हालात नहीं सुधरे तो पानी कैप्सूल में दिखेगा-हाईकोर्ट !

हालात नहीं सुधरे तो पानी कैप्सूल में दिखेगा-हाईकोर्ट …
नदी-झीलों में बढ़ते अतिक्रमण पर नाराजगी, कहा- पूर्वजों ने नदियों में, हमने नलों-बोतलों में पानी देखा

हाईकोर्ट ने प्रदेश में नदियों, झीलों, जल निकायों पर अतिक्रमण व अवैध निर्माण को गंभीर मानते हुए कहा है कि इसके चलते ही पानी की कमी हुई है और भविष्य की आगामी पीढ़ियों का अस्तित्व भी खतरे में है। हमारे पूर्वजों ने नदियों में पानी देखा था और हम नलों में और बोतलों में पानी देख रहे हैं।

यदि हालात ऐसे रहे और हमने इसे रोकने के प्रयास नहीं किए तो आगामी पीढ़ी को पानी कैप्सूल में देखने को मिलेगा। जल संसाधनों को बचाने का यह सही और उचित समय है, अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब पानी के लिए गृह युद्ध और तीसरा विश्व युद्ध लोगों के बीच में लड़ा जाएगा।

हाईकोर्ट के जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह टिप्पणी गुरुवार को प्रदेश के जलग्रहण क्षेत्रों, झीलों व नदियों सहित जल स्रोतों में अतिक्रमण और अवैध निर्माण पर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए की। अदालत ने मामले में प्रदेश के सीएस व केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रालय को रिपोर्ट के जरिए यह बताने के लिए कहा कि उन्होंने जलस्रोतों व उसके पास में अतिक्रमण व अवैध निर्माण को रोकने के लिए क्या कार्रवाई की है।

मंत्रालय से मांगा जवाब

इस मामले में अदालत ने पर्यावरण मंत्रालय, एसीएस होम व एसीएस पीएचईडी से भी जवाब देने के लिए कहा है। अदालत ने इनसे पूछा है कि क्यों ना जलस्रोतों को उनके मूल स्वरूप में लाया जाए। यह भी पूछा है कि क्यों ना जल स्रोतों के संरक्षण के लिए सीएस की अध्यक्षता में एक राज्य स्तरीय, संभाग स्तरीय और जिला स्तरीय कमेटी गठित की जाए।

यह भी बताएं कि क्यों न जल स्रोतों की सैटेलाइट और ड्रोन सहित ऑनलाइन तरीके से मॉनिटरिंग की जाए और इनकी देखरेख के लिए अलग से नियंत्रण कक्ष बनाएं। इसके अलावा जन जागरूकता के लिए वेबसाइट और टोल फ्री नंबर जारी किए जाएं। अदालत ने मामले में एएसजी आरडी रस्तोगी, महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद, अधिवक्ता एसपी शर्मा, सिद्धार्थ बापना और आयुष सिंह को भी सहयोग करने के लिए कहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *