ट्रम्प ने भारतीयों को हथकड़ी-बेड़ियां पहनाकर मिलिट्री प्लेन से क्यों भेजा, सरकार खामोश ?
ट्रम्प ने भारतीयों को हथकड़ी-बेड़ियां पहनाकर मिलिट्री प्लेन से क्यों भेजा, सरकार खामोश; क्या ये डिप्लोमैटिक फेल्योर है
5 फरवरी की दोपहर करीब 2 बजे। अमृतसर के श्री गुरु रामदासजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर अमेरिका का C-17 ग्लोबमास्टर प्लेन लैंड हुआ। इसमें से 104 अवैध भारतीय अप्रवासी उतरे, जिन्हें ट्रम्प सरकार ने हथकड़ी-बेड़ियां पहनाकर जबरन डिपोर्ट किया है।
अवैध अप्रवासियों को मिलिट्री प्लेन से भेजना नॉर्मल फ्लाइट से करीब 6 गुना महंगा है, फिर भी इसका इस्तेमाल करके ट्रम्प ने क्या संदेश दिया और क्या ये भारत सरकार का डिप्लोमैटिक फेल्योर है…
सवाल-1: अवैध भारतीय अप्रवासियों को किस दशा में अमेरिका से डिपोर्ट किया गया?
जवाब: अमेरिका ने अवैध अप्रवासियों के हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां पहनाकर भारत डिपोर्ट किया। पंजाब के होशियारपुर के गांव ताहली के रहने वाले 40 वर्षीय अवैध अप्रवासी हरविंदर सिंह ने कहा, ‘हमें 40 घंटों तक हथकड़ियों से बांधकर रखा। हमारे पैरों में बेड़ियां डली हुई थीं और हमें एक इंच हिलने की भी इजाजत नहीं थी। बार-बार अनुरोध करने के बाद हम घिसटते हुए वॉशरूम तक पहुंचे। फिर क्रू मेम्बर्स वॉशरूम का गेट खोलकर हमें अंदर धकेल देते थे।’
20 जनवरी 2025 को अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद अवैध अप्रवासियों के मुद्दे पर ट्रम्प ने कहा, ‘हम बुरे, खूंखार अपराधियों को बाहर निकाल रहे हैं। ये हत्यारे हैं। ये सबसे बुरे हैं, जितने आप सोच नहीं सकते। हम सबसे पहले उन्हें बाहर निकाल रहे हैं।’
ट्रम्प ने ‘लैकेन रिले एक्ट’ पर साइन किया, जिससे अमेरिकी अधिकारियों को उन अवैध अप्रवासियों को हिरासत में लेकर डिपोर्ट करने का अधिकार मिला, जो किसी आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहे हैं। इसके बाद 15 लाख अवैध अप्रवासियों की लिस्ट तैयार की गई, जिसमें 20,407 भारतीय भी हैं।

24 जनवरी को व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर हथकड़ी लगे प्रवासियों की तस्वीरें पोस्ट की थीं। जो एक-दूसरे से बंधे हुए थे और एक सैन्य विमान की ओर बढ़ रहे थे।

30 जनवरी 2025 को अमेरिका ने 80 अप्रवासियों को टेक्सास से ग्वाटेमाला भेजा था। इन अप्रवासियों की तस्वीरें भी जारी हुई थीं, जिसमें उनके हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां बंधी हुई थीं।
ट्रम्प प्रशासन ने भारत के अवैध अप्रवासियों की पहली खेप भी मिलिट्री विमान से भेजी। उनकी कोई फोटो या वीडियो मौजूद नहीं है, जिससे ये कन्फर्म नहीं कि भारतीयों को हथकड़ी-बेड़ी पहनाई गई थी या नहीं। हालांकि, अभी तक सरकार ने इसका खंडन भी नहीं किया गया है।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में कहा, अमेरिका से डिपोर्ट हुए भारतीयों को हथकड़ी लगाए जाने और अपमानित किए जाने की तस्वीरें देखकर मुझे दुख होता है।
सवाल-2: आखिर ट्रम्प अमेरिका में मौजूद अवैध अप्रवासियों पर इतने सख्त क्यों हैं?
