त्योहार क्यों बने धार्मिक कट्टरता दिखाने का जरिया?
त्योहार क्यों बने धार्मिक कट्टरता दिखाने का जरिया?
समीर चौगांवकर: भारत दुनिया का इकलौता ऐसा देश होगा जहां इतने ज्यादा त्योहार हैं। भारत में हर महीने कोई न कोई त्योहार होता है। कुछ समय से त्योहारों पर राजनीति होने लगी है। समाज में इससे वैमनस्यता बढ़ती जा रही है। सोशल मीडिया ने भी इसे बढ़ाने का काम किया है। समाजिक संगठन जिस तरह से दूसरे समाज के खिलाफ बयान देते हैं, उससे भी कड़वाहट बढ़ती है। इसे एक बहुत बुरे दौर के रूप में देखता हूं। अब समाज को सोचना होगा कि इस खाई को बढ़ने से रोकना है। राजनीतिक दल इस खाई को बढ़ाने में लगे हैं। जनता को भी सोचना होगा कि देश किस दिशा में ले जाना है। उसे भी इस तरह से समाजिक संगठनों के खिलाफ बड़े आंदोलन की जरूरत है।
अवधेश कुमार: यह इतना सरल विषय नहीं है। छोटे से घाव होने पर बीमारी के कारणों का पता लगाना जरूरी होता है। जिस तरह की परिस्थितियां पैदा हुई हैं उसके हिसाब से प्रतिक्रिया तो होगी। सभी परिस्थितियों को देखना पड़ेगा। देश का एक विभाजन हो चुका है, आगे इस तरह की परिस्थिति न हो इसके लिए कदम तो उठाने पड़ेंगे। हमने जिसको बंधु समझा, आ गया वो प्राण लेने। क्या इसे नहीं सुना है। जो सच्चे लोग हैं, वो साथ आएं। इसे सरल चीज मत कहिए। सच्चाई को स्वीकार करके नीति बनानी होगी।