मध्य प्रदेश उपचुनाव को सिंधिया बनाम सिंधिया बनाने के लिए कांग्रेस का सियासी दांव
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं. इनमें से 16 इलाके ग्वालियर-चंबल के इलाके में आते हैं. इस इलाके में पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) और उनके परिवार का प्रभाव है. ऐसे में कांग्रेस इन इलाकों में चुनाव के लिए खास तरह की रणनीति बना रही है.
न्यूज एजेंसी आईएएनएस की खबर के मुताबिक कांग्रेस इन इलाकों में उपचुनाव को सिंधिया बनाम सिंधिया बनाने की कोशिश कर रही है. ज्योतिरादित्य सिंधिया भले ही कांग्रेस छोड़ बीजेपी के खेमे में आ गए हों लेकिन उनके कई समर्थक अभी भी कांग्रेस में हैं. ऐसे में कांग्रेस सिंधिया के समर्थकों को इन इलाकों में उम्मीदवार बनाकर अपना सियासी दांव खेलने की जुगत में है.
कांग्रेस ने जौरा से पंकज उपाध्याय, ग्वालियर से सुनील शर्मा, मुंगावली से कन्हैया राम लोधी और बमौरी से कन्हैया लाल अग्रवाल को उम्मीदवार बनाया है, इन सभी की सिंधिया से नजदीकियां जग जाहिर हैं.
सिंधिया बनाम सिंधिया
ग्वालियर-चंबल इलाके में सिंधिया को उनके ही पुराने समर्थकों के जरिए घेरने की कोशिश पर राजनीतिक जानकार रविंद्र व्यास का कहना है कि आगामी समय में उप-चुनाव है और दोनों ही दलों के लिए जीत अहमियत रखती है. यही कारण है कि बीजेपी जहां दलबदल करने वालों को अपना उम्मीदवार बना रही है, वहीं कांग्रेस सिंधिया के पुराने समर्थकों को उम्मीदवार बनाने में नहीं हिचक रही है.
सिंधिया के करीबी और प्रदेश चुनाव अभियान समिति के पूर्व संयोजक मनीष राजपूत का कहना है कि कांग्रेस ने जिन लोगों को उम्मीदवार बनाया है उनकी पहचान तो सिंधिया के कारण ही है. वास्तव में इन नेताओं का कोई जनाधार नहीं है जो कुछ भी वह आज हैं, वह सिंधिया की बदौलत हैं इसलिए उन्हें कांग्रेस का उम्मीदवार बनाने से क्षेत्र में बीजेपी और सिंधिया पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है.
सर्वे के आधार पर बनाए उम्मीदवार- कांग्रेस
कांग्रेस के प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि जो नेता सैद्घांतिक है, जिनका कांग्रेस की रीति-नीति में भरेासा है, उन्हें पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है. सिंधिया ग्वालियर-चंबल के नेता थे तो कार्यकर्ता उनके साथ थे. सिंधिया भाजपा में गए मगर वे नेता नहीं गए इसका आशय साफ है कि वे सच्चे कांग्रेसी हैं.
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही पार्टी ने तीन सर्वे कराए हैं और जिन लोगों के पक्ष में लोगों की राय आई है उन्हीं को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है. वास्तव में नेता तो पार्टी से बनता है और सिंधिया भी अगर नेता थे तो वह कांग्रेस के कारण ही थे.