जवाब: डोनाल्ड ट्रम्प ने चुनाव में अवैध अप्रवासियों को देश से निकालने का वादा करते हुए अमेरिका के इतिहास का सबसे बड़ा डिपोर्टेशन करने को कहा था। ट्रम्प का मानना है कि दूसरे देशों से लोग अमेरिका में अवैध तरीके से घुसकर अपराध करते हैं। यहां नौकरियों के बड़े हिस्से पर अप्रवासियों का कब्जा है, इससे अमेरिकी लोगों को नौकरी नहीं मिलती।
कांग्रेस नेता शशि थरूर के मुताबिक अमेरिका से अवैध अप्रवासियों को डिपोर्ट करना कोई अनोखी बात नहीं है। बाइडेन प्रशासन ने भी 1 साल में 1100 अप्रवासियों को भारत वापस भेजा था।

अमेरिकी होमलैंड सुरक्षा विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1 अक्टूबर 2023 से 30 सितंबर 2024 तक बाइडेन सरकार ने 1,100 भारतीय अप्रवासियों को भारत वापस भेजने के लिए चार्टर्ड प्लेन और कॉमर्शियल फ्लाइट का इस्तेमाल किया था। इनमें सिर्फ पुरुष और महिलाएं थीं। अवैध अप्रवासियों के बच्चे शामिल नहीं थे।
सवाल-3: अवैध प्रवासियों को सामान्य फ्लाइट से भेजा जा सकता था, फिर ट्रम्प ने 6 गुना महंगे मिलिट्री प्लेन से कैदियों की तरह क्यों भेजा?
जवाब: ट्रम्प ने अक्सर अवैध अप्रवासियों को ‘एलियन’ और ‘अपराधी’ कहा है, जिन्होंने अमेरिका पर हमला किया। सैन्य विमान से अप्रवासियों को भेजने का उद्देश्य इस ओर इशारा करता है कि ट्रम्प ऐसे अपराधों के प्रति सख्त हैं। ट्रम्प ने कहा,
हम अवैध विदेशियों का पता लगा रहे हैं और उन्हें सैन्य विमानों में भरकर वापस उन जगहों पर भेजा जा रहा है जहां से वे आए थे।
24 जनवरी को व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने लिखा, ‘राष्ट्रपति ट्रम्प पूरी दुनिया को एक मजबूत और स्पष्ट संदेश दे रहे हैं कि अगर आप अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करते हैं, तो आपको गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।’
फॉरेन एक्सपर्ट ए.के. पाशा के मुताबिक जिस तरह ट्रम्प ने अवैध अप्रवासियों को कैदियों की तरह भारत वापस भेजा, इससे साफ जाहिर हो रहा है कि वे भारत को एक कमजोर देश समझते हैं। अपने आक्रामक रुख से वो भारत को दबाव में लाना चाहते हैं।
सवाल-4: क्या भारतीयों के प्रति ट्रम्प का ये रवैया भारत का डिप्लोमैटिक फेल्योर है?
जवाब: 21 जनवरी को वॉशिंगटन डीसी में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की मुलाकात हुई थी। तब मार्को ने अवैध भारतीय प्रवासियों का मुद्दा उठाया था। इस पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि भारत उन प्रवासियों को वापस लेने को तैयार हैं, जो अधूरे या बगैर दस्तावेज के अमेरिका पहुंचे थे। एस. जयशंकर ने कहा, ‘भारत जांच कर रहा है कि अमेरिका में कितने भारतीय अवैध रूप से रह रहे हैं और इन्हें वापस भेजा जा सकता है या नहीं।’

ए.के. पाशा के मुताबिक, ‘पहले भी अवैध अप्रवासी डिपोर्ट किए गए हैं, लेकिन उन्हें इस तरह स्वीकार करना सरकार का डिप्लोमैटिक फेल्योर है। विदेश मंत्री को यह सुनिश्चित करना जरूरी था कि अमेरिका अवैध अप्रवासियों को किस तरह भेजेगा। अगर यह पहले तय हो गया होता तो आज भारत के लोगों के हाथों में हथकड़ियां नहीं होतीं और उन्हें सैन्य विमान से बड़े अपराधियों की तरह डिपोर्ट नहीं किया जाता।’
ट्रम्प ने जब कोलंबिया के अवैध प्रवासियों को अमेरिकी सेना के विमान से उनके देश वापस भेजने की घोषणा की तो कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेड्रो ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि वो अपने नागरिकों की ‘गरिमा’ को बनाए रखना चाहते हैं। इसके बाद कोलंबिया वायु सेना के दो विमान अमेरिका गए और वो अवैध प्रवासियों को लेकर राजधानी बोगोटा पहुंचे।
सवाल-5: अमेरिका के इस रवैये पर भारत सरकार का क्या रुख है?
