जारी किया है लेकिन अभी तक कोई लेने को तैयार नहीं है।
-शबिस्ता जकी, नेता प्रतिपक्ष, नगर निगम