ना मिटा पा रहे भुखमरी, ना बचता पानी… 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने में दुनिया पीछे
ना मिटा पा रहे भुखमरी, ना बचता पानी…मुश्किल हुई दुनिया में विकास की आस, जानिए क्या है वजह
संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समाधान नेटवर्क (SDSN) की रिपोर्ट के मुताबिक, सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में किसी भी महत्वपूर्ण लक्ष्य को 2030 तक पूरा करने की उम्मीद नहीं है.

2015 में संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक पूरी दुनिया के लिए 17 सतत विकास लक्ष्य (SDGs) तय किए थे, जैसे गरीबी मिटाना, भूख खत्म करना, शिक्षा का स्तर बढ़ाना और पर्यावरण को बचाना. इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सभी देशों को मिलकर काम करना था. लेकिन अब, 2024 के अंत तक जारी हुई एक नई रिपोर्ट से यह सामने आया है कि हम इन लक्ष्यों को पूरा करने में काफी पीछे हैं.
रिपोर्ट के अनुसार कई देशों की प्रगति काफी धीमी हो गई है और किसी भी लक्ष्य को 2030 तक पूरा करने की उम्मीद नहीं दिख रही. तो आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? क्या इसकी वजह दुनिया भर में बढ़ते हुए आर्थिक संकट, असमानताएं, जलवायु परिवर्तन या कुछ और है? आइए जानें कि दुनिया इन लक्ष्यों को हासिल करने में क्यों पिछड़ रही है और इसके पीछे के कारण क्या हैं.
सबसे पहले जानते हैं रिपोर्ट से क्या कहा गया है
संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समाधान नेटवर्क (SDSN) की रिपोर्ट के मुताबिक सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में किसी भी महत्वपूर्ण लक्ष्य को 2030 तक पूरा करने की उम्मीद नहीं है. रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया सिर्फ 16% SDG लक्ष्यों में ही अच्छी प्रगति कर रही है, जबकि बाकी या तो रुक गई हैं या फिर उनकी दिशा उलटी हो रही है.
इस रिपोर्ट में खासतौर से उन क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है जहां हम सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने में सबसे ज्यादा पीछे हैं. ये क्षेत्र हमारे समाज और पर्यावरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इन लक्ष्यों की ओर प्रगति धीमी हो रही है
1. जीरो हंगर (SDG 2): इस लक्ष्य का उद्देश्य दुनिया से भूख और कुपोषण को खत्म करना है, ताकि हर किसी को पर्याप्त और पौष्टिक भोजन मिल सके. लेकिन दुनियाभार में अभी भी 600 मिलियन लोग भूख का सामना कर रहे हैं और इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए जा रहे. इसके पीछे कारण असमान कृषि प्रथाएं, खाद्य वितरण में समस्या और आर्थिक असमानताएँ हैं.
2. सतत शहर और समुदाय (SDG 11): इस लक्ष्य का उद्देश्य ऐसा शहर और समुदाय बनाना है जो पर्यावरण के अनुकूल, सुरक्षित और सभी के लिए सुविधाजनक हों. हालांकि, बढ़ती आबादी, खराब शहरी नियोजन, और पर्यावरणीय संकटों के कारण यह लक्ष्य भी पीछे रह गया है. शहरों में प्रदूषण, कचरा प्रबंधन और बुनियादी सुविधाओं की कमी बड़ी समस्याएं बन चुकी हैं.
3. जीवन का संरक्षण जल में (SDG 14): इसका उद्देश्य समुद्रों और जल स्रोतों का संरक्षण करना है, ताकि जल जीवन बच सके और जैव विविधता बनी रहे. लेकिन बढ़ते प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, और समुद्रों में प्लास्टिक कचरे के कारण यह लक्ष्य भी पूरा नहीं हो पा रहा. जल जीवन को नुकसान हो रहा है, और इसका असर पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ रहा है.
4. जीवन का संरक्षण भूमि पर (SDG 15): इस लक्ष्य का उद्देश्य भूमि पर जीवन का संरक्षण करना है, जैसे जंगलों की रक्षा, वनस्पतियों और जीवों की विविधता बनाए रखना, लेकिन अंधाधुंध जंगलों की कटाई, कृषि के लिए भूमि का अत्यधिक उपयोग और जलवायु परिवर्तन के कारण यह लक्ष्य भी पिछड़ रहा है.
5. शांति, न्याय और मजबूत संस्थान (SDG 16): इसका उद्देश्य शांति और न्याय को बढ़ावा देना है, और भ्रष्टाचार, अपराध और असमानता को खत्म करना है. लेकिन कई देशों में राजनीतिक अस्थिरता, युद्ध, भ्रष्टाचार और कमजोर न्यायिक सिस्टम की वजह से यह लक्ष्य भी पूरा नहीं हो पा रहा है.
ये लक्ष्य क्यों नहीं हो पा रहा पूरा
COVID-19 महामारी का असर: कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिया और इसके प्रभाव ने विकास को और भी धीमा कर दिया. कई देशों में लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां ठप हो गईं, स्कूल बंद हो गए, और स्वास्थ्य सेवाएं पहले जैसी नहीं रही. महामारी के कारण जीवन प्रत्याशा (SDG 3) में गिरावट आई है और लोगों की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. इसके अलावा, बेरोजगारी बढ़ी, गरीबी (SDG 1) बढ़ी, और कई विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था और ज्यादा कमजोर हो गई.
वित्तीय संकट और असमानता: रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वैश्विक वित्तीय संरचना में सुधार की सख्त जरूरत है. विकासशील और निम्न-आय वाले देशों को सही तरीके से वित्तीय सहायता और निवेश नहीं मिल पा रहा है, जो उनकी प्रगति में एक बड़ी बाधा है. इसके अलावा, इन देशों के लिए लंबी अवधि के सस्ते और सुलभ पूंजी का आभाव है, जिससे वे शिक्षा (SDG 4), स्वास्थ्य (SDG 3) और बुनियादी ढांचे में निवेश नहीं कर पा रहे हैं.
इसके साथ ही, सामाजिक और आर्थिक असमानताएं भी बढ़ी हैं. विकसित देशों में SDG की दिशा में कुछ बेहतर प्रगति हुई है, जबकि विकासशील और गरीब देशों में स्थिति ज्यादा गंभीर है. खासकर, अफ्रीका और एशिया के कुछ देशों में SDGs को पूरा करने में काफी चुनौतियां आ रही हैं. इससे वैश्विक स्तर पर असमानताएं बढ़ी हैं और यह भी दुनिया को पीछे धकेल रहा है.
खाद्य और कृषि प्रणालियों में असंतुलन: SDSN की रिपोर्ट में खाद्य और कृषि प्रणालियों को लेकर भी गंभीर चिंताएं जताई गई हैं. दुनिया भर में 600 मिलियन लोग अभी भी भूख का सामना कर रहे हैं और वहीं दूसरी ओर, मोटापे की दर भी तेजी से बढ़ रही है. कृषि प्रणालियां, जो कभी प्राकृतिक संतुलन में थीं, अब अव्यवस्थित हो चुकी हैं. जंगलों की अंधाधुंध कटाई, मिट्टा की गुणवत्ता में गिरावट और जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि उत्पादन में भी दिक्कतें आ रही हैं.
इसके अलावा, असमान कृषि प्रथाएं और रासायनिक खादों का अत्यधिक प्रयोग भी पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल रहे हैं. ये समस्याएं SDG 2 (जीरो भूख) और SDG 15 (जीवन का संरक्षण भूमि पर) को प्रभावित कर रही हैं.
पर्यावरणीय संकट और जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संकट अब एक गंभीर मुद्दा बन चुका है, जो SDG 13 (जलवायु कार्रवाई) और SDG 14 (जीवन का संरक्षण जल में) को प्रभावित कर रहा है. ग्लोबल वार्मिंग, समुद्र स्तर में वृद्धि और प्राकृतिक आपदाओं में बढ़ोतरी ने दुनियाभर में प्रभाव डाला है. इन समस्याओं का समाधान समय रहते नहीं हुआ, जिससे दुनिया को आगे बढ़ने में और भी कठिनाई हो रही है.
इसके अलावा, वन विनाश, जैव विविधता में कमी और प्रदूषण भी तेजी से बढ़ रहे हैं, जो SDG 15 (जीवन का संरक्षण भूमि पर) और SDG 14 (जीवन का संरक्षण जल में) के लक्ष्यों को प्राप्त करने में बड़ी रुकावट बन चुके हैं.
विश्व राजनीति और वैश्विक सहयोग में कमी: रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि देशों के बीच सहयोग की कमी है. कई देशों ने संयुक्त राष्ट्र (UN) के सिद्धांतों और बहुपक्षीयता को नजरअंदाज किया है. उदाहरण के तौर पर, संयुक्त राज्य अमेरिका को UN-based multilateralism में सबसे निचले स्थान पर रखा गया है. जबकि बारबाडोस जैसे देश बहुपक्षीयता के समर्थन में अग्रणी हैं.
इस असहमति और तनाव ने वैश्विक सहयोग को कमजोर किया है, जो SDGs की दिशा में सबसे अहम कारक है. देशों के बीच सहयोग की कमी और एकतरफा नीतियाँ दुनिया को एकजुट होकर काम करने से रोक रही हैं, और इस कारण SDGs को पूरा करने में देरी हो रही है.
आर्थिक संकट और निवेश की कमी
SDGs के लिए बहुत बड़ी मात्रा में निवेश की आवश्यकता है. खासकर, शिक्षा (SDG 4), स्वास्थ्य (SDG 3) और जलवायु परिवर्तन (SDG 13) के लिए भारी वित्तीय सहायता चाहिए, लेकिन दुनिया भर में आर्थिक मंदी और वित्तीय संकट के कारण इस दिशा में निवेश में भारी कमी आई है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कम आय वाले देशों के लिए बाहरी वित्तीय मदद की आवश्यकता बढ़ गई है. बिना उचित वित्तीय संसाधनों के, ये देश अपने लक्ष्य को हासिल करने में सक्षम नहीं हो पाएंगे.
क्या किया जा सकता है?
इन चुनौतियों को देखते हुए SDSN ने कुछ उपायों का सुझाव दिया है. सबसे पहले, एक समावेशी और सशक्त वित्तीय ढांचा तैयार किया जाना चाहिए, जो विकासशील देशों को सस्ती पूंजी उपलब्ध कराए. साथ ही, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संकट को प्राथमिकता देते हुए सख्त कदम उठाए जाने चाहिए.
इसके अलावा, खाद्य और कृषि प्रणालियों में सुधार करना होगा, ताकि उत्पादन बढ़े और साथ ही पर्यावरणीय प्रभाव को भी कम किया जा सके. साथ ही, देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना होगा. बहुपक्षीयता को बढ़ावा देकर और एकजुट होकर हम इन लक्ष्यों की ओर बढ़ सकते हैं.
2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना संभव है, लेकिन इसके लिए सभी देशों को मिलकर काम करना होगा. अगर हम सभी समस्याओं पर सही तरीके से ध्यान दें और ठोस कदम उठाएं, तो ही हम इन लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं. हर देश की जिम्मेदारी है कि वह अपने स्तर पर इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हर संभव प्रयास करे. अगर हम समय रहते सुधार नहीं करेंगे, तो SDGs को पूरा करने में और ज्यादा समय लगेगा, जो पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है.