डेरे ने बदल दिए समीकरण… जीतने वाले हारे व हारने वाले जीते ?
डेरे ने बदल दिए समीकरण: जीतने वाले हारे व हारने वाले जीते, फेल हो गया जजपा-आसपा और इनेलो-बसपा गठबंधन का असर
हरियाणा के 6 जिलों में डेरे के सबसे ज्यादा अनुयायी रहते हैं। फतेहाबाद, कैथल, कुरुक्षेत्र, सिरसा, करनाल और हिसार में इनका व्यापक प्रभाव भी है। हरियाणा के कम से कम 26 विधानसभा क्षेत्रों में डेरे के अनुयायी हैं। डेरे के कुल अनुयायियों की अनुमानित संख्या करीब 1.25 करोड़ आंकी जाती है।
फतेहाबाद में इंडियन नेशनल लोकदल और बहुजन समाज पार्टी के साथ-साथ जननायक जनता पार्टी व आजाद समाज पार्टी के गठबंधन का कोई असर देखने को नहीं मिला है। गठबंधन के प्रत्याशी एक भी सीट पर अपनी जमानत नहीं बचा पाए हैं। विशेष बात यह है कि इनेलो-बसपा से फतेहाबाद सीट से चौटाला परिवार की बहू सुनैना चौटाला जबकि टोहाना से इसी परिवार के दोहते कुनाल कर्ण चुनाव लड़ रहे थे। दोनों के लिए पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला और प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने भी चुनाव प्रचार किया था। इसके बावजूद फतेहाबाद व टोहाना में इनेलो-बसपा प्रत्याशी दस हजार का आंकड़ा भी नहीं छू सके। टोहाना में कुनाल को 9773 जबकि फतेहाबाद में सुनैना चौटाला को 9681 वोट ही मिल पाए हैं।
रतिया में पूर्व मंत्री भी नहीं दिखा पाए कोई करिश्मा
वहीं, इनेलो-बसपा गठबंधन के रतिया विधानसभा सीट से प्रत्याशी रहे पूर्व खेल मंत्री रामसरूप रामा भी कोई खास करिश्मा नहीं दिखा पाए। 69 वर्षीय रामसरूप रामा साल 1996 में हरियाणा विकास पार्टी की टिकट पर रतिया से जीते थे। बाद में उन्हें तत्कालीन मुख्यमंत्री चौ.बंसीलाल ने अपनी सरकार में उन्हें खेल मंत्री बनाया था। इस बार छठी बार रामसरूप रामा ने चुनाव लड़ा था, लेकिन वह अपनी जमानत भी नहीं बचा सके हैं।
जजपा-आसपा का तो इनेलो से भी रहा बुरा हाल
तीनों ही सीटों पर जजपा-आसपा के प्रत्याशियों का तो इनेलो प्रत्याशियों से भी बुरा हश्र हुआ है। फतेहाबाद सीट से जजपा-आसपा प्रत्याशी सुभाष गोरछिया तो पांचवें नंबर पर रहे। उन्हें मात्र 3249 वोट मिले हैं। उनसे ज्यादा तो फतेहाबाद से निर्दलीय खड़े राजेंद्र काका चौधरी को 5816 वोट मिले हैं। इसी तरह जजपा-आसपा के रतिया से प्रत्याशी रमेश ओड भी मात्र एक हजार वोट लेकर पांचवें नंबर पर रहे हैं। टोहाना में तो जजपा-आसपा प्रत्याशी हवासिंह खोबड़ा मात्र 591 वोट ही ले पाए हैं।