Budget 2021: मोबाइल, गाड़ी खरीदना हुआ महंगा, सोना-चांदी सहित ये चीजें हुईं सस्ती, जानें
Budget 2021 : आज देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट 2021-22 पेश किया है। बजट में लोगों को अनेक आस लगी थी। बजट के अनुसार डायरेक्ट टैक्स देने वालों को आम बजट 2021 में कोई राहत नहीं दी है। सरकार ने शराब, काबुली चना, मटर, मसूर की दाल समेत कई उत्पादों पर कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर सेस लगाने की बात कही। वहीं, इस साल कस्टम्स में 400 से ज्यादा छूटों की समीक्षा करने का प्रस्ताव दिया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अप्रत्यक्ष करों में बदलाव की घोषणा की है। कई तरह के कच्चे माल पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी गई है। कुछ स्टील उत्पादों पर ड्यूटी हटा दी गई है। इसके अलावा बहुत सी चीजें महंगी हुई है वहीं, कुछ सस्ती भी हुई हैं।
ये चीजें हो गईं महंगी
- कॉटन
- LED बल्ब
- सिल्क
- शराब
- लेदर
- