क्या 200 नए सीजीएचएस केंद्र खोलने पर राजी होगी सरकार?
CGHS: क्या 200 नए सीजीएचएस केंद्र खोलने पर राजी होगी सरकार?
6000 कार्ड होने की शर्त में बदलाव करने की मांग
केंद्र सरकार के एक बड़े कर्मचारी संगठन ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव से सीजीएचएस केंद्रों की संख्या बढ़ाने की मांग की है। ‘कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स’ के महासचिव एसबी यादव ने सचिव को लिखे अपने पत्र में कहा है कि देश में कम से कम 200 नए सीजीएचएस केंद्र खोले जाने चाहिए। मौजूदा समय में अगर किसी नए शहर में सीजीएचएस वेलनेस सेंटर खोला जाता है तो उसके लिए कम से कम वहां पर 6000 सीजीएचएस कार्ड होने की शर्त रखी गई है। यादव ने मांग की है कि इस शर्त में बदलाव कर सीजीएचएस कार्ड होने की संख्या को घटाकर 4000 किया जाए।
‘कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स’ के महासचिव एसबी यादव ने 23 सितंबर को यह पत्र लिखा है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत ‘सीजीएचएस’ के तहत केंद्र सरकार में कार्यरत कर्मचारी, पेंशनर और उनके परिजनों को मिलाकर 42 लाख से अधिक लाभार्थी, इस स्वास्थ्य सुविधा का लाभ उठा रहे हैं। सीजीएचएस सेवाओं का विस्तार करने की पर्याप्त गुंजाइश है। उत्तर पूर्व के राज्यों सहित पूरे भारत के 200 शहरों में सीजीएचएस की सेवाओं का विस्तार किया जाना चाहिए। सीजीएचएस के दायरे में आने वाले शहर में केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) की नई डिस्पेंसरी स्थापित करने के लिए वहां पर कम से कम 2000 कार्ड धारक (केंद्र सरकार के सेवारत कर्मचारी और केंद्रीय सिविल पेंशनभोगी) होने चाहिएं। अगर नए शहर में सीजीएचएस डिस्पेंसरी या वेलनेस सेंटर खोलना है तो उसके लिए कम से कम 6,000 कार्ड धारक होने जरुरी हैं। मौजूदा समय में कई शहरों एवं दूरवर्ती स्थानों पर सीजीएचएस वेलनेस सेंटर खोले जाने की आवश्यकता है।
यादव के अनुसार, मेट्रो शहरों और राज्य की राजधानियों में भी अधिक सीजीएचएस वेलनेस सेंटर खोले जाने की आवश्यकता है। नए वेलनेस सेंटर खोलने के लिए न्यूनतम 6000 कार्ड के सीजीएचएस मानदंडों में ढील देकर सीजीएचएस को देश के 200 से अधिक शहरों में फैलाया जाना चाहिए। अभी यह नियम है कि सीजीएचएस के एक्सटेंशन काउंटरों के लिए किसी भी डॉक्टर या सहायक कर्मचारी को मंजूरी नहीं दी जाती है। इसके चलते अन्य कल्याण केंद्रों पर डॉक्टरों और कर्मचारियों की कमी हो रही है। सीजीएचएस विस्तार काउंटरों के मामले में इस समस्या को हल करने के लिए डॉक्टरों और कर्मचारियों को मंजूरी दी जानी चाहिए। इसके साथ ही 4000 से अधिक कार्ड वाले शहरों में एक वेलनेस सेंटर भी खोलना चाहिए।
मेट्रो शहर, जैसे हैदराबाद और बेंगलुरु आदि में वर्तमान यातायात की स्थिति खराब है। आठ किलोमीटर की यात्रा करने में एक घंटे से अधिक का समय लगता है। इन शहरों की सीमा भी 40 किलोमीटर से अधिक बढ़ गई है, इसलिए इन शहरों में अधिक स्वास्थ्य केंद्र होने खोले जाने की आवश्यकता है। केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) के कामकाज के लिए गठित 155 वीं कमेटी की रिपोर्ट के पैरा संख्या 1.4.4 में कहा गया है कि मौजूदा और नए शहरों में सीजीएचएस के कवरेज नेटवर्क का विस्तार करने की जरुरत है। इसके लिए अलग से आवंटन किए जाने की आवश्यकता है। इन विशेष निधियों का उपयोग सरकारी अस्पतालों में नए वेलनेस सेंटर, पॉलीक्लीनिक और अलग सीजीएचएस विंग खोलने के लिए किया जा सकता है।
समिति का मानना है कि इस तरह के कदम से मंत्रालय नई सीजीएचएस सुविधाएं खोलने के लिए समयबद्ध तारीख और लक्ष्य निर्धारित करने में सक्षम होगा। पैरा संख्या 2.2.1 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया था कि अगस्त 2023 तक, 80 शहरों में सीजीएचएस के 340 सीजीएचएस एलोपैथिक कल्याण केंद्र संचालित हैं। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन 340 एलोपैथिक कल्याण केंद्रों में से 26 प्रतिशत तो दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में ही केंद्रित हैं।
इसके अलावा, केवल छह राज्यों (दिल्ली एनसीआर क्षेत्र को छोड़कर) में 10 प्रतिशत से अधिक सीजीएचएस केंद्र हैं। इससे यह पता चलता है कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में सीजीएचएस सेवाओं का वितरण और पहुंच न्यायसंगत नहीं है। समिति ने यह भी कहा है कि अरुणाचल प्रदेश, लद्दाख और अंडमान एवं लक्षद्वीप में कोई सीजीएचएस कल्याण केंद्र नहीं है।
कमेटी की रिपोर्ट के पैरा संख्या 2.2.2 में कहा गया है कि ऐसे कई शहर और कस्बे हैं, जहां बड़ी संख्या में केंद्र सरकार के कर्मचारी, पेंशनभोगी और उनके आश्रित रहते हैं। वहां पर कोई सीजीएचएस कल्याण केंद्र मौजूद नहीं है। परिणामस्वरूप, लाभार्थियों, विशेष रूप से सेवानिवृत्त लाभार्थियों को चिकित्सा उपचार प्राप्त करने के लिए लंबी दूरी की यात्रा करनी पड़ती है।
इस वजह से उन्हें असुविधा का सामना करना पड़ता है। समिति का मानना है कि यह परिदृश्य, लाभार्थियों पर आर्थिक रूप से बोझ डालने के अलावा, लाभार्थियों के लिए कई अन्य कठिनाइयों का भी कारण बनता है। इन सबके चलते केंद्र सरकार के कर्मचारियों और श्रमिकों का परिसंघ, यह मांग करता है कि मौजूदा शहरों और नए शहरों में 200 से अधिक सीजीएचएस कल्याण केंद्रों को जोड़कर सीजीएचएस नेटवर्क को बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं।
यादव के अनुसार, मेट्रो शहरों और राज्य की राजधानियों में भी अधिक सीजीएचएस वेलनेस सेंटर खोले जाने की आवश्यकता है। नए वेलनेस सेंटर खोलने के लिए न्यूनतम 6000 कार्ड के सीजीएचएस मानदंडों में ढील देकर सीजीएचएस को देश के 200 से अधिक शहरों में फैलाया जाना चाहिए। अभी यह नियम है कि सीजीएचएस के एक्सटेंशन काउंटरों के लिए किसी भी डॉक्टर या सहायक कर्मचारी को मंजूरी नहीं दी जाती है। इसके चलते अन्य कल्याण केंद्रों पर डॉक्टरों और कर्मचारियों की कमी हो रही है। सीजीएचएस विस्तार काउंटरों के मामले में इस समस्या को हल करने के लिए डॉक्टरों और कर्मचारियों को मंजूरी दी जानी चाहिए। इसके साथ ही 4000 से अधिक कार्ड वाले शहरों में एक वेलनेस सेंटर भी खोलना चाहिए।
मेट्रो शहर, जैसे हैदराबाद और बेंगलुरु आदि में वर्तमान यातायात की स्थिति खराब है। आठ किलोमीटर की यात्रा करने में एक घंटे से अधिक का समय लगता है। इन शहरों की सीमा भी 40 किलोमीटर से अधिक बढ़ गई है, इसलिए इन शहरों में अधिक स्वास्थ्य केंद्र होने खोले जाने की आवश्यकता है। केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) के कामकाज के लिए गठित 155 वीं कमेटी की रिपोर्ट के पैरा संख्या 1.4.4 में कहा गया है कि मौजूदा और नए शहरों में सीजीएचएस के कवरेज नेटवर्क का विस्तार करने की जरुरत है। इसके लिए अलग से आवंटन किए जाने की आवश्यकता है। इन विशेष निधियों का उपयोग सरकारी अस्पतालों में नए वेलनेस सेंटर, पॉलीक्लीनिक और अलग सीजीएचएस विंग खोलने के लिए किया जा सकता है।
समिति का मानना है कि इस तरह के कदम से मंत्रालय नई सीजीएचएस सुविधाएं खोलने के लिए समयबद्ध तारीख और लक्ष्य निर्धारित करने में सक्षम होगा। पैरा संख्या 2.2.1 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया था कि अगस्त 2023 तक, 80 शहरों में सीजीएचएस के 340 सीजीएचएस एलोपैथिक कल्याण केंद्र संचालित हैं। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन 340 एलोपैथिक कल्याण केंद्रों में से 26 प्रतिशत तो दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में ही केंद्रित हैं।
इसके अलावा, केवल छह राज्यों (दिल्ली एनसीआर क्षेत्र को छोड़कर) में 10 प्रतिशत से अधिक सीजीएचएस केंद्र हैं। इससे यह पता चलता है कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में सीजीएचएस सेवाओं का वितरण और पहुंच न्यायसंगत नहीं है। समिति ने यह भी कहा है कि अरुणाचल प्रदेश, लद्दाख और अंडमान एवं लक्षद्वीप में कोई सीजीएचएस कल्याण केंद्र नहीं है।
कमेटी की रिपोर्ट के पैरा संख्या 2.2.2 में कहा गया है कि ऐसे कई शहर और कस्बे हैं, जहां बड़ी संख्या में केंद्र सरकार के कर्मचारी, पेंशनभोगी और उनके आश्रित रहते हैं। वहां पर कोई सीजीएचएस कल्याण केंद्र मौजूद नहीं है। परिणामस्वरूप, लाभार्थियों, विशेष रूप से सेवानिवृत्त लाभार्थियों को चिकित्सा उपचार प्राप्त करने के लिए लंबी दूरी की यात्रा करनी पड़ती है।
इस वजह से उन्हें असुविधा का सामना करना पड़ता है। समिति का मानना है कि यह परिदृश्य, लाभार्थियों पर आर्थिक रूप से बोझ डालने के अलावा, लाभार्थियों के लिए कई अन्य कठिनाइयों का भी कारण बनता है। इन सबके चलते केंद्र सरकार के कर्मचारियों और श्रमिकों का परिसंघ, यह मांग करता है कि मौजूदा शहरों और नए शहरों में 200 से अधिक सीजीएचएस कल्याण केंद्रों को जोड़कर सीजीएचएस नेटवर्क को बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं।