मध्य प्रदेश उपचुनाव: चुनावी जनसभाओं पर रोक के हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए उपचुनावों में फिजिकल रैलियों के आयोजन पर प्रतिबंध लगाने के हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ ग्वालियर से बीजेपी प्रत्याशी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. हाई कोर्ट ने राजनीतिक दलों को चुनाव प्रचार के लिए वास्तविक सभा आयोजित करने के बजाय वर्चुअल तरीका अपनाने का निर्देश दिया है.
बीजेपी के प्रत्याशी प्रद्युमन सिंह तोमर, जो इस समय राज्य सरकार में ऊर्जा मंत्री हैं, ने अपनी याचिका में कहा है कि उच्च न्यायालय का आदेश त्रुटिपूर्ण है, क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग ने 29 सितंबर को जारी कोविड-19 दिशा निर्देशों में कुछ प्रतिबंधों के साथ चुनाव प्रचार के लिए ‘वास्तविक सभा’ के आयोजन की अनुमति दी है.
याचिका के अनुसार, “उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश से याचिकाकर्ता के वास्तविक सभा के माध्यम से चुनाव प्रचार करने के अधिकार का हनन होता है, क्योंकि निर्वाचन आयोग, केंद्र सरकार और मप्र सरकार ने इसकी अनुमति दी है.” तोमर ने याचिका में कहा है कि हाई कोर्ट ने 20 अक्टूबर को अनेक अंतरिम निर्देश जारी किये हैं, जो चुनाव आयोग द्वारा 29 सितंबर को जारी कोविड-19 दिशा निर्देशों और केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार के आठ अक्टूबर के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हैं.
जनहित याचिका पर आगे कार्यवाही करने पर रोक लगाने की अपील
तोमर ने हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश और उसके सामने लंबित जनहित याचिका पर आगे कार्यवाही करने पर रोक लगाने का अनुरोध किया है. याचिका में कहा गया है कि निर्वाचन आयोग ने मध्य प्रदेश में 28 सीटों के लिए उपचुनावों की घोषणा करते हुए Covid-19 के दिशानिर्देश तैयार किये थे, जिनका चुनाव के दौरान पालन किया जाना था और इसमें दिशा निर्देशों का पालन करते हुए ‘जनसभाओं’ और ‘चुनावी रैलियों’ के लिए साफ अनुमति दी गयी थी.
याचिका के अनुसार, हाई कोर्ट में एक वकील ने जनहित याचिका दायर की जिसमें आरोप लगाया गया कि विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा आयोजित राजनीतिक कार्यक्रमों की वजह से कोविड-19 संक्रमण के मामलों में वृद्धि हो रही है, लेकिन राज्य प्रशासन ऐसे राजनीतिक दलों और उनके सदस्यों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय ने 12 अक्टूबर को ग्वालियर और दतिया जिलों के प्राधिकारियों को कोविड-19 के प्रोटोकॉल के उल्लंघन के मामलों में FIR दर्ज करने का निर्देश दिया है.
हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश पर उठाए सवाल
इसमें आगे कहा गया है कि 20 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने ग्वालियर और दतिया जिलों के पुलिस अधीक्षकों द्वारा दाखिल अनुपालन हलफनामे का संज्ञान लिया था. याचिका में कहा गया था, “हालांकि यह आरोप लगाया गया था कि राज्य प्रशासन ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के खिलाफ कोविड-19 प्रोटोकाल के कथित उल्लंघन के मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई. एडवोकेट जनरल ने हाई कोर्ट को यह भरोसा दिलाया कि इन व्यक्तियों के खिलाफ भी FIR दर्ज की जाएगी.”
तोमर ने यह भी कहा है, “उच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश के जरिए यह गलत निर्देश दिया है कि राजनीतिक दल वास्तविक सभाओं के माध्यम से नहीं बल्कि वर्चुअल तरीके से चुनाव प्रचार करेंगे.” यही नहीं, उच्च न्यायालय ने सभी जिलाधिकारियों को राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों को उस समय तक कोई अनुमति नहीं देने का निर्देश दिया है, जब तक जिलाधिकारी इस तथ्य से संतुष्ट नहीं हो जाएं कि वर्चुअल चुनाव प्रचार संभव नहीं है.”
याचिका में उठाए गए ये सवाल?
याचिका में सवाल उठाया गया है कि क्या हाई कोर्ट अपने रिट अधिकार के तहत चुनाव आयोग द्वारा संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत 29 सितंबर को जारी कोविड-19 दिशा निर्देशों को बदल सकता है? याचिका में यह सवाल भी उठाया गया है कि क्या उच्च न्यायालय ने ऐसा अंतरिम आदेश पारित करके निर्वाचन आयोग की संवैधानिक भूमिका का अतिक्रमण किया है, जिसके पास अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव कराने की पूरी जिम्मेदारी है.