ग्वालियर-चंबल के नतीजे तय करेंगे किसान, कांग्रेस-BJP दोनों कर रहे लुभाने की कोशिश

ग्वालियर: मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं जिनमें से 16 सीटें ग्वालियर चंबल संभाग की है. जहां एक बार फिर चुनावों में किसानों की भूमिका महत्वपूर्ण है क्योंकि सबसे अधिक मतदाता ग्रामीण क्षेत्र से यानी किसान ही है. ग्वालियर चंबल संभाग की 16 सीटों में से 13 सीटें ऐसी हैं जहां किसान निर्णायक भूमिका में हैं यही कारण है कि दोनों प्रमुख दल के प्रत्याशी अन्नदाता को अपने अपने दल के लिए रिझाने में जुटे हुए है.

कृषि बिल को लेकर किसानों के बीच
2018 के चुनाव में जहां कांग्रेस ने कर्ज माफी को पूरे जोर-शोर से उठाया था. जिसका लाभ उन्हें इस अंचल में देखने को को मिला था. यही कारण है कि बीजेपी नए कृषि बिल को लेकर किसानों के बीच है और किसानों को लुभाने का प्रयास कर रही है. किसान सम्मान निधि को ही बीजेपी एक बड़ा मुद्दा बता रही है. अंचल की जिन 16 सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें से ग्वालियर,ग्वालियर पूर्व, मुरैना और अशोकनगर सीटें ऐसी हैं जिनमें शहरी क्षेत्र आता है बाकी की सीटें पूरी तरीके से ग्रामीण है.

कर्ज माफी वादा पूरा करने से पहले गिरी सरकार
2018 के चुनावों में इन सभी क्षेत्रों से कांग्रेस को अन्नदाताओं का भरपूर साथ मिला था उसी की बदौलत कांग्रेस इन सीटों पर काबिज हुई थी. अभी भी कांग्रेस कर्ज माफी के मुद्दे को लेकर सक्रिय है. कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना हैं कि 2018 के वचन पत्र में हमने किसानों के कर्ज माफ करने का वादा किया था और वह वादा हम पूरा भी कर रहे थे लेकिन सरकार गिरा दी गई. हमने वचन पत्र में किसानों को एक बार फिर कर्ज माफी की बात कहीं है. कांग्रेस को हमेशा से अन्नदाताओं का साथ मिला है और इस बार भी उन्हें पूरी उम्मीद है कि उनके साथ खड़ा नजर आएगा.

कांग्रेस ने घोषित किया वह उघोगपति की सरकार
बीजेपी के प्रवक्ता आशीष अग्रवाल का कहना हैं कि शिवराज सिंह की सरकार किसानों की सरकार है. यह सरकार हमेशा किसानों को हित में ध्यान रखते हुए योजना बनाती है. चाहे वह किसान सम्मान निधि हो केंद्रीय कृषि वित्त में संशोधन की बात हो, संबल योजना हो सिंचाई का रकबा बढ़ाने की बात हो या फसल बीमा योजना हो हम लोग किसानों को समृद्ध बनाने की दिशा में हर कदम उठाते है. उनका कहना है कि अभी हाल ही में कांग्रेस ने यह घोषित कर दिया कि उनकी सरकार उद्योगपति की सरकार है और हमारी सरकार किसानों की सरकार है.

अन्नदाता की चुप्पी किसका साथ देगी ?
भले ही दोनों प्रमुख राजनीतिक दल के लोग अंचल के अन्नदाताओं को लुभाने में जुटे हुए हैं लेकिन अन्नदाता अभी चुप्पी साध कर बैठा है. दोनों ही दलों के द्वारा किए जा रहे दावों और वादों को तोलने में लगा हुआ है. अब देखना होगा कि आने वाले उपचुनाव में आखिर किस दल को अन्नदाता का साथ मिलता है, इतना तो तय है कि जिस दल को अन्नदाता का साथ मिलेगा उसका अंचल से बेड़ा पार हो जाएगा.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *