सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर पर अब बरसेगा पैसा ?
सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर पर अब बरसेगा पैसा, सरकार ने बनाया 1 बिलियन डॉलर का फंड
भारत की क्रिएटर इकॉनमी 30 बिलियन डॉलर के उद्योग में बदल चुकी है और यह देश के GDP में लगभग 2.5% का योगदान देती है. इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग का भी तेजी से विकास हो रहा है, जिसका मूल्य 3,375 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है.

इंटरनेट और सोशल मीडिया की आसान और सस्ती पहुंच ने भारत की क्रिएटर इकॉनमी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है. लाखों युवा अब YouTube, Instagram और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट क्रिएशन के जरिए न केवल अपना करियर बना रहे हैं, बल्कि ब्रांड्स और उद्योगों के लिए भी अहम भूमिका निभा रहे हैं. इसी को देखते हुए, केंद्र सरकार ने क्रिएटर इकॉनमी को समर्थन देने के लिए 1 बिलियन डॉलर का फंड लॉन्च करने की घोषणा की है.
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने वर्ल्ड ऑडियो-विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट (WAVES) 2025 के दौरान इस फंड की घोषणा की. यह फंड पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के तहत संचालित होगा, जिससे क्रिएटर्स को वित्तीय सहायता मिलेगी और वे अपने कंटेंट को ग्लोबल स्तर तक पहुंचा सकेंगे.
इसके अलावा, 391 करोड़ रुपए की लागत से भारतीय रचनात्मक प्रौद्योगिकी संस्थान (IICT) की स्थापना को भी मंजूरी दी गई है. यह संस्थान IIT और IIM की तर्ज पर मुंबई के फिल्म सिटी, गोरेगांव में स्थापित किया जाएगा, जहां कंटेंट क्रिएशन और डिजिटल मीडिया से जुड़ी उच्च स्तरीय ट्रेनिंग दी जाएगी.
क्रिएटर इकॉनमी का महत्त्वभारत की क्रिएटर इकॉनमी 30 बिलियन डॉलर के उद्योग में बदल चुकी है और यह देश के GDP में लगभग 2.5% का योगदान देती है. इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग का भी तेजी से विकास हो रहा है, जिसका मूल्य 3,375 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है. EY की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 12% क्रिएटर्स हर महीने 1 लाख से 10 लाख रुपए तक कमा रहे हैं, और अगले दो वर्षों में 86% क्रिएटर्स अपनी आय में वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं.
WAVES बाज़ार और वैश्विक अवसरसरकार ने WAVES बाज़ार नामक एक ग्लोबल ई-मार्केटप्लेस लॉन्च किया है, जो भारतीय क्रिएटर्स को अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जोड़ेगा. यह मंच फिल्म, टीवी, गेमिंग, संगीत, एनीमेशन और ईस्पोर्ट्स जैसे क्षेत्रों के कंटेंट क्रिएटर्स को वैश्विक अवसर प्रदान करेगा.
भारत की क्रिएटर इकॉनमी सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नौकरी के नए अवसर और वैश्विक पहचान का माध्यम भी बन रही है. सरकार के इस फंड और नई पहलों से भारत को कंटेट का ओरिजनल एक्सपोर्टर बनाने की दिशा में मजबूती मिलेगी.