UP: दलित ही विधाता… जिसने साधा, दूर होगी बाधा ?
UP: दलित ही विधाता… जिसने साधा, दूर होगी बाधा; इस सीट पर जीत दर्ज करना BJP संग सपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल
वहीं, लगातार दो बार से सपा के खाते में रही इस सीट को बचाने को लेकर सपा भी जद्दोजहद करती दिख रही है। भाजपा, सपा और बसपा के उम्मीदवार अपने-अपने कोर वोट बैंक के साथ ही दूसरे वोट बैंक में सेंधमारी के जरिये जीत का समीकरण बिठाने में जुटे हैं, पर क्षेत्र के भ्रमण के दौरान जनता का मिजाजा यही बता रहा है कि जीत का सेहरा उसी के सिर बंधेगा, जो प्रत्याशी दलित बहुल इस सीट पर दलितों को रिझाने में सफल होगा।
कटेहरी विधानसभा में तीन दशक से ज्यादा वक्त से जहां भाजपा ने जीत का स्वाद नहीं चखा है। क्या भाजपा जीत के सूखे को इस बार दूर कर पाएगी या फिर बसपा-सपा का चल रहा क्रम ही दोहराएगा। इसे समझने के लिए हम मंगलवार को कटेहरी पहुंचे। वहां के ग्रामीण और शहरी क्षेत्र की गलियों, मोहल्लों के लोगों के मिजाज को भांपने की कोशिश की।
हर वर्ग और जाति के लोगों के चुनावी चर्चा के दौरान यह साफ हो गया है कि इस बार के उपचुनाव में मुद्दे के बजाय प्रत्याशियों की छवि और जातिगत समीकरण ही चुनाव परिणाम तैयार करेंगे। चर्चा में पहली चीज यह समझ में आई जातिगत आंकड़ों का सियासी गणित।
माना जा रहा है कि पिछड़े-दलित जिसके पक्ष में लामबंद होंगे, उसकी जीत पक्की है। कटेहरी में तीन प्रमुख पार्टियों ने पिछड़े वर्ग से आने वाले प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा है। भाजपा ने यहां 1996, 2002 और 2007 में बसपा के टिकट से विधायक रहे धर्मराज निषाद को प्रत्याशी बनाया है।
अबकी बार ओबीसी बनाम ओबीसी है। ऐसे में स्थिति बदली हुई है। भाजपा ने खुद के सिंबल पर धर्मराज निषाद को टिकट दिया है। लोग मानते हैं, जो प्रत्याशी को नहीं पसंद कर रहे, वह पार्टी और योगी-मोदी के नाम पर वोट देंगे।
वहीं, किशुनीपुर के राजेन्द्र प्रसाद तिवारी भी फौजी से सहमत दिखे। उनका कहना था कि लोकसभा चुनाव की तरह इस चुनाव में भी भाजपा के स्थानीय नेताओं द्वारा कॉडर कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हो रही है, जिससे भाजपा को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
कटहेरी में लोगों से बात करते वक्त यह भी महसूस हुआ मुद्दों के अलावा लोगों के जेहन में प्रत्याशियों की छवि भी है। बसंतपुर के रंजन कुमार कहते हैं कि जिस उम्मीदवार की छवि बेहतर होगी, उसका ही चुनाव किया जाएगा। एक खास बात यह भी दिखी कि भाजपा के जिला संगठन से नाराज तमाम लोगों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भरोसा है। कई लोगों कहना था कि विकास, रोजगार और जनसमस्या जैसे मुद्दे इस बार के चुनाव में न तो ज्यादा असरकारी हैं और न ही दलों द्वारा उसकी चर्चा हो रही है। लिहाजा प्रत्याशियों की छवि को लेकर जनता के बीच खूब चर्चा है।
अलग-अलग इलाकों में घूमने के दौराय यह भी महसूस हुआ कि जातियों में भी एकजुटता कम दिख रही है। भले ही बड़े जाति वर्ग एक रहने की बात करते हों, लेकिन उन्हें थोड़ा टटोलने पर खुलकर बोल जाते हैं कि दिक्कत खूब है, पूछ नहीं हो रही, बताइए क्या जाति के नाम पर पार्टी के साथ रहा जाए. वैसे ये हाल हर पार्टी के साथ मानी जाने वाली जातियों के हैं ऐसे में प्रत्याशी अपनों को साथ रखने के साथ ही दूसरों में भी सेंधमारी के अवसर तलाश रहे हैं।
कटेहरी से प्रत्याशियों का बसपा से खास रिश्ता है, 23 नवंबर को जिस भी प्रत्याशी की जीत हो बसपा की चर्चा बनी रहने वाली है. सपा प्रत्याशी शोभावती वर्मा के पति लालजी वर्मा पहले बहुजन समाज पार्टी से ही इस सीट पर विधायक चुने जा चुके हैं. भाजपा के प्रत्याशी धर्मराज निषाद को बसपा सरकार में मंत्री भी रहे और अमित वर्मा तो बसपा के प्रत्याशी हैं ही. ऐसे में लोगों का साफ कहना है कि बसपा और कटेहरी का संबंध इस चुनाव में तो नहीं टूटने वाला।
अंबेडकरनगर में कुल 5 विधानसभा हैं। 2022 में सभी सीटों पर सपा प्रत्याशियों की जीत हुई थी। इसी में एक सीट कटेहरी थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में यहां से विधायक रहे लालजी वर्मा को सपा ने प्रत्याशी बनाया। वह जीत गए। इसलिए यह सीट खाली हुई। अब उनकी पत्नी शोभावती चुनाव लड़ रही हैं।
भाजपा : धर्मराज निषाद
बसपा : अमित वर्मा
अनुसूचित जाति- 85,000
ब्राम्हण- 50,000
कुर्मी- 45,000
मुस्लिम- 40,000
क्षत्रिय 30,000
निषाद- 30,000
यादव-22,000
राजभर-20,000
बनिया-15,000
धोबी/पासी- 10,000
मौर्या-10,000
पाल- 7,000
कुम्हार/कहार-6000
नाई-8000
चौहान-5000
विश्वकर्मा-4000
अन्य 13,875
पुरुष-2,10568
महिला-1,90306
अन्य-1