उत्तर भारत में बादशाहत कायम करने के लिए दिल्ली में गैंगवार!

लॉरेंस Vs बंबीहा… उत्तर भारत में बादशाहत कायम करने के लिए दिल्ली में गैंगवार!

दिल्ली में पिछले कुछ हफ्ते में कई ऐसी घटनाएं सामने आई जो इस बात की ओर से इशारा कर रही है कि राजधानी में एक बार फिर से गैंगवार का दौर वापस लौट आया है. इस बार अपराधियों का गिरोह उत्तर भारत में जुर्म की बादशाहत कायम करने के लिए एक-दूसरे को खत्म करना चाहते हैं.

लॉरेंस Vs बंबीहा... उत्तर भारत में बादशाहत कायम करने के लिए दिल्ली में गैंगवार!

दिल्ली में पिछले कुछ हफ्तों में ऐसी कई वारदात को अंजाम दिया गया जिसके बाद से गैंगवार की चर्चा तेज हो गई है

दिल्ली के मुंडका इलाके में फायरिंग की घटना के बाद से राजधानी में एक बार फिर से गैंगवार की चर्चा तेज हो गई है. राजधानी में पिछले कुछ हफ्तों में आए दिन फायरिंग और रंगदारी मांगने की घटना देखने को मिली है. एक दिन पहले यानी शनिवार को मुंडका इलाके में एक शख्स की गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस वारदात को बाइक सवार बदमाशों ने अंजाम दिया. करीब 6 राउंड फायरिंग किए. मृतक की पहचान अमित के रूप में हुई जो कि लूट के एक मामले में तिहाड़ जेल में बंद था और हाल ही में वो बाहर आया था. माना जा रहा है कि गैंगवार की वजह से अमित की हत्या हुई है.

मुंडका की घटना के ठीक एक दिन बाद यानी रविवार को मुकुंदपुर इलाके में कुछ बदमाशों ने दो लोगों को गोली मार दी. घटना को लेकर परिवार का कहना है कि आधा दर्जन से ज्यादा लोगों ने यह हमला किया और गोलियां चलाई. फिलहाल पुलिस इस घटना की जांच में जुटी हुई है. सूत्रों के मुताबिक, पुलिस इन सब घटनाओं की जांच कई एंगल से कर रही है, जिसमें आपसी रंजिश के साथ-साथ गैंगवार को लेकर भी पड़ताल शुरू हो गई है. दिल्ली में आए दिन हो रही गोलीबारी की वजह से लोगों के बीच दहशत का माहौल पैदा हो गया है.

उत्तर भारत में जुर्म की बादशाहत कायम करने की कोशिश

दिल्ली में गैंगवार का ताजा दौर पहले से कई गुना ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि माना जा रहा है कि इस बार टकराव निजी रंजिश का बदला चुकाने के लिए नहीं है. इस बार अपराधियों के गिरोह उत्तर भारत में जुर्म की बादशाहत कायम करने के लिए एक-दूसरे को खत्म करना चाहते हैं. इस गैंगवार में तमाम छोटे गिरोहों ने अपना-अपना आका चुना हुआ है. एक तरफ लॉरेंस बिश्नोई का नेटवर्क है, जिसमें संदीप उर्फ काला जठेड़ी, कपिल सांगवान उर्फ नंदू, रोहित मोई, प्रिंस तेवतिया, राजेश बवानिया जैसे गैंगस्टर और उनके गुर्गे शामिल हैं, तो दूसरी ओर बंबीहा गैंग है, जिसमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के वो गैंगस्टर शामिल हैं, जिनकी दुश्मनी लॉरेंस और उसके नेटवर्क वाले गिरोहों के साथ है.

नांगलोई में प्लाईवुड शोरूम पर फायरिंग4 नवंबर को पश्चिमी दिल्ली का नांगलोई इलाका उस समय दहल उठा जब मुख्य सड़क से मुश्किल से 50 मीटर दूर प्लाईवुड के शोरूम पर फायरिंग हुई. एक स्कूटी पर सवार तीन लोग जब वहां पहुंचे, तो यही लगा कि शायद ग्राहक होंगे, लेकिन प्लाईवुड शोरूम पर पहुंचते ही उन तीनों ने पिस्तौल निकाली और बिना डरे, बिना हिचके गोलियां चलाने लगे.

गोलियां चला रहे तीनों लोगों ने अपने मुंह पर कपड़ा बांध रखा था. उनकी शक्ल या उम्र का अंदाजा लगा पाना मुश्किल था, लेकिन इतना तो तय था कि वो जो भी थे, उनको पुलिस या राह चलते लोगों का रत्ती भर खौफ नहीं था. गोलियां चलाने का तरीका बता रहा था कि तीनों बदमाश किसी को मारने नहीं आए हैं. आठ राउंड फायरिंग करने के बाद बदमाशों ने एक कागज फेंका और आराम से चले गए. उन्होंने प्लाईवुड शो रूम पर जो कागज छोड़ा था, उसी में उनका मकसद लिखा था. वो पर्ची 10 करोड़ रंगदारी के लिए थी, जिस पर नाम लिखा था- जितेंद्र गोगी गैंग.

अलीपुर में एक प्रॉपर्टी डीलर के ऑफिस पर फायरिंगनांगलोई में अभी गोगी के गुर्गों की फायरिंग की आवाज थमी ही थी कि वैसा ही खौफ 22 किलोमीटर दूर उत्तर दिल्ली के अलीपुर में पसर गया. इस बार बदमाशों का निशाना अलीपुर में एक प्रॉपर्टी डीलर का ऑफिस था. नांगलोई की तरह अलीपुर में भी बदमाशों ने किसी को मारने के लिए नहीं, बल्कि ये संदेश देने के लिए गोलियां चलाईं कि डरो वरना मारे जाओगे. अलीपुर में बदमाशों ने कोई पर्ची नहीं छोड़ी. उन्होंने प्रॉपर्टी डीलर को फोन करके रंगदारी मांगी.

नांगलोई और अलीपुर, दोनों जगहों पर फायरिंग का तरीका एक जैसा था. मकसद भी एक जैसा था. बदमाशों ने कारोबारियों से रंगदारी मांग कर दिल्ली पुलिस को चुनौती दी थी. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की तफ्तीश में साफ हो गया कि अलीपुर और नांगलोई, दोनों जगह एक ही गिरोह के गुर्गे थे. अलीपुर और नांगलोई में फायरिंग में गोगी गैंग का हाथ सामने आया.

एक तरफ लॉरेंस बिश्नोई तो दूसरी ओर बंबीहा गैंग की टोलीदिल्ली में गोगी गैंग का मतलब है लॉरेंस बिश्नोई, जो कि साबरमती जेल बैठकर अपना नेटवर्क चला रहा है. माना जा रहा है कि गोगी गैंग इन दिनों लॉरेंस की सरपरस्ती में ही चल रहा है. नांगलोई और अलीपुर की वारदात ने दिल्ली पुलिस का सिरदर्द बढ़ा दिया. ये संकेत था कि दिल्ली में अब गैंगवॉर शुरू हो चुकी है. गैंगवार जिसमें एक तरफ लॉरेंस बिश्नोई का गैंग है और दूसरी ओर लॉरेंस के सबसे बड़े दुश्मनों की टोली बंबीहा गैंग है. दिल्ली में इस गैंगवॉर की पहली गोली भी बंबीहा गैंग ने ही चलाई है.

पश्चिमी दिल्ली के रानी बाग इलाके में 26 अक्टूबर को एक बिजनेसमैन के घर बदमाशों ने अंधाधुंध फायरिंग की. बदमाशों का इरादा किसी को मारना नहीं था. इसलिए गोलियां चलाने के बाद उन्होंने एक पर्ची फेंकी. पर्ची में रंगदारी की रकम के साथ गैंग का नाम लिखा था, कौशल चौधरी, बंबीहा गैंग.

लॉरेंस बिश्नोई की तरह कौशल चौधरी भी जेल मेंरानीबाग में कारोबारी को रंगदारी के लिए धमकाने से पहले भी कौशल चौधरी और बंबीहा गैंग के बदमाशों ने दिल्ली के व्यापारियों में दहशत फैलाने के लिए ऐसी कई वारदातों को अंजाम दिया था. लॉरेंस बिश्नोई की तरह कौशल चौधरी भी जेल में है. वो गुरुग्राम की भोंडसी जेल से अपना गैंग चला रहा है. हरियाणा, राजस्थान और पंजाब में लॉरेंस बिश्नोई गैंग को चुनौती देने के बाद कौशल चौधरी ने दिल्ली को टारगेट किया, तो उसी का जवाब देने के लिए लॉरेंस के सहयोगी गोगी गैंग ने अपने गुर्गों को एक्टिव कर दिया. मैसेज बहुत साफ था कि दिल्ली में अब लॉरेंस बिश्नोई और बंबीहा गैंग के बीच वर्चस्व की जंग शुरू हो गई है. बंबीहा गैंग की कमान इन दिनों कौशल चौधरी ही संभाल रहा है.

लॉरेंस और बंबीहा की अदावत ने दिल्ली खासकर पश्चिम और उत्तरी दिल्ली के लोगों को 30 साल पुराना दौर याद दिला दिया है. उस वक्त गैंगवार की शुरुआत दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के नजफगढ़ से हुई थी. नजफगढ़ में उन दिनों बलराज-अनूप की जोड़ी और कृष्ण पहलवान के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही थी. जमीन के एक टुकड़े की वजह से दोनों गिरोह आपस में टकराए और इस गैंगवॉर में 50 से ज्यादा लोगों की जान चली गई. 1998 में बलराज का मर्डर हुआ और 2003 में पुलिस कस्टडी में अनूप को मार दिया गया. दोनों के मरने के बाद माना जा रहा था कि दिल्ली में गैंगवॉर खत्म हो जाएगी,लेकिन ऐसा हुआ नहीं. बलराज और अनूप के गुर्गों ने नया गैंग बना लिया. जुर्म की दुनिया के कई नए रंगरूट भी दिल्ली को डराने के लिए तैयार थे.

2015 में नजफगढ़ के पूर्व विधायक की हुई थी हत्यादिल्ली की क्राइम कुंडली में 29 मार्च 2015 की तारीख हमेशा के लिए दर्ज हो गई है. नजफगढ़ के पूर्व विधायक भरत सिंह उस दिन अपने घर से एक धार्मिक कार्यक्रम के लिए रवाना हुए. नजफगढ़-बहादुरगढ़ रोड पर पहले से मौजूद आठ लोगों ने अंधाधुंध फायरिंग करके भरत सिंह को मार डाला.

माना गया कि पूर्व विधायक भरत सिंह की हत्या भी दिल्ली की उस गैंगवॉर का नतीजा थी, जो बलराज-अनूप और कृष्ण पहलवान के बीच शुरू हुई थी. भरत सिंह, कृष्ण पहलवान के भाई थे. पुलिस ने आरोपियों को पकड़ा, तो मालूम हुआ कि इस हत्याकांड के मास्टरमाइंड उदयवीर उर्फ काले के पिता, चाचा और भाई की हत्या साल 2002 में हुई थी. हत्या के पीछे कृष्ण पहलवान का हाथ था. कृष्ण पहलवान के भाई भरत सिंह के साथ जमीन का झगड़ा भी था. इसलिए भरत सिंह की हत्या कर दी गई.

छोटी-छोटी बातों पर कत्ल, फिर बदला लेने के लिए गैंगदिल्ली में पिछले 30 साल में जितने भी आपराधिक गिरोह या गैंगस्टर पैदा हुए, सबकी कहानी मिलती-जुलती है. छोटी-छोटी बातों पर तैश में आकर कत्ल हुआ, तो बदला लेने के लिए गैंग बन गए. इलाके में दबदबे के चक्कर में गुंडागर्दी करने वाला बवाना का नीरज एक बार जेल पहुंचा, तो गैंगस्टर का साथी बना और बाद में खुद का गैंग चलाने लगा. दिल्ली के श्रद्धानंद कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव में वर्चस्व की लड़ाई छिड़ी, तो जितेंद्र मान उर्फ गोगी और सुनील उर्फ टिल्लू ताजपुरिया के बीच गैंगवॉर शुरू हो गई.

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