Bihar Election 2020: मुफ्त टीके के वादे में कानूनी रूप से कुछ गलत नहीं -पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त

तीन पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों (Former chief election commissioners) ने शुक्रवार को कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) के लिए अपने घोषणापत्र में कोरोना वायरस का मुफ्त टीका देने के बीजेपी के वादे में कानूनी रूप से कुछ भी गलत नहीं है. साल 2010 से 2012 के बीच चुनाव आयोग के प्रमुख रहे एस. वाई. कुरैशी ने कहा कि लेकिन इस कदम से नैतिकता के सवाल उठे हैं क्योंकि आदर्श आचार संहिता पूरी तरह से आचार नीति के बारे में ही है.

दिसंबर 2018 में मुख्य चुनाव आयुक्त के पद से रिटायर होने वाले ओ. पी. रावत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट कर चुका है कि अपने घोषणापत्र में किसी चीज का वादा करने वाली पार्टी को वादा पूरा करने के लिए बजटीय प्रावधानों का भी जिक्र करना चाहिए. उन्होंने कहा कि कोई कुछ भी घोषणापत्र में नहीं डाल सकता लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि वादों को पूरा करने के लिए पार्टी को बजटीय प्रावधानों का स्पष्टीकरण करना चाहिए.

पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर एक अन्य पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि घोषणापत्र जारी करने का समय भी महत्वपूर्ण है. उन्होंने उल्लेख किया कि चुनाव आयोग अब तक इस सुझाव पर अमल नहीं करा पाया है कि घोषणापत्र समय से जारी होने चाहिए ना कि मतदान से ठीक पहले. उन्होंने कहा कि चुनाव सुधार पर अपने फैसले में न्यायालय ने पार्टियों की ओर से किए जाने वाले वादों पर गौर करने के लिए एक तंत्र का सुझाव दिया था.

कुरैशी ने कहा कि कानूनी तौर पर घोषणापत्र में कुछ भी वादे किए जा सकते हैं. हालांकि न्यायालय ने कहा है कि वादे अतार्किक नहीं होने चाहिए लेकिन इससे नैतिकता का सवाल उठता है क्योंकि आदर्श आचार संहिता आचार नीति को लेकर ही है. यह कानून नहीं है, इसकी बुनियाद नैतिकता है. चुनावी वादों के समय की महत्ता पर उन्होंने याद दिलाया कि पंजाब में चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता लागू होने पर केंद्र सरकार ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषणा करने के लिए चुनाव आयोग का रूख किया था.

घोषणापत्र में किया वादा

उन्होंने कहा कि आयोग ने पाया कि केंद्र फरवरी में जिस एमएसपी की घोषणा करने की योजना बना रहा था उसकी घोषणा आम तौर पर अप्रैल में की जाती है. बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा का घोषणापत्र जारी किया. इसमें आईसीएमआर से अनुमति मिलने के बाद राज्य के लोगों को कोविड-19 का मुफ्त टीका देने का वादा किया गया है.

विपक्षी दलों ने बिहार के लोगों को कोरोना वायरस का टीका निशुल्क उपलब्ध कराने के भाजपा के चुनावी वादे को लेकर उस पर राजनीतिक लाभ के लिए महामारी का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया और निर्वाचन आयोग से कार्रवाई की मांग की. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बीजेपी के इस वादे को लेकर तंज कसते हुए कहा कि भारत सरकार ने कोविड के टीके के वितरण की रणनीति की घोषणा कर दी है और अब लोग इसे हासिल करने की जानकारी के लिए राज्यवार चुनाव कार्यक्रमों पर गौर कर सकते हैं.

हालांकि बीजेपी ने कहा कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है और उसका घोषणापत्र बिहार के लिए है ना कि पूरे देश के लिए है. आरजेडी, कांग्रेस, शिवसेना, समाजवादी पार्टी और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बिहार के लिए मुफ्त टीका के बीजेपी के चुनावी वादे पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह मामले का राजनीतिकरण कर रही है

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