CBSE ने स्कूल संबद्धता नियमों में दी बड़ी राहत, अब एक ही नंबर से चलेंगी ब्रांच !

CBSE ने स्कूल संबद्धता नियमों में दी बड़ी राहत, अब एक ही नंबर से चलेंगी ब्रांच, जानें क्या होगा असर?  

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने मान्यता प्राप्त विद्यालयों के संबद्धता मानदंडों में ढील दी है, जिससे अब ये विद्यालय समान नाम और एक ही संबद्धता संख्या के तहत स्कूल की अन्य शाखा स्थापित कर सकते हैं.

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने अपने संबद्धता नियमों में बड़ा बदलाव किया है, जिससे अब एक ही स्कूल की कई शाखाएं एक ही संबद्धता संख्या (Affiliation Number) के तहत संचालित की जा सकेंगी. पहले हर शाखा के लिए अलग संबद्धता संख्या जरूरी होती थी, लेकिन नए नियमों के तहत अब मुख्य विद्यालय और उसकी शाखा एक ही नाम से कार्य कर सकते हैं.

क्या होंगे नए बदलाव?
सीबीएसई अधिकारियों के अनुसार, मुख्य विद्यालय और उसकी शाखा का स्वामित्व और प्रबंधन एक ही होगा. इसके अलावा शैक्षणिक और प्रशासनिक प्रक्रियाएं भी एक समान रहेंगी. बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया कि दोनों विद्यालयों को अपने-अपने शिक्षण और गैर-शिक्षण स्टाफ की नियुक्ति करनी होगी और उनका वेतन भुगतान मुख्य विद्यालय के अधीन होगा.

सीबीएसई के सचिव हिमांशु गुप्ता ने कहा इस बदलाव से स्कूल प्रबंधन को अतिरिक्त सुविधा मिलेगी. अब स्कूल समूह अपनी नई शाखाएं खोलने के लिए अलग संबद्धता संख्या लेने की बजाय एक ही संख्या के तहत कार्य कर सकते हैं.

छात्रों के प्रवेश और पदोन्नति में क्या बदलाव?
अब यदि कोई छात्र शाखा विद्यालय (Primary Branch) से मुख्य विद्यालय (Senior Branch) में स्थानांतरित होता है, तो इसे नया प्रवेश नहीं माना जाएगा. बल्कि इसे स्वाभाविक पदोन्नति (Promotion) की प्रक्रिया माना जाएगा.

कैसे होगा कक्षाओं का बंटवारा?
मुख्य विद्यालय में छठी से बारहवीं तक की कक्षाएं संचालित होंगी. शाखा विद्यालय में प्री-प्राइमरी से कक्षा पांचवीं तक की पढ़ाई होगी. इसका मतलब यह हुआ कि पांचवीं पास करने के बाद छात्र सीधे छठी कक्षा में मुख्य विद्यालय में दाखिला ले सकेगा, बिना किसी नई प्रवेश प्रक्रिया के.

स्कूलों के लिए एक सामान्य वेबसाइट होगी
सीबीएसई ने यह भी निर्देश दिया है कि मुख्य और शाखा विद्यालयों के लिए एक ही वेबसाइट होगी. इस वेबसाइट में शाखा विद्यालय की जानकारी के लिए अलग सेक्शन होगा, ताकि माता-पिता और छात्र आसानी से सूचना प्राप्त कर सकें.

क्यों जरूरी था यह बदलाव?
वर्तमान में सीबीएसई अलग-अलग शाखाओं की अनुमति नहीं देता था, जिससे प्रत्येक स्कूल को अलग संबद्धता संख्या लेनी पड़ती थी. इससे स्कूल प्रबंधन के लिए प्रशासनिक और वित्तीय बोझ बढ़ जाता था. नए नियमों के लागू होने से अब स्कूल समूहों को शाखाएं खोलने में आसानी होगी, और छात्रों के लिए भी यह प्रक्रिया सरल और सुगम बन जाएगी.

बोर्ड से बातचीत केवल मुख्य विद्यालय के प्रधानाचार्य से
सीबीएसई ने स्पष्ट किया है कि सभी प्रकार की आधिकारिक बातचीत और निर्णय मुख्य विद्यालय के प्रधानाचार्य के माध्यम से ही लिए जाएंगे. इसका मतलब यह है कि शाखा विद्यालयों को बोर्ड से अलग संवाद स्थापित करने की जरूरत नहीं होगी.

क्या होगा असर?

  • स्कूलों का प्रशासन आसान होगा.
  • छात्रों के स्कूल बदलने की प्रक्रिया सरल होगी.
  • अभिभावकों के लिए भी स्कूलों की जानकारी हासिल करना आसान होगा.
  • नए स्कूल खोलने की प्रक्रिया अधिक सुगम होगी.

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CBSE Schools: आपके स्कूल को भी मिल सकती है सीबीएसई बोर्ड की मान्यता, बस पूरी करनी होंगी ये शर्तें

CBSE Schools Affiliation: भारत में करीब 15 लाख स्कूल हैं. इनमें से 28 हजार से ज्यादा स्कूल सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध हैं. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड भारत का सबसे बड़ा एजुकेशन बोर्ड है. सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध…और पढ़ें

CBSE Board Affiliation Rules: सीबीएसई बोर्ड की संबद्धता हासि ल करने के लिए उसके नियम मानना जरूरी है

नई दिल्ली (CBSE Schools Affiliation). हर स्कूल का किसी न किसी बोर्ड से संबद्ध होना जरूरी है. उसी से स्कूल को एक खास पहचान मिलती है. भारत के सभी स्कूल यूपी, एमपी, बिहार, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र जैसे विभिन्न राज्य बोर्ड या सीबीएसई, सीआईएससीई बोर्ड से संबद्ध हैं. स्कूल की संबद्धता जिस भी बोर्ड से होती है, वहां उसी बोर्ड के नियमों का पालन किया जाता है.

भारत के 28 हजार से ज्यादा स्कूल सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध हैं (CBSE Board Schools). केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने स्कूलों को एफिलिएशन देने के लिए नियम तय किए हैं. अगर स्कूल उन मानकों पर खरा नहीं उतरता है तो बोर्ड उसे मान्यता नहीं देता है. सीबीएसई बोर्ड अपने नियमों को लेकर सख्त है. उसमें जरा भी कमी रहने पर स्कूल उसमें सुधार करके फिर से एफिलिएशन के लिए आवेदन कर सकते हैं. अगर आप अपने स्कूल को सीबीएसई बोर्ड की मान्यता दिलवाना चाहते हैं तो जानिए जरूरी नियम.

CBSE Board Schools: सीबीएसई बोर्ड स्कूल का क्लास रूम कैसा होना चाहिए?
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने हर स्कूल के क्लास रूम के लिए भी नियम बनाए हैं. सीबीएसई स्कूल के हर क्लास का साइज कम से कम 8 मी x 6 मी (लगभग 500 स्क्वायर फीट) होना चाहिए. हर क्लास के लिए एक अलग कमरा निर्धारित करना अनिवार्य है. हर स्टूडेंट के हिसाब से क्लास में कम से कम 1 स्क्वायर फीट फ्लोर स्पेस की जगह होनी चाहिए.

CBSE Board Science Lab: सीबीएसई स्कूल की साइंस लैब कैसी होनी चाहिए?
सीबीएसई बोर्ड के अधिकतर स्कूलों में साइंस विषय की पढ़ाई करवाई जाती है. सीबीएसई के जिन स्कूलों में साइंस विषय की पढ़ाई होती है (खासतौर पर सेकंडरी और सीनियर सेकंडरी स्कूल), उनमें हर साइंस लैब का साइज कम से कम 9 मी x 6 मी होना चाहिए (कम से कम 600 स्क्वायर फीट). इन लैब्स में प्रैक्टिकल की पूरी व्यवस्था होना भी अनिवार्य है.

CBSE Board Library: सीबीएसई स्कूल में लाइब्रेरी कैसी होनी चाहिए?
सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध स्कूलों की लाइब्रेरी कम से कम 14 मी x 8 मी एरिया में होनी चाहिए. साथ ही लाइब्रेरी में बच्चों की संख्या के हिसाब से पर्याप्त किताबें व अन्य जरूरी सुविधाएं भी होनी चाहिए.

  • लाइब्रेरी में बच्चों की उम्र और क्लास के हिसाब से हर विषय की किताबें होनी जरूरी हैं.
  • मौजूदा दौर को देखते हुए लाइब्रेरी में सामान्य किताबों के साथ ही ई-बुक्स, फिक्शन, नॉन फिक्शन, रेफरेंस बुक्स, एन्साइक्लोपीडिया, पीरियॉडिकल्स, मैगजीन, जर्नल और न्यूजपेपर भी होने चाहिए.
  • लाइब्रेरी में ऐसी कोई किताब या पठन सामग्री नहीं होनी चाहिए, जिससे स्टूडेंट्स धर्म, वर्ग, भाषा आदि के आधार पर उत्तेजित हों या उनके मन में दुर्भावनाएं आएं.
  • सरकार या बोर्ड द्वारा अस्वीकृत किताबें सीबीएसई लाइब्रेरी में नहीं होनी चाहिए.
  • स्कूल में पढ़ने वाले सभी बच्चों को नियमित तौर पर लाइब्रेरी से किताबें इश्यू की जानी चाहिए.

CBSE Board Computer Lab: सीबीएसई स्कूल में कंप्यूटर लैब कैसा होना चाहिए?
सीबीएसई बोर्ड स्कूल में कंप्यूटर लैब कम से कम 9 मी x 6 मी (कम से कम 600 स्क्वायर फीट) के दायरे में होनी चाहिए. जानिए सीबीएसई बोर्ड ने कंप्यूटर लैब के लिए क्या नियम बनाए हैं-

  • स्कूल के पास कम से कम 20 कंप्यूटर होने चाहिए.
  • स्कूल के पास अच्छी स्पीड वाला इंटरनेट कनेक्शन होना चाहिए.
  • अगर किसी स्कूल में 800 बच्चे हैं तो वहां कम से कम एक कंप्यूटर लैब का होना अनिवार्य है.
  • अगर स्कूल में सीनियर सेकंडरी लेवल पर कंप्यूटर साइंस या आईटी जैसे विषयों की पढ़ाई करवाई जाती है तो समुचित व्यवस्थाओं के साथ एक अलग लैब भी होनी चाहिए.
  • स्कूल कंप्यूटर लैब में साइबर सेफ्टी का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए और स्टूडेंट्स को टीचर के सुपरविजन में ही लैब में एंट्री दी जानी चाहिए.

CBSE Board Math Lab: सीबीएसई बोर्ड स्कूलों में मैथ लैब के लिए क्या नियम बनाए गए हैं?
सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध स्कूलों में मैथ लैब का साइज एक सामान्य क्लास रूम जितना होना चाहिए. वैसे सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध हर स्कूल में मैथ लैब नहीं होती है. इससे जुड़े नियमों की जानकारी बोर्ड की वेबसाइट cbse.nic.in या cbse.gov.in पर चेक कर सकते हैं.

CBSE Board Activities: सीबीएसई स्कूलों में एक्सट्रा करिकुलर एक्टिविटीज का कमरा कैसा होना चाहिए?
अगर स्कूल के पास एरिया ज्यादा है तो म्यूजिक, डांस, आर्ट्स और विभिन्न स्पोर्ट्स जैसी एक्टिविटीज के लिए अलग-अलग कमरे बनाए जा सकते हैं. स्कूल चाहें तो एक बड़े मल्टीपर्पस हॉल को भी इन एक्टिविटीज के लिए रिजर्व कर सकते हैं. सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध स्कूलों में बच्चों के ओवरऑल डेवलपमेंट पर फोकस किया जाता है. इसलिए इन स्कूलों में एक्सट्रा करिकुलर एक्टिविटीज पर बहुत ध्यान दिया जाता है.

CBSE Board Rules: CBSE स्कूलों में पीने के पानी, टॉयलेट व फिजिकल एक्टिविटीज के लिए क्या नियम बनाए गए हैं?
सीबीएसई बोर्ड ने ड्रिंकिंग वॉटर, वॉशरूम आदि के लिए भी कुछ जरूरी नियम निर्धारित किए हैं. स्कूल को केंद्रीय माध्यमि शिक्षा बोर्ड की संबद्धता दिलवाने से पहले जानिए उनके बारे में-

  • स्कूल की हर मंजिल पर बच्चों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था होनी चाहिए.
  • स्कूल की हर मंजिल पर छात्रों व छात्राओं के लिए अलग-अलग साफ-सुथरे वॉशरूम बनवाने चाहिए.
  • प्राइमरी लेवल के स्टूडेंट्स के टॉयलेट सेकंडरी वालों से अलग होने चाहिए. स्टाफ मेंबर्स के लिए भी अलग वॉशरूम की व्यवस्था होनी चाहिए.
  • हर क्लासरूम में बच्चों और स्टाफ की संख्या के हिसाब से सही फर्नीचर होना अनिवार्य है.
  • स्कूल में साइंस, होम साइंस, टेक्निकल विषयों, वोकेशनल विषयों और आर्ट एजुकेशन से जुड़े सभी उपकरण और सुविधाएं होनी चाहिए.
  • स्कूल में फायर सेफ्टी के नियमों का पालन होना चाहिए. बच्चों व स्टाफ को समय-समय पर फायर ड्रिल में शामिल होना चाहिए
  • स्कूल में एथलेटिक ट्रैक और कबड्डी, खो-खो, वॉलीबॉल, बास्केटबॉल, क्रिकेट, थ्रोबॉल आदि आउटडोर गेम्स खेलने के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए.

 

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