जिन बच्चियों को पूजते हैं, उन्हीं से दुष्कर्म ?
आज पड़ोस से लेकर स्कूल तक कहीं भी हमारी बच्चियां सुरक्षित नहीं हैं। एक रिपोर्ट बताती है कि पिछले छह साल में देश में बच्चियों से दुष्कर्म के मामले दोगुने हो गए हैं। हमें इस पर गंभीर चिंतन करने की जरूरत है कि इन सालों में क्या बदला है, जिससे कारण यह विकृति पैदा हो गई।
- पिछले दस दिनों में मप्र में बच्चियों के साथ दुष्कर्म के दिलदहला देने वाले मामले आए सामने
- कोर्ट ने कहा है कि चाइल्ड पोर्न वीडियो फिल्माना व देखना अपराध है, सजा का प्राविधान है
- कई केस बताते हैं कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी के चलते ही आरोपित ने घटना को अंजाम दिया है
ग्वालियर। दो दिन बाद नवरात्र शुरू होने वाले हैं.. भारतीय सनातन समाज का यह त्योहार पूरी दुनिया में इसलिए सराहा जाता है क्योंकि यह त्योहार पूरी तरह से शक्ति की आराधना और महिलाओं के प्रति सम्मान के लिए समर्पित है। इस तरह के त्योहार का सदियों पुराना इतिहास बताता है कि भारतीय समाज ने हमेशा महिलाओं खासकर बच्चियों को देवी के रूप में पूजा है। ग्रीक सभ्यता में भी कुछ देवियों के पूजन का इतिहास मिलता है।
हालांकि एक ओर हिंदू समाज में बच्चियों को देवी पूजन के लिए बुलाया जाता है, वहीं दूसरी ओर हाल ही में आईं भोपाल सहित प्रदेश और देश के छोटी-छोटी जगहों की खबरें विचलित करती हैं। आज पड़ोस से लेकर स्कूल तक कहीं भी हमारी बच्चियां सुरक्षित नहीं हैं। एक रिपोर्ट बताती है कि पिछले छह साल में देश में बच्चियों से दुष्कर्म के मामले दोगुने हो गए हैं। हमें इस पर गंभीर चिंतन करने की जरूरत है कि इन सालों में क्या बदला है, जिससे कारण यह विकृति पैदा हो गई।
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी यानी वह पोर्न वीडियो जिसमें किसी बच्चे के साथ यौन प्रक्रिया को फिल्माया गया है, उसे देखना दंड़नीय अपराध है। मोबाइल में यदि इस तरह के वीडियो मिले तो भी सजा का प्रविधान किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने काफी सोच-विचार कर यह फैसला दिया है। कई केस बताते हैं कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी के चलते ही आरोपित ने घटना को अंजाम दिया है।
भोपाल में हाल ही में एक स्कूल में आईटी शिक्षक को जब स्कूल की ही एक तीन वर्षीय छात्रा से दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया गया तो उसने पुलिस पूछताछ में स्वीकार किया कि घटना के पहले उसने चाइल्ड पोर्न फिल्म देखी थी। यही नहीं, उसके मोबाइल में भी बड़ी संख्या में क्लिप मिली हैं। हालांकि सिर्फ चाइल्ड पोर्न के कारण ही बच्चियों के खिलाफ इस हद तक दुष्कर्म की वारदात बढ़ गई हो, यह जरूरी नहीं है।
जब इसकी गहराई में जाएंगे तो पुलिस इंवेस्टीगेशन से लेकर सजा होने तक की प्रक्रिया में इतने बड़े-बड़े सुराख निकलेंगे कि संगीन वारदात के बाद भी आरोपित बच निकलते हैं। आपको नोएडा का निठारी कांड याद है, जिसमें एक बड़ी कोठी में बच्चों को दुष्कर्म के बाद मारकर उसके मांस को खा लिया जाता था और कंकाल को समीप से गुजरने वाली गटर में फेंक दिया जाता था।
पूरी दुनिया में जिस केस की चर्चा रही, उसके दोनों मुख्य आरोपित कोठी मालिक पांधेर और उसका नौकर कोली आजाद घूम रहे हैं। पुलिस और क्राइम इंवेस्टीगेशन में देश की शीर्षस्थ संस्था सीबीआइ ने पूरे मामले की जांच में इतनी लापरवाही की कि कोर्ट ने उन्हें सबूतों के भाव में बरी कर दिया। दोनों अभियुक्तों को बरी करते हुए इलाहबाद हाई कोर्ट ने कहा कि जांच खराब तरीके से की गई है और सबूत इकट्ठा करने के बुनियादी मानदंडों का खुलेआम उल्लंघन किया गया है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, हमें ऐसा प्रतीत होता है कि जांच में अंग व्यापार की संगठित गतिविधि की संभावित संलिप्तता के अधिक गंभीर पहलुओं की जांच पर ध्यान दिए बिना घर के एक गरीब नौकर को राक्षस बनाकर फंसाने का आसान तरीका चुना गया। हाई कोर्ट ने ये भी कहा कि जांच के दौरान हुई ऐसी गंभीर चूकों की वजह से मिलीभगत जैसे कई नतीजे निकाले जा सकते हैं।
ऐसे तमाम जघन्य केस हैं, जब वह सामने आए तो खूब हो-हल्ला मचा, बड़ी-बड़ी बातें कहीं गईं लेकिन सजा दिलाने की बारी आई तो सिस्टम और समाज या तो शांत बैठ गया या लापरवाही कर दी। मप्र में बच्चियों से रेप के मामले में फांसी की सजा का प्रविधान है, लेकिन यह सजा तो तभी होगी जब अदालत में यह स्पष्ट रूप से पुलिस साबित करने में सफल रहे कि इसी आरोपित ने दुष्कर्म के बाद हत्या की है।
लेकिन थानों की पुलिस अभी इतनी परिपक्व नहीं है कि वह बच्चों से दुष्कर्म जैसे संवेदनशील मामलों में सूक्ष्म और वैज्ञानिक ढंग से जांच कर सके। जरूरी है कि इस तरह के मामलों के लिए बाल अपराध क्राइम ब्रांच जैसी उच्च प्रशिक्षित विंग बनाई जाए, जिससे शत-प्रतिशत आरोपितों को फंदे तक पहुंचाया जा सके। जब अपराधी फांसी पर लटकेंगे तो हो सकता है, हमारी बच्चियां खुले में बेखौफ अपना बचपन गुजार सकें।
इन घटनाओं से समझा जा सकता है बच्चियां कितनी असुरक्षित
- पड़ोसी ने दुष्कर्म के बाद मासूम को मार डाला राजधानी भोपाल के शाहजहांनाबाद में दो दिन से लापता पांच वर्षीय बच्ची का शव पिछले गुरुवार सुबह पड़ोसी के घर पानी की टंकी में मिला। वाजपेयी नगर मल्टी में पड़ोसी ने मंगलवार दोपहर को अपनी भांजी के साथ खेलने के लिए बच्ची को घर बुलाया था। घर में उसने बच्ची के साथ दुष्कर्म किया और फिर गला रेतकर मासूम को मौत के घाट उतार दिया। उसने शव को पीछे के कमरे में पानी की टंकी में बंद कर दिया था। घटना के दो दिन बाद आरोपित के घर से बदबू आने पर पड़ोसियों ने पुलिस को सूचना दी, तब जाकर वारदात से पर्दा उठा। पुलिस ने मुख्य आरोपित अतुल महाले, उसकी मां बसंती और बहन चंचल को गिरफ्तार किया है।
- स्कूल में बच्ची के साथ शिक्षक ने की दरिंदगी भोपाल में ही तीन साल की मासूम से उसी स्कूल में दुष्कर्म हुआ, जहां बच्ची पढ़ती है। वहीं के एक टीचर ने उसे हवस का शिकार बना लिया। बच्ची की मां ने जब बच्ची के प्राइवेट पार्ट में घाव देखा तो उसकी शिकायत की। आरोपित शिक्षक को गिरफ्तार किया है। स्कूल डायल 100 के दफ्तर के सामने ही है। आरोपित आइटी के शिक्षक कासिम रेहान ने यह घिनौना कृत्य पोर्न फिल्म देखने के बाद किया। उसके मोबाइल से 100 से ज्यादा अश्लील वीडियो मिले हैं, जिनमें बच्चियों के साथ यौन हिंसा होती दिखाई गई है।
- चंबल के गांव की नौ साल की बच्ची आइसीयू में मुरैना से नौ साल की बच्ची के साथ इस हैवानियत से दुष्कर्म हुआ कि उसे आइसीयू में भर्ती करवाना पड़ा। दुष्कर्म के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। लड़की को नगरा पुलिस स्टेशन की सीमा अंतर्गत स्थित गांव के बाहर एक कृषि क्षेत्र में बेहोश पड़ा पाया गया, जहां वह अपने परिवार की बकरियों को चराने गई थी। पीड़िता को खेत में बेहोश जाने के बाद, उसके परिवार के सदस्य उसे पोरसा के एक सरकारी अस्पताल ले गए, जहां से उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। इसके बाद पीड़िता को जिला अस्पताल के आइसीयू में रखा है।
बच्चियों से दुष्कर्म के मामले 2016-2022
वर्ष दुष्कर्म के मामले
2022 38,911
2021 36,381
2020 30,705
2019 31,132
2018 30,917
2017 27,616
2016 19,765