UP: दलित ही विधाता… जिसने साधा, दूर होगी बाधा ?

UP: दलित ही विधाता… जिसने साधा, दूर होगी बाधा; इस सीट पर जीत दर्ज करना BJP संग सपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल
यूपी की नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए 20 नवंबर को मतदान होगा। इस विधानसभा सीट पर उपचुनाव में जीत दर्ज करना भाजपा के साथ ही सपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।
Up By Election Ambedkarnagar Katehari Vidhan Sabha Seat BJP Vs SP News in Hindi
Up By Election ….
पिछले कई दशकों से भाजपा के धार्मिक एजेंडे में शामिल रहे अयोध्या सटे अंबेडकरनगर जिले की कटेहरी विधानसभा में हो रहे उपचुनाव में जीत दर्ज करना भाजपा के साथ ही सपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। भाजपा इस चुनाव जीतने के लिए इसलिए जोर लगाए हुए कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनने के बाद यह विधानसभा स्तर पर पहला चुनाव है। 

वहीं, लगातार दो बार से सपा के खाते में रही इस सीट को बचाने को लेकर सपा भी जद्दोजहद करती दिख रही है। भाजपा, सपा और बसपा के उम्मीदवार अपने-अपने कोर वोट बैंक के साथ ही दूसरे वोट बैंक में सेंधमारी के जरिये जीत का समीकरण बिठाने में जुटे हैं, पर क्षेत्र के भ्रमण के दौरान जनता का मिजाजा यही बता रहा है कि जीत का सेहरा उसी के सिर बंधेगा, जो प्रत्याशी दलित बहुल इस सीट पर दलितों को रिझाने में सफल होगा।

कटेहरी विधानसभा में तीन दशक से ज्यादा वक्त से जहां भाजपा ने जीत का स्वाद नहीं चखा है। क्या भाजपा जीत के सूखे को इस बार दूर कर पाएगी या फिर बसपा-सपा का चल रहा क्रम ही दोहराएगा। इसे समझने के लिए हम मंगलवार को कटेहरी पहुंचे। वहां के ग्रामीण और शहरी क्षेत्र की गलियों, मोहल्लों के लोगों के मिजाज को भांपने की कोशिश की। 

हर वर्ग और जाति के लोगों के चुनावी चर्चा के दौरान यह साफ हो गया है कि इस बार के उपचुनाव में मुद्दे के बजाय प्रत्याशियों की छवि और जातिगत समीकरण ही चुनाव परिणाम तैयार करेंगे। चर्चा में पहली चीज यह समझ में आई जातिगत आंकड़ों का सियासी गणित। 

कटेहरी में जितने अनुसूचित जाति समुदाय से आने वाले लोग हैं करीब-करीब उतने ही सवर्ण हो जाते हैं। ऐसे में पिछड़ों की भूमिका बेहद अहम हो जाती है, लेकिन कटेहरी में सबसे ज्यादा ताकत में दलित हैं।

माना जा रहा है कि पिछड़े-दलित जिसके पक्ष में लामबंद होंगे, उसकी जीत पक्की है। कटेहरी में तीन प्रमुख पार्टियों ने पिछड़े वर्ग से आने वाले प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा है। भाजपा ने यहां 1996, 2002 और 2007 में बसपा के टिकट से विधायक रहे धर्मराज निषाद को प्रत्याशी बनाया है। 

यहां पर भाजपा सिर्फ एक बार 1992 में चुनाव जीती है। पिछले दो चुनाव 10 हजार से भी कम अंतर से हारी है। ऐसे में पार्टी ने यहां पूरी ताकत लगा दी है। खुद सीएम योगी दो बार दौरा कर चुके हैं। 2022 और 2017 का विधानसभा चुनाव ओबीसी बनाम ब्राह्मण हो गया था। 

अबकी बार ओबीसी बनाम ओबीसी है। ऐसे में स्थिति बदली हुई है। भाजपा ने खुद के सिंबल पर धर्मराज निषाद को टिकट दिया है। लोग मानते हैं, जो प्रत्याशी को नहीं पसंद कर रहे, वह पार्टी और योगी-मोदी के नाम पर वोट देंगे।

सपा ने सांसद लालजी वर्मा की पत्नी को टिकट दिया। ऐसे में उनके ऊपर परिवारवाद का आरोप लग रहा है। पार्टी के ही पहाड़ी यादव, शंखलाल यादव जैसे नेता नाराज हो गए। बीजेपी इसे भुनाने की कोशिश कर रही है। यहां पीडीए फॉर्मूला भी ज्यादा प्रभावी नहीं दिख रहा है। बसपा ने यहां अमित वर्मा को प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में वर्मा वोट सपा और बसपा में बंट सकता है। इसका फायदा भाजपा को हो सकता है। पिछले दो चुनाव में ब्राह्मण-ठाकुर के बीच वोट बंट गया था।
लोगों का मिजाज जानने हम सबसे पहले हम महरूआ कस्बे में पहुंचे तो ध्रुप सिंह फौजी के साथ बैठे एक दर्जन लोग चुनावी चर्चा में मशगूल मिले। फौजी का कहना था कि भाजपा जीत तो सकती है, लेकिन स्थानीय स्तर के कुछ नेताओं की भूमिका ही भाजपा को नुकसान पहुंचा रही है। उनका इशारा एक आपराधिक पृष्ठभूमि वाले एक व्यक्ति की ओर था।

वहीं, किशुनीपुर के राजेन्द्र प्रसाद तिवारी भी फौजी से सहमत दिखे। उनका कहना था कि लोकसभा चुनाव की तरह इस चुनाव में भी भाजपा के स्थानीय नेताओं द्वारा कॉडर कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हो रही है, जिससे भाजपा को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
 

लोकनाथपुर के पप्पू सिंह व रामपुर के दलित श्यामलाल कहते हैं कि मुद्दे तो अपनी जगह हैं, लेकिन थाने से लेकर तहसील तक जड़ जमाए भ्रष्टाचार के चलते भी लोगों में नाराजगी है। जो लोग 25 साल से भाजपा का झंडा ढो रहे हैं, उनको भी थाने में बुलाकर अपमानित किया जाता है। ऐसे ही तमाम लोग भी मिले तो भाजपा के जीतने के समीकरण तो बताते हैं, पर स्थानीय संगठन और नेताओं के गुटों में बंटने से नुकसान की आशंका भी जताते हैं।

सरखने किशुनीपुर के पूर्व प्रधान रहे राजेश कुमार दूबे कहते हैं कि भाजपा के जातीय नेता ही भाजपा की लंका लगा रहे हैं। उनका इशारा खास तौर से प्रभारी मंत्रियों की तरफ था। उनका कहना था कि कटेहरी को जिताने की जिम्मेदारी जिनके कंधे पर है, वह मंत्री न तो बस्तियों में जा रहे हैं और ही अपनी-अपनी बिरादरी में ही संपर्क कर रहे हैं।
बसंतपुर के डॉ. रामचंद्र यादव, रतन, पूर्व प्रधान रामकेश यादव का कहना है कि हर बार की तरह इस बार भी विकास के मुद्दे पर चुनाव होगा। बनगांव के दलित बस्ती के रामजियावन वोट किसे देंगे यह तो नहीं बताया। अलबत्ता इतना जरूर कहा कि जो हमारी खबर लेगा, हम उसकी खबर लेंगे।

चेहरों पर चुनाव ज्यादा, मुद्दे किनारे
कटहेरी में लोगों से बात करते वक्त यह भी महसूस हुआ मुद्दों के अलावा लोगों के जेहन में प्रत्याशियों की छवि भी है। बसंतपुर के रंजन कुमार कहते हैं कि जिस उम्मीदवार की छवि बेहतर होगी, उसका ही चुनाव किया जाएगा। एक खास बात यह भी दिखी कि भाजपा के जिला संगठन से नाराज तमाम लोगों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भरोसा है। कई लोगों कहना था कि विकास, रोजगार और जनसमस्या जैसे मुद्दे इस बार के चुनाव में न तो ज्यादा असरकारी हैं और न ही दलों द्वारा उसकी चर्चा हो रही है। लिहाजा प्रत्याशियों की छवि को लेकर जनता के बीच खूब चर्चा है।
जातियों में टूट का खतरा
अलग-अलग इलाकों में घूमने के दौराय यह भी महसूस हुआ कि जातियों में भी एकजुटता कम दिख रही है। भले ही बड़े जाति वर्ग एक रहने की बात करते हों, लेकिन उन्हें थोड़ा टटोलने पर खुलकर बोल जाते हैं कि दिक्कत खूब है, पूछ नहीं हो रही, बताइए क्या जाति के नाम पर पार्टी के साथ रहा जाए. वैसे ये हाल हर पार्टी के साथ मानी जाने वाली जातियों के हैं ऐसे में प्रत्याशी अपनों को साथ रखने के साथ ही दूसरों में भी सेंधमारी के अवसर तलाश रहे हैं।
जीते कोई भी, बसपा एंगल बना रहेगा
कटेहरी से प्रत्याशियों का बसपा से खास रिश्ता है, 23 नवंबर को जिस भी प्रत्याशी की जीत हो बसपा की चर्चा बनी रहने वाली है. सपा प्रत्याशी शोभावती वर्मा के पति लालजी वर्मा पहले बहुजन समाज पार्टी से ही इस सीट पर विधायक चुने जा चुके हैं. भाजपा के प्रत्याशी धर्मराज निषाद को बसपा सरकार में मंत्री भी रहे और अमित वर्मा तो बसपा के प्रत्याशी हैं ही. ऐसे में लोगों का साफ कहना है कि बसपा और कटेहरी का संबंध इस चुनाव में तो नहीं टूटने वाला।
 
सपा ने सभी 5 सीटें जीती थी
अंबेडकरनगर में कुल 5 विधानसभा हैं। 2022 में सभी सीटों पर सपा प्रत्याशियों की जीत हुई थी। इसी में एक सीट कटेहरी थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में यहां से विधायक रहे लालजी वर्मा को सपा ने प्रत्याशी बनाया। वह जीत गए। इसलिए यह सीट खाली हुई। अब उनकी पत्नी शोभावती चुनाव लड़ रही हैं।
 
ये हैं प्रत्याशी मैदान में
सपा : शोभावती वर्मा
भाजपा : धर्मराज निषाद
बसपा : अमित वर्मा
जातिगत आंकड़े (अनुमानित)
अनुसूचित जाति- 85,000
ब्राम्हण- 50,000
कुर्मी- 45,000
मुस्लिम- 40,000
क्षत्रिय 30,000
निषाद- 30,000
यादव-22,000
राजभर-20,000
बनिया-15,000
धोबी/पासी- 10,000
मौर्या-10,000
पाल- 7,000
कुम्हार/कहार-6000
नाई-8000
चौहान-5000
विश्वकर्मा-4000
अन्य 13,875
कुल मतदाता -4,00,875
पुरुष-2,10568
महिला-1,90306
अन्य-1

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *