ग्वालियर : पानी लाने के प्रोजेक्ट पर काम शुरू नहीं ?
पानी लाने के प्रोजेक्ट पर काम शुरू नहीं ….
104 टंकियां पूरी नहीं भर पा रहीं, अमृत-2 में 98 बनाने की तैयारी, पहले फेज में 26 बनेंगी
शहर में मौजूद 104 टंकियां पानी की कमी के चलते रोजाना पूरी क्षमता से भर नहीं पा रही हैं। नगर निगम के वाटर प्रोजेक्ट वालों ने उनके लिए पानी का इंतजाम करने के बजाय अमृत-2 में 98 नई पानी की टंकियों को बनाने का फैसला ले लिया है। इसके पहले फेज में 25 टंकियां बनेंगी। उन पर प्रति टंकी निर्माण पर आैसतन दो करोड़ रुपए के हिसाब से 50 करोड़ रुपए की राशि खर्च होगी।
नई टंकियों के निर्माण का फैसला बढ़ती जरूरतों के हिसाब से सही है लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब पहले से बनी टंकियों को पूरा भरने के लिए पानी नहीं हैं, तो नई टंकियों को कैसे भरा जाएगा? हालांकि, इन टंकियों को चंबल नदी के साथ-साथ कोतवाल और रमौआ बांध के पानी से भरने का सपना दिखाया है। लेकिन उसके प्रोजेक्ट की मंजूरी को सात महीने बीतने के बाद भी अब तक मैदान में पानी की लाइन डालने का काम शुरू नहीं हुआ है।
शहर में तिघरा जलाशय के पानी से 104 टंकियों को निर्धारित क्षमता से 70-80 प्रतिशत तक ही भरा जाता है। यही कारण है कि लाइनें बिछने और टंकियां बनने के बाद भी शहर की आबादी में एक लाख लोगों को इनका पानी नहीं मिल पाता है। शहर की 14 लाख की आबादी में से 10 लाख लोगों को तिघरा का पानी मिल रहा है। बाकी आबादी नलकूप, हैंडपंप और कुओं पर निर्भर है। नई टंकियों के निर्माण से लोगों की नलकूपों पर निर्भरता और भू-जल दोहन कम होने का तर्क दिया जा रहा है।
शुरुआत से गड़बड़ी, पानी का इंतजाम किए बिना बना रहे टंकियां
अमृत-1 प्रोजेक्ट की प्लानिंग में शुरू से ही जिम्मेदारों ने गड़बड़ी की। पिछले लंबे समय से पेयजल संकट से जूझ रहे शहर में पानी का इंतजाम करने के बजाय पहले टंकियां बनाने और लाइनें बिछाने पर पूरी राशि खर्च कर दी। टंकियों को भरने का पूरा बोझ लगभग एक सदी पहले 80 हजार की आबादी को पानी उपलब्ध कराने के लिए बनाए गए तिघरा बांध पर आ गया। अब आलम यह है कि तिघरा मौजूदा 104 टंकियों को पूरा नहीं भर पा रहा, ऐसे में 98 नई टंकियों को कैसे भरा जाएगा? इस सवाल का जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है।
पहले चरण में यहां बनाने की प्लानिंग प्लानिंग के मुताबिक पहले चरण में सिंधिया नगर, कोठी गांव, महाराणा प्रताप नगर, कैंसर पहाड़ी, आईएसबीटी, बदनापुरा पहाड़ी, पीएमएवॉय रक्कास, अलापुर, सालूपुरा हरिजन बस्ती, सालूपुरा, पिपरौली, गिरवाई, वीरपुर, अजयपुर, थर, पुरानी छावनी कब्रिस्तान के पास, पुरानी छावनी पुलिस चौकी के पास, मोतीझील कृष्णा पहाड़ी, जलालपुर डोडिया एवं वकीलपुरा, गंगापुर, लाल टिपारा, जहांगीरपुरा, रमौआ, नैनागिरी, बड़ागांव, खैरिया पदमपुर में पानी की टंकियों का निर्माण होगा।
गौरतलब है कि अमृत प्रोजेक्ट-1 में 42 पानी की टंकियां पूर्व में बन चुकी है। वहीं निगम नई पानी की टंकियों को भरने के लिए राइजिंग मेन लाइन और डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क के लिए पानी की लाइनों को डालेगा। पानी की टंकी और नेटवर्क डालने के काम सिटी के 10 वार्ड और ग्रामीण के 6 वार्डों में किया जाएगा।
सीधी बात- संजीव गुप्ता, ईई,ननि, पीएचई
रॉ मटेरियल डाला जा रहा है, दिसंबर तक काम शुरू कर देंगे
चंबल नदी-कोतवाल बांध से पानी लाने की योजना कब शुरू होगी।
योजना मंजूर हो चुकी है। अभी मौके पर रॉ मटेरियल डाला जा रहा है। दिसंबर तक काम शुरू कर देंगे।
योजना चालू होने के बाद पूरी कब होगी।
दो से ढाई साल में योजना को पूरा कर लेंगे।
निगम ने 98 पानी की टंकियों से पहले फेज में 26 टंकियां बनाना तय किया है।
शहर में पानी की टंकियों को बनाने के लिए, चंबल प्रोजेक्ट, रमौआ बांध पर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता बढ़ाने बढ़ाने का काम पैरलल करेंगे। जब तक पानी आएगा तब तक टंकियां भी बन कर तैयार हो जाएंगी।
किसके लिए कितनी राशि
- स्टेट वाटर एक्शन प्लान के तहत 812.93 करोड़ रुपए की राशि वाटर प्रोजेक्ट के लिए मिली है। जबकि अनुमति 1700 करोड़ रुपए मांगे गए थे।
- 354.25 करोड़ सिर्फ वाटर प्रोजेक्ट पर खर्च होने वाले है। इसमें टंकियां, वाटर ट्रीटमेंट बनाने, पुराने की क्षमता बढ़ाने और पानी की लाइनों का डालने पर खर्च का अनुमान है।
- चंबल नदी-कोतवाल बांध से पानी लाने के लिए 458.68 करोड़ रुपए की राशि खर्च होगी।
क्यों हुआ प्रोजेक्ट लेट: पहले नगर निगम पर चंबल नदी से पानी लाने के लिए पैसा नहीं था। तब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआरबी) से 400 करोड़ का लोन स्वीकृत करा लिया था। नगर निगम ने उक्त ऋण नहीं लिया। इस बीच केंद्र सरकार नगर निगम को 350 करोड़ देने की तैयारी कर ली। तभी अमृत प्रोजेक्ट-2 मंजूर हुआ। उसमें चंबल नदी प्रोजेक्ट को भी शामिल कर लिया गया।
आठ साल से प्रोजेक्ट कागजों में ही दौड़ रहा पिछले डेढ़ दशक से पेयजल संकट से जूझ रहे शहर में चंबल से पानी के लिए दैनिक भास्कर ने आठ साल पहले डीपीआर बनवाई थी। उसके बाद से इस प्रोजेक्ट पर प्रशासन ने काम करना शुरू किया और अंतत: चंबल प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल गई। चंबल प्रोजेक्ट के तहत ग्वालियर तक पानी लाने की योजना पर पिछले छह साल से काम हो रहा है।
कई दौर से कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद अंत में 11 मार्च 2024 को मंजूरी मिली। इसके बाद भी अब तक जिम्मेदार विभागीय अनुमतियां एकत्र नहीं कर पाए हैं। यही कारण है कि सात महीने गुजरने के बाद देवरी गांव से लेकर ग्वालियर तक आने वाली पानी की लाइन के लिए मैदानी काम चालू नहीं हो पाया है। इस तरह प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद शहर को 150 एमएलडी पानी रोजाना मिलने लगेगा। निगम के पीएचई के जिम्मेदारों का कहना है कि जिस कंपनी को काम दिया है। उसने रॉ मटेरियल साइड पर लाना शुरू कर दिया है।