रामेश्वर से श्रीनगर तक दौड़ेगी ट्रेन, बनकर तैयार हुआ पहला लिफ्ट अप ब्रिज ?

बस महीने भर का इंतजार… रामेश्वर से श्रीनगर तक दौड़ेगी ट्रेन, बनकर तैयार हुआ पहला लिफ्ट अप ब्रिज

तमिलनाडु के रामेश्वरम में नए पंबन रेल पुल की वहन क्षमता की जांच के लिए दो लोको और 11 लोडेड वैगनों के साथ लोड डिफ्लेक्शन परीक्षण किया गया. रामेश्वरम का नया पंबन ब्रिज करीब 2.2 किलोमीटर लंबा है.

बस महीने भर का इंतजार... रामेश्वर से श्रीनगर तक दौड़ेगी ट्रेन, बनकर तैयार हुआ पहला लिफ्ट अप ब्रिज

भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट अप ब्रिज बनकर तैयार हो गया है. पंबन पुल ऐतिहासिक महत्व रखता है. क्योंकि यह भारत में समुद्र पर बना पहला पुल है. इस रेल पुल के निर्माण का प्रयास 1870 में ही शुरू हो गए था. जब ब्रिटिश सरकार ने श्रीलंका तक व्यापार संपर्क बढ़ाने का फैसला किया था. लगभग 2.2 किलोमीटर लंबे और 143 खंभों वाले इस पुल को आधिकारिक तौर पर 1914 में चालू किया गया था.

आरएसवीएनएल के मुख्य इंजीनियर आर श्रीनिवास ने टीवी9 भारतवर्ष से खास बातचीत में बताया कि मेक इन इंडिया के तहत इसे बनाया गया है जो अगले 100 साल तक सुरक्षित रहेगा.

चीन की गतिविधियों पर नजरइस ब्रिज के माध्यम से श्रीलंका में चीनी गतिविधियों पर भी नजर रखने में सहूलियत होगी. फिलहाल श्रीलंका के राष्ट्रपति चीन के दौरे पर हैं. वहां हम्बनटोटा में कुछ इन्फ्रास्ट्रक्चर वर्क का काम उन्होंने चीन को दिया है. ऐसे में पंबन ब्रिज के बनने से हम्बनटोटा पर चीनी गतिविधियों पर भी नजर होगी और कम समय में वहां तक पहुंचा जा सकेगा.

पंबन ब्रिज के पास समुद्री हवाएं काफी तेज चलती हैं. कभी-कभी 100 किलोमीटर की रफ्तार से भी हवा चलती है. ऐसे में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सिग्नल को विंड स्पीड से कनेक्ट किया गया है. जैसे ही 50 किलोमीटर से ऊपर की रफ्तार से हवा चलेगी वैसे ही ट्रेन का परिचालन बंद हो जाएगा.

पुल बनने के बाद हुआ सफल परीक्षणतमिलनाडु के रामेश्वरम में नए पंबन रेल पुल की वहन क्षमता की जांच के लिए दो लोको और 11 लोडेड वैगनों के साथ लोड डिफ्लेक्शन परीक्षण किया गया. रामेश्वरम का नया पंबन ब्रिज करीब 2.2 किलोमीटर लंबा है. यह पुल समुद्र तल से 22 मीटर ऊंचा होगा. रामेश्वरम के पुराने पंबन ब्रिज की लंबाई 6,776 फ़ुट (2,065 मीटर) थी.

यह पुल मंडपम और रामेश्वरम द्वीप को जोड़ता था. यह भारत का पहला समुद्री पुल था, और 2010 में बांद्रा-वर्ली सी लिंक के खुलने तक भारत का सबसे लंबा समुद्री पुल था. यह एक पारंपरिक पुल था जो बीच में एक डबल-लीफ बेसक्यूल सेक्शन के साथ कंक्रीट के खंभों पर टिका हुआ था, जिसे जहाजों को गुजरने देने के लिए ऊपर उठाया जा सकता था.

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