राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी लागू करने की तारीख बढ़ाने पर मंत्रालय कर रहा विचार

नई दिल्ली: खाद्य मंत्रालय ने बताया कि वह ‘वन नेशन-वन राशन कार्ड’ पहल के तहत राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी को मार्च 2021 के बाद लागू करने पर विचार कर रहा है। खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय की अध्यक्षता में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) सुधारों पर अधिकार प्राप्त समिति की बैठक में इस पर चर्चा की गई। बैठक पीडीएस (आईएम-पीडीएस) के एकीकृत प्रबंधन के विस्तार की समीक्षा और अनुमोदन के लिए थी, जिसके तहत ‘वन नेशन-वन राशन कार्ड’ योजना लागू की जा रही है। IM-PDS एक पोर्टल है जो राशन कार्डों की अंतर-राज्यीय पोर्टेबिलिटी के लिए तकनीकी मंच प्रदान करता है।

‘वन नेशन-वन राशन कार्ड’ पहल के तहत पात्र लाभार्थी एक ही राशन कार्ड का उपयोग करके देश के किसी भी उचित मूल्य की दुकान से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत अपने पात्र खाद्यान्न का लाभ उठा सकेंगे। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “आईएम-पीडीएस के तहत किए गए काम को जारी रखा गया है और इसे और मजबूत किया गया है, इसे मार्च 2021 से आगे बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है।”

आईएम-पीडीएस की प्रस्तावित विस्तारित अवधि के दौरान राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की वित्तपोषण आवश्यकताओं को भी पूरा किया जाएगा। वर्तमान में 24 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ‘वन नेशन-वन राशन कार्ड’ (ONORC) पहल के लिए IM-PDS के साथ एकीकृत हैं।

मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत प्रवासी लाभार्थियों को ONORC के तहत पोर्टेबिलिटी का लाभ उठाने में मदद करने के लिए एक राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर लागू करने की भी योजना बनाई है।

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई), राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के शीर्ष अधिकारी और चार राज्यों के खाद्य सचिव और आईटी मंत्रालय और राज्य के स्वामित्व वाली एफसीआई के प्रतिनिधि इस समिति की बैठक में उपस्थित थे।

इस बीच खाद्य सचिव ने भारतीय खाद्य निगम (FCI) के अध्यक्ष ने प्रबंध निदेशक और केंद्रीय भंडारण निगम के एमडी और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित ‘पोषन माह’ के संबंध में बैठक की। पोषण माह हर साल सितंबर में मनाया जाता है।

खाद्य मंत्रालय ने अपने राज्य के स्वामित्व वाली फर्मों के माध्यम से पोषण सुरक्षा के गुणों के आधार पर लक्षित समूहों को संवेदनशील बनाने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा सुझाई गई गतिविधियों को व्यवस्थित करने का निर्णय लिया है।

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