राम रहीम कांड की कहानी ?
साध्वियों का रेप, फिर छिपाने के लिए 2 मर्डर
राम रहीम कांड की कहानी; सजा के बाद भड़के दंगे में 38 मारे गए
तारीख– 25 अगस्त 2017
जगह– पंचकूला, हरियाणा
सिरसा से पंचकूला जिला मुख्यालय की तरफ करीब 800 गाड़ियों का काफिला बढ़ रहा है। इन्हीं में से किसी कार में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम बैठा है। उस पर 2 साध्वियों से बलात्कार का आरोप है, जिस पर आज CBI कोर्ट में फैसला आना है। राम रहीम कोर्ट पहुंचा, बाहर 2 लाख लोगों की भीड़ जमा है।
दोपहर करीब 3 बजे जज जगदीप सिंह की अदालत में राम रहीम को साध्वियों से बलात्कार का दोषी ठहराया गया। जैसे ही ये खबर बाहर पहुंची, राम रहीम के समर्थक हिंसक हो गए। पंचकूला, सिरसा समेत पंजाब और हरियाणा के आधे दर्जन जिलों में भड़की हिंसा में 38 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हो गए।
‘हरियाणा के महाकांड’ सीरीज के चौथे एपिसोड में कहानी राम रहीम की सजा और उसके पॉलिटिकल इम्पैक्ट की…
15 अगस्त 1967 को राजस्थान के गंगानगर जिले स्थित श्री गुरुसर मोडिया गांव के जट सिख परिवार में गुरमीत राम रहीम का जन्म हुआ। महज 7 साल की उम्र से अपने पिता के साथ डेरा जाने वाले राम रहीम को 23 साल की उम्र में डेरा सौदा प्रमुख सतनाम सिंह ने डेरा प्रमुख का पद और जिम्मेदारी सौंपी।
1990 में डेरा सच्चा सच्चा सौदा प्रमुख बनने के बाद राम रहीम ने हरियाणा और पंजाब में 3 हॉस्पिटल और 10 एजुकेशनल इंस्टीट्यूट बनवाए। CBI रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि राम रहीम ने पूरे हरियाणा और पंजाब में ड्रग्स, शराब और वेश्यावृति के खिलाफ अभियान चलाए।
मुफ्त में आम लोगों के ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल जांच के लिए 2012, 2013 और 2014 में राम रहीम का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया। हरियाणा और पंजाब में बड़ी संख्या में समाज के पिछड़े समुदाय के लोग उन्हें अपना भगवान समझने लगे।
पंजाब यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर रौंकी राम का कहना है-
डेरा की शुरुआत मूल रूप से समाज में मौजूद भेदभाव के खिलाफ हुई थी। यही वजह है कि जिन लोगों को लगा कि उनके धर्म और समाज में उन्हें समानता का दर्जा नहीं मिला, वो लोग डेरा सच्चा सौदा से जुड़ते चले गए और उनके समर्थक बन गए। राम रहीम को डेरा सच्चा सौदा को आधुनिक बनाने का श्रेय दिया जाता है। डेरे की वेबसाइट के मुताबिक दुनियाभर में इसके 5 करोड़ फॉलोअर्स हैं।
2002: एक गुमनाम चिट्ठी और फंसते चले गए राम रहीम 13 मई 2002 को उस वक्त के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दफ्तर में एक चिट्ठी पहुंचती है। ये चिट्ठी एक गुमनाम साध्वी की आपबीती जैसी थी, जिसमें डेरा सच्चा सौदा के चीफ राम रहीम पर यौन शोषण के आरोप लगाए गए थे। प्रधानमंत्री दफ्तर में राम रहीम कांड के खुलासे करने वाली उस गुमनाम चिट्ठी के कुछ हिस्सों को पढ़िए…
सेवा में,
माननीय प्रधानमंत्री जी श्री अटल बिहारी वाजपेयी, भारत सरकार
विषय : डेरे के महाराज द्वारा सैकड़ों लड़कियों से बलात्कार की जांच कराएं।
श्रीमान जी, मैं पंजाब की रहने वाली हूं। बीएस पास हूं और 5 साल से डेरा सच्चा सौदा सिरसा, हरियाणा में साधु लड़की के रूप में कार्य कर रही हूं। मेरे परिवार के सदस्य महाराज के अंध श्रद्धालु हैं, उनके कहने पर मैं डेरे में साधु बनी थी।