जवाब: विदेश मामलों के जानकार और JNU के प्रोफेसर राजन कुमार कहते हैं, भारत ट्रम्प के इस रवैये पर खामोश है, क्योंकि PM मोदी और ट्रम्प की मुलाकात होने वाली है। भारत अभी कोई बयान देकर नया विवाद खड़ा नहीं करना चाहता। अगर भारत के किसी बयान से ट्रम्प नाराज हो गए तो यह मुलाकात रद्द हो सकती है।’
ए.के. पाशा ने कहा,
PM मोदी फिलहाल ट्रम्प प्रशासन के खिलाफ नहीं बोलेंगे, क्योंकि वे ट्रम्प के साथ दोस्ती को मजबूत करना चाहते हैं। दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका से भारत दुश्मनी करने की स्थिति में नहीं है।
सवाल-6: क्या PM मोदी और ट्रम्प की मुलाकात से यह मामला सुलझेगा?
जवाब: BHU में यूनेस्को चेयर फॉर पीस के प्रोफेसर प्रियंकर उपाध्याय का कहना है कि PM मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प की मुलाकात से अप्रवासियों का डिपोर्टेशन नहीं रुकेगा। भारत इस स्थिति में नहीं है कि अप्रवासियों की वापसी पर रोक लगा सके। अमेरिका सुपर पावर है और बीते कुछ दिनों से अमेरिका और भारत के रिश्तों में दरार पड़ने लगी है। ऐसे में PM मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती नहीं देंगे।
28 जनवरी को PM मोदी ने डोनाल्ड ट्रम्प से फोन पर बात की थी। इसके बाद ट्रम्प ने कहा,
अवैध अप्रवासियों के मुद्दे पर मोदी वही करेंगे, जो सही होगा। जब हम अमेरिका में अवैध तरीके से रह रहे भारतीयों को उनके देश भेजेंगे, तो मोदी सही फैसला लेंगे। भारत के साथ हमारे बहुत अच्छे संबंध हैं। हम भारत से IT प्रोफेशनल्स को लेने के लिए तैयार हैं।
प्रियंकर उपाध्याय कहते हैं कि भारत का अपने पड़ोसी देशों की तुलना में अमेरिका के साथ दोहरा रवैया है। बांग्लादेश के अप्रवासियों को लेकर सरकार का नजरिया सख्त रहा है, लेकिन अमेरिकी अप्रवासियों के लिए मोदी सरकार ने हामी भर दी, क्योंकि यह इकोनॉमिक माइग्रेंट्स हैं। आसान भाषा में समझें तो यह वो लोग हैं जो अमेरिका में पैसा कमाने के लिए गए थे। इसलिए PM मोदी, ट्रम्प से इस विषय में बात नहीं करेंगे।
सवाल-7: अभी अमेरिका में कितने अवैध भारतीय अप्रवासी बचे हैं और क्या उन्हें भी डिपोर्ट किया जाएगा?
जवाब: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका में अभी 20,407 अवैध भारतीय अप्रवासी ऐसे हैं जिन्हें डिपोर्टेशन का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से 17,940 भारतीय लोगों को निकालने के लिए अंतिम आदेश जारी किया जा चुका है। वहीं 2,467 भारतीयों को अमेरिकी इमिग्रेशन विभाग (ICE) ने हिरासत में ले रखा है।
प्यू रिसर्च सेंटर की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में लगभग 7.25 लाख अवैध भारतीय अप्रवासी रहते हैं। यह आंकड़ा अवैध प्रवासियों की तीसरी सबसे बड़ी संख्या है।
सवाल-8: इस डिपोर्टेशन में कितना खर्च आया और क्या ये रकम भारत चुका रहा है?
जवाब: अप्रवासियों के लौटने का खर्च भारत नहीं, बल्कि ट्रम्प सरकार उठा रही है। ग्लोबमास्टर C-17 के भारत का एक चक्कर लगाने में करीब 6 करोड़ रुपए का खर्च आया है। ये सामान्य चार्टर्ड उड़ान से लगभग छह गुना ज्यादा है।
आज 104 लोगों को C-17 सैन्य विमान से भेजने का खर्च 6 करोड़ रुपए रहा। यानी एक व्यक्ति का खर्च 5.76 लाख रुपए है। अमेरिका को 20 हजार अवैध अप्रवासियों को भारत भेजने के लिए 1.2 हजार करोड़ रुपए खर्च करने होंगे। इसके लिए C-17 सैन्य विमान को लगभग 193 चक्कर लगाने होंगे।
अमेरिकी रक्षा विभाग डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस (DOD) अप्रवासियों को हटाने की मुहिम में 4 मिलिट्री एयरक्राफ्ट्स का इस्तेमाल कर रही है। इनमें दो C-17 और दो C-130E विमान शामिल हैं।