110001 VIP डाकघर: देश का पहला पोस्ट ऑफिस !
110001 VIP डाकघर: देश का पहला पोस्ट ऑफिस, यहीं से हुई थी पिन कोड की शुरुआत; राष्ट्रपति-पीएम को जाती है चिट्ठी
व्हाट्सएप-ईमेल के युग में भी चिट्ठी-पत्रों का दौर जारी है। इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि यहां से हर दिन 30 हजार चिट्ठियां लोगों के पते तक पहुंचाई जाती हैं। इसमें करीब 15 हजार सामान्य डाक, लगभग 6 हजार रजिस्टर डाक और 9 हजार से अधिक स्पीड पोस्ट होती हैं।
तेजी से आते-जाते वाहनों के बीच से अपने को बचते-बचाते नई दिल्ली गोल डाकखाना (जीपीओ) में कुछ लोग दाखिल होते हैं। इसके अंदर बने अलग-अलग काउंटर में लोगों की कतारें लगी हैं। कोई अपने गांव मनीऑर्डर भेज रहा है, तो कोई चिट्ठी-पत्री स्पीड पोस्ट कर रहा है। वहीं, कुछ बुजुर्ग अपनी खाता पास बुक लेकर उनके प्रिंट होने के इंतजार में बैठे हैं। डाकघर में मरम्मत का कार्य चल रहा है। इस बीच भी डाक सेवा के कर्मचारी अपना काम बिना रुके कर रहे हैं। यह नजारा है 110001 वीआईपी डाकघर का।
व्हाट्सएप-ईमेल के युग में भी चिट्ठी-पत्रों का दौर जारी है। इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि यहां से हर दिन 30 हजार चिट्ठियां लोगों के पते तक पहुंचाई जाती हैं। इसमें करीब 15 हजार सामान्य डाक, लगभग 6 हजार रजिस्टर डाक और 9 हजार से अधिक स्पीड पोस्ट होती हैं। चिट्ठियों को बांटने की जिम्मेदारी यहां के 100 पोस्टमैन पर है। इसमें 70 पोस्टमैन सामान्य डाक और 30 पोस्टमैन पार्सल के लिए कार्यरत हैं। ऐसे में इंटरनेट के दौर में भी डाक सेवा ने अपनी उपयोगिता को बरकरार रखा है।
दिल्ली में लगभग 96 डाकघर हैं। हर पोस्ट ऑफिस में अंतर्गत 20 से 30 सब डाक केंद्र हैं। काफी व्यस्त डाकघर में डाक कर्मचारी आधार अपग्रेडेशन से लेकर वित्तीय सेवाएं और कई सेवाओं में बेहद व्यस्त हैं। डाकघर ने अपने आपको आधुनिक बनाया है और लोगों तक अपनी पहुंच को बरकरार रखने के लिए कई सेवाओं को जोड़ा है। डाक विभाग के एक अधिकारी कहते हैं कि ऑनलाइन डिलीवरी साइट्स भी भारतीय डाक सेवा का सहारा लेती हैं। वह कहते हैं जो दूरस्थ स्थल की डाक या पार्सल होते हैं उन्हें डाक सेवा से ही भेजा जाता है। इसके पीछे की वजह डाक सेवा का न्यूनतम कीमत है। यही नहीं, जो पार्सल जल्दी का होता है, उसमें भी डाक सेवा सबसे आगे है। ऐसे में निजी डिलीवरी साइट्स डाक सेवा का उपयोग करती है।
नई दिल्ली 110001 पिन कोड नंबर वाले गोल डाकघर हेरिटेज बिल्डिंग है। गोल डाकखाने का डिजाइन रोबर्ट टोर रसेल ने बनाया था। 1934 तक यह वायसराय का कैंप पोस्ट ऑफिस था। आजादी के बाद 1948 में इसे प्रधान डाकघर या जीपीओ का दर्जा मिला। संसद भवन व बंगला साहिब गुरुद्वारा के नजदीक स्थित गोल डाकखाना अपनी बनावट के लिए खास है। इसे दिल्ली सरकार द्वारा संरक्षित इमारतों में सूचीबद्ध किया गया। इस डाकघर का पिन नंबर-110001 इसको खास बनाता है। वहीं, जानकारी के मुताबिक देशभर में एक लाख 64 हजार 972 डाकघर हैं। इनमें करीब डेढ़ लाख डाकघर गांवों में हैं। 2004 में एक लाख 55 हजार 669 डाकघर थे। बीते वर्षों में 5,639 नए डाकघर खुले हैं।
मेरी बीट नॉर्थ ब्लॉक है। मैं हर दिन एक हजार से अधिक चिट्ठी वितरित करता हूं। मुझे चिट्ठी देने में आनंद मिलता है। जब चिट्ठी लेकर मंत्री से लेकर अधिकारी तक पहुंचते हैं, तो वह भी खुश होते हैं। -वीरेंद्र, पोस्टमैन, नई दिल्ली जीपीओ
मैं विदेश मंत्रालय, पटियाला हाउस कोर्ट में चिट्ठी देता हूं। रोजाना लगभग तीन हजार चिट्ठी वितरित करता हूं। चिट्ठी बांटना एक अलग सुख है। -अजय कुमार, पोस्टमैन, नई दिल्ली जीपीओ