साधु बनने के 2 साल बाद एक दिन महाराज गुरमीत की परम शिष्या साधु गुरुजोत ने रात के 10 बजे मुझे बताया कि आपको पिताजी ने गुफा में बुलाया है। मैं पहली बार वहां जा रही थी, इसलिए बहुत खुश थी। गुफा में ऊपर जाकर जब मैंने देखा महाराज बेड पर बैठे हैं। हाथ में रिमोट है, सामने टीवी पर गंदी फिल्म चल रही है। बेड पर सिरहाने की ओर रिवॉल्वर रखा हुआ है।
मैं यह सब देखकर हैरान रह गई। मुझे चक्कर आने लगे। मैं समझ नहीं पा रही थी कि यह क्या हो रहा है। महाराज ऐसे होंगे? महाराज ने टीवी बंद किया व मुझे साथ बैठाकर पानी पिलाया और कहा कि मैंने तुम्हें अपनी खास प्यारी समझकर बुलाया है।
मेरा यह पहला दिन था। महाराज ने मुझे बांहों में लेते हुए कहा कि हम तुझे दिल से चाहते हैं। तुम्हारे साथ प्यार करना चाहते हैं, क्योंकि तुमने साधु बनते वक्त कहा था कि तन-मन-धन सब सतगुरु को अर्पण है। तो अब तुम्हारा तन-मन हमारा है।
जब मैंने पूछा कि क्या यह भगवान का काम है तो उन्होंने कहा- ‘श्रीकृष्ण भगवान थे, उनके यहां 360 गोपियां थीं, जिनसे वह हर रोज प्रेम लीला करते थे, फिर भी लोग उन्हें परमात्मा मानते हैं, यह कोई नई बात नहीं है।’
आज मुझको पता चला कि मेरे से पहले जो लड़कियां रहती थीं, उन सबके साथ मुंह काला किया गया है। बीए, एमए, बीएड, एमफिल पास लड़कियां अंधविश्वास के कारण नरक का जीवन जी रही हैं।
मैं मजबूर हूं। यहां सतगुरु का आदेश मानना पड़ता है। यहां कोई भी दो लड़कियां आपस में बात नहीं कर सकतीं। घरवालों को टेलीफोन मिलाकर बात नहीं कर सकतीं। कोई लड़की डेरे की इस सच्चाई के बारे में बात करती है तो महाराज का हुक्म है कि उसका मुंह बंद कर दो।
प्रार्थी एक निर्दोष जलालत का जीवन जीने को मजबूर।
1100 शब्दों में लिखे गए इस पत्र से 400 शब्दों का मजमून आपने यहां पढ़ा। ये पत्र PM कार्यालय के अलावा पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के पास भी भेजा गया था। इसके बावजूद राम रहीम पर दोनों राज्यों की पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया।
2003: गुमनाम चिट्ठी से हुए खुलासे के बाद दो कत्ल CBI ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है कि जिस वक्त यह गुमनाम चिट्ठी बाहर आई, उस समय रणजीत सिंह डेरे में मैनेजर था। रणजीत की बहन डेरे में साध्वी थी। डेरा प्रमुख राम रहीम को शक था कि रणजीत ने ही अपनी बहन से यह चिट्ठी लिखवाई है। 10 जुलाई 2002 को रणजीत सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
अभी रणजीत सिंह हत्या की गुत्थी सुलझी भी नहीं थी कि 19 अक्टूबर की रात अखबार में चिट्ठी छापने वाले पत्रकार रामचंद्र छत्रपति पर जानलेवा हमला हुआ। सिरसा में उनके घर के आगे ही कुछ लोगों ने रामचंद्र पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं, जिसमें वो गंभीर रूप से घायल हो गए। करीब एक महीने तक दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज के दौरान 21 नवंबर को उनकी मौत हो गई।
दोनों हत्याओं के करीब एक साल बाद 10 नवम्बर 2003 को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले में CBI जांच का आदेश दिया।
25 अगस्त 2017 को पंचकूला के CBI कोर्ट में फैसला सुनाया जाना था। यहां सुरक्षा के लिए CRPF की 97 कंपनियों के साथ, रैपिड एक्शन फोर्स की 16, सशस्त्र सीमा बल यानी SSB की 37, ITBP की 12 और BSF की 21 कंपनियां तैनात की गई थीं। इसके अलावा हरियाणा पुलिस की 10 अन्य कंपनियों की तैनाती की गई थी।
पंचकूला और सिरसा में कर्फ्यू लगाया गया, जबकि हरियाणा और पंजाब के आधे दर्जन जिलों में हिंसा रोकने के लिए धारा 144 लगाई गई थी। इसके बावजूद हरियाणा, पंजाब और राजस्थान से राम रहीम के भक्त पंचकूला पहुंच रहे थे।
25 अगस्त की दोपहर करीब 3 बजे जैसे ही फैसले की खबर कोर्ट के बाहर मौजूद अनुयायियों तक पहुंची, भीड़ हिंसक हो उठी।
देखते ही देखते हरियाणा, पंजाब और दिल्ली के कई इलाकों में राम रहीम के भक्त सड़क पर उतर आए। पंजाब में डेरा समर्थकों ने मलौत और बलुआना और डागरू रेलवे स्टेशन पर आगजनी की। दिल्ली के आनंद विहार में खड़ी रेवा एक्सप्रेस के खाली पड़े दो कोच में भी आग लगा दी गई।
सिरसा में इंडिया टुडे और NDTV के पत्रकारों पर जानलेवा हमला किया गया। मीडिया वैन में आग लगाने की कोशिश हुई। प्रदर्शन के दौरान सबसे ज्यादा हिंसक घटनाएं फैसला सुनाए जाने वाली जगह पंचकूला और डेरा के मुख्यालय सिरसा में हुई। इस हिंसा में कुल 38 लोगों की जान गई, जिसमें 32 पंचकूला में, जबकि 6 मौत सिरसा में हुई। हरियाणा और पंजाब में 250 से ज्यादा लोग घायल हो गए।
घटना की गंभीरता को देखते हुए तुरंत हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और पंजाब और हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा है कि जब धारा 144 लगी थी, तो बाबा के समर्थक वहां पहुंच कैसे गए? साथ ही कोर्ट ने कहा कि बाबा के समर्थकों ने जो भी नुकसान किया है, उसकी भरपाई राम रहीम की संपत्ति से ही की जाए।
देर शाम प्रदेश के DGP बीएस संधू ने बताया कि सिरसा छोड़ पूरे राज्य में स्थिति कंट्रोल में है। उन्होंने कहा कि करीब 6 लोगों की मौत गोली लगने से हुई है। 60 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। डेरा समर्थकों की 65 गाड़ियां और उनके पास से करीब एक दर्जन हथियार बरामद किए गए हैं। इनमें 3 राइफल, 3 पिस्तौल और दर्जनों कारतूस शामिल हैं।
‘राम रहीम ने साध्वी के साथ जंगली जानवरों जैसा व्यवहार किया’ 28 अगस्त 2017, राम रहीम को दोषी ठहराए जाने के करीब 3 दिन बाद एक बार फिर से हरियाणा और पंजाब की पुलिस हाई अलर्ट पर थी। इसकी वजह रेप केस में दोषी राम रहीम को सजा सुनाई जानी थी। पिछली बार से ज्यादा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।
- दोपहर 3:40 बजे: राम रहीम के बाद डेरा सच्चा सौदा के दूसरे नंबर पर आने वाले विपश्यना इन्सां ने अनुयायियों से शांति की अपील की।
- दोपहर 3:45 बजे: पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि राम रहीम के अनुयायियों को सजा स्वीकार करना चाहिए और शांति कायम होनी चाहिए। कोई भी अप्रिय घटना नहीं होने दी जाएगी।
- दोपहर 3:59 बजे: हरियाणा के पुलिस प्रमुख एमएल खट्टर ने चंडीगढ़ में अपने आवास पर राज्य के सीनियर अधिकारियों, पार्टी नेताओं और मंत्रियों की एक आपात बैठक बुलाई। हर हाल में राज्य को हिंसा मुक्त बनाने के निर्देश दिए गए।
- शाम 5:44 बजे: न्यायाधीश जगदीप सिंह ने दो मामलों में 10-10 साल की जेल और 15-15 लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई। साथ ही राम रहीम के वकील को दोनों साध्वियों को 14-14 लाख रुपए देने के निर्देश दिए।
अदालत ने कहा कि डेरा प्रमुख राम रहीम ने अपने दोनों अनुयायी साध्वियों को भी नहीं बख्शा और उनके साथ जंगली जानवरों की तरह व्यवहार किया है। इसलिए वह किसी दया का हकदार नहीं है।
सजा सुनते ही राम रहीम फर्श पर बैठकर रोने लगा। जब पुलिस उसे जेल ले जाने के लिए आई तो वह रोते हुए कहने लगा- मैं कहीं नहीं जाऊंगा, मैं यहीं रहूंगा। पुलिस उसे जबरन कोर्ट रूम से सुनारिया जेल ले गई।
चिट्ठी के जरिए इस केस का खुलासा करने वाले पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति ने कहा, ‘जब हम कहते थे कि राम रहीम आपत्तिजनक गतिविधियों में शामिल है, तो लोग सहमत नहीं थे। अब हमें खुशी है कि आज अदालत ने यह साबित कर दिया है।’
सजा सुनाए जाने के बाद बरनाला, सिरसा, पंचकूला समेत आधा दर्जन से ज्यादा जिलों में पुलिस और अर्धसैनिक बल के जवानों ने फ्लैग मार्च किया।
रेप केस में सजा सुनाए जाने के 3 साल बाद अक्टूबर 2021 में CBI अदालत ने गुरमीत राम रहीम सिंह, कृष्ण लाल, सबदिल सिंह, जसबीर सिंह और अवतार सिंह को रणजीत सिंह की हत्या केस में दोषी ठहराया।
2017 में सजा सुनाए जाने के बाद से ही साध्वी यौन उत्पीड़न केस में राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में सजा काट रहा है। भले राम रहीम जेल में हो, लेकिन अपने मजबूत पॉलिटिकल कनेक्शन की वजह से उसके रुतबे में कोई कमी नहीं आई।
इसका सबसे अच्छा उदाहरण ये है कि पिछले 46 महीने में राम-रहीम 10 बार पैरोल या फरलो पर बाहर आ चुका है। हरियाणा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 12 अगस्त को डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को एक बार फिर फरलो मिली। इसके बाद रेप केस में 20 साल की सजा काट रहा राम रहीम मंगलवार सुबह 6:30 बजे 21 दिन के लिए सुनारिया जेल से बाहर आया था।
चुनाव से ठीक पहले राम रहीम को फरलो दिए जाने पर डेरों पर रिसर्च वर्क करने वाले पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आशुतोष कुमार कहते हैं, ‘हरियाणा में पावर स्ट्रक्चर में जाटों की खास भूमिका होती है। वहीं समाज के एक तबके (SC समुदाय) की सत्ता में भागीदारी न के बराबर होती है। ऐसे में राजनीतिक दलों के नेता डेरों के जरिए इस वर्ग के वोटर्स को टारगेट करते हैं।’
एक रिपोर्ट के मुताबिक राम रहीम का हरियाणा के 9 जिलों की करीब 30 से अधिक सीटों पर दखल है। राज्य में 50 लाख से ज्यादा लोग उसके फॉलोअर्स हैं। ऐसे में संभव है कि चुनाव से पहले फरलो मिलने की वजह से उसके फॉलोअर्स BJP का समर्थन करें।
आशुतोष के मुताबिक नेताओं को लगता है डेरे के गुरु के पास जाकर उनका विश्वास जीता जाए, ताकि उनके फॉलोअर्स भी पार्टी के सपोर्ट में वोट कर दें। डेरों का कम्युनिकेशन नेटवर्क बहुत व्यवस्थित होता है। ये पूरी तरह से संगठित होता है। अब तकनीक के जमाने में एक वॉट्सऐप मैसेज से ही काम हो जाता है।’
आशुतोष कहते हैं, ‘डेरा सच्चा सौदा में पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी होती है। डेरे के गुरु तय कर देते हैं कि किसे समर्थन देना है। पंजाब यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर रौंकी राम का कहना है कि ये सैकड़ों साल पुराने हैं।
वह कहते हैं कि-
पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में इन डेरों के माध्यम से समाज में हाशिए पर रहने वाले लोगों को पहचान मिलती है। कुछ डेरे ऐसे हैं जिसके अनुयायी एक ही धर्म के साथ जुड़े हैं, जैसे रविदासियों का डेरा। कुछ में सभी धर्मों के लोग हैं। डेरे में जाने वाले लोगों को लगता है कि जो समानता का दर्जा उन्हें उनके धर्म में मिलना चाहिए था वह नहीं मिला। इसलिए वे इनसे जुड़ते चले जाते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि अब भी डेरों का स्थानीय चुनाव पर गहरा असर पड़ता है।