ग्वालियर : सड़कों पर उड़ती धूल, नालों और डिवाइडरों के पास जमा कचरे के ढेर, बाजारों में गंदगी !
विशेष स्वच्छता अभियान:सड़कों पर उड़ती धूल, नालों और डिवाइडरों के पास जमा कचरे के ढेर, बाजारों में गंदगी
प्रदेश के नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग (स्वच्छ भारत मिशन) ने लक्ष्य आधारित विशेष स्वच्छता अभियान चला रखा है। इसके तहत कागजों में अभी तक नाला-नाली, डिवाइडर, सरोवर और दीवारें स्वच्छ करने का काम पूरा भी हो चुका है। दैनिक भास्कर ने इसी काम की मैदानी हकीकत ने जानी तो स्थितियां ठीक उल्टी मिलीं।
शहर के नालों में गंदगी और कचरा भरा है। वॉटर बॉडी में काई और जल कुंभी का कब्जा हो चुका है। डिवाइडर के पास कचरा और मिट्टी के ढेर दुर्घटना का कारण बन रहे हैं। 19 अक्टूबर से शुरू हुआ अभियान 28 दिसंबर तक चलना है। निगम के जानकारों का कहना है कि यदि अभियान सिर्फ तारीख तक ही है, तो फिर स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 में फाइट करने के लिए ज्यादा मेहनत करना होगा।
विशेष स्वच्छता अभियान की हकीकत को दैनिक भास्कर की टीम ने शनिवार को देखा। जहां पर सफाई की बात करें तो सड़कों पर कचरे के ठिए मिले। जिन्हें हर साल खत्म करने का दावा अफसर करते आए है।
जगह-जगह कचरे घर, नहीं हुए खत्म
स्वच्छ सर्वेक्षण में हर साल कचरा घर खत्म करने का दावा किया जाता है। यह जानकारी सर्वेक्षण के लिए भेजी जाती है। सर्वे खत्म होते ही शहर में कचरा घर जगह-जगह दिखाई दे जाते है। वर्तमान में ऐसे ही हालात बने हुए है। ओफो की बगिया मार्ग, रविशंकर रोड (नाका की ओर जाने वाली), बहोड़ापुर रोड, मेला मैदान के बाहर, जयेंद्रगंज रोड पर बसी कालोनियां आदि जगह कचरे के ढेर लगे मिले।
कटोराताल में 4 करोड़ खर्च करने के बाद भी फैली है काई, जनकताल में जलकुंभी का जाल
शहर में कचरा न हो, इसके लिए पूरे इंतजाम किए जा रहे हैं
^शहर में गंदगी और कचरा न हो। इसके लिए पूरे इंतजाम किए जा रहे हैं। अभी शहर और एरिया के हिसाब से कर्मचारी कम है। कर्मचारियों को आउटसोर्स पर रखने का प्लान कर रहे हैं। यदि कहीं अभियान के बाद व्यवस्था ठीक नहीं तो उसे चेक कराऊंगा। -अमन वैष्णव, आयुक्त ननि
- ग्राउंड रिपोर्ट –
स्वच्छ सरोवर
ये करना था अभियान में: जल संरचनाओं के आसपास की सफाई, सिंगल यूज प्लास्टिक प्रतिबंध के संदेश लगाना, निर्धारित दूरी पर ट्यूनबिन लगाना और सरोवर भी साफ रहे। अभियान के बाद हालात: कटोरा ताल में काई का कब्जा हो चुका है। जितनी पानी में उससे ज्यादा काई पानी के ऊपर जमा हो गई है। पानी नजर नहीं आता है। जनकताल के पानी पर जल कुंभी का कब्जा हो चुका है। यहां डस्टबिन लगे हैं फिर भी कचरा आसपास पड़ा हुआ है। सागरताल का पानी साफ है। थोड़ा बहुत कचरा पड़ा हुआ था।
स्वच्छ नाला अभियान ये करना था: नाले-नालियों से गाद निकालना और सफाई, नालियों पर जालियां लगाना उनका रख-रखाव करना, नाले नालियों को अतिक्रमण से मुक्त करना। अभियान के बाद हालात: ओफो की बगिया, बहोड़ापुर स्थित शब्दप्रताप आश्रम नाले में गंदगी और कचरा पड़ा हुआ था। शिंदे की छावनी चौकी की नाली और रविशंकर हॉस्टल रोड के पीछे की नाली से निकाली गाद सड़क पर ही पड़ी थी।
स्वच्छ डिवाइडर ये करना था: सभी डिवाइडरों के आसपास का कचरा हटाकर सफाई करना था। डिवाइडरों पर लगे पौधों की शाखाओं की कटाई-छंटाई करना, डिवाइडरों की रंगाई-पुताई, रिफलेक्टर लगाना आदि। अभियान के बाद हालात: कोटेश्वर से बहोड़ापुर मार्ग पर डिवाइडर-फुटपाथ के बगल में कचरे के ढेर जगह-जगह लगे हुए थे। विक्की फैक्ट्री से सिथौली तक के फोरलेन मार्ग के डिवाइडर पर मिट्टी को एकत्रित कर छोटे-छोटे टीले लगा दिए गए।