दफ्तर की समस्या घर का माहौल खराब कर रही है। लोग छोटी-छोटी बातों पर परिजनों से झगड़ रहे हैं। इसका असर उनके प्रदर्शन पर दिख रहा है। इसका खुलासा डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के मानसिक रोग विभाग में इलाज करवाने आ रहे मरीजों के विश्लेषण से हुआ हैं। काउंसलिंग के दौरान 90 फीसदी मानसिक रोगियों में कार्य स्थल पर समस्या पाई गई। काम का अतिरिक्त बोझ सहित दूसरे कारणों से आफिस की समस्या घर तक पहुंची। लंबे समय तक बनी यह स्थिति परिवार तोड़ रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि व्यक्ति अपने दिन का आधे से अधिक समय कार्य स्थल पर गुजारता है। ऐसे में यदि उचित वातावरण, निजी जिंदगी के लिए समय का अभाव, क्षमता से ज्यादा काम का दबाव रहता है तो व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान हो जाता है। धीरे-धीरे ऐसे लोग तनाव में चले जाते हैं।
लंबे समय तक यह स्थिति मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है
इसका असर व्यक्ति के निजी जिंदगी के साथ उसके काम के प्रदर्शन पर भी पड़ता है। डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में मानसिक रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. लोकेश शेखावत ने कहा कि स्वस्थ व्यक्ति के लिए स्वस्थ मन का होना जरूरी है। यह तभी हो सकता है जब वह खुश रहे। इसके लिए आफिस का माहौल भी बेहतर होना चाहिए।
यदि आफिस में तनाव की स्थिति रहेगी तो इसका असर परिवार पर भी पड़ेगा। कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य बड़ी चुनौती बन रहा है। यही कारण है कि इस साल विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का थीम ही इसे रखा गया है। इस थीम का मकसद कार्यालयों में मानसिक स्वास्थ्य की अहमियत पर प्रकाश डालना है।
हर साल आते हैं 10 हजार से ज्यादा मरीज
आरएमएल अस्पताल में हर साल 10 हजार से ज्यादा मानसिक रोगी इलाज के लिए आते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि ओपीडी में रोजाना 200 से 300 मरीज आते हैं। इनमें मानसिक रोगी के साथ दूसरे कारणाें से मरीज इलाज करवाते हैं।
युवाओं में बढ़ रही परेशानी
कार्यस्थल पर काम का अतिरिक्त बोझ युवाओं को मानसिक रोगी बना रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि रोगी बताते है कि लक्ष्य हासिल करना, काम समय पर करना, दूसरे के काम को भी करना सहित दूसरे तक के टारगेट दिए जाते हैं। यह कार्य करने की क्षमता से अधिक काम होता है जो परेशानी को दोगुना तक बढ़ा देता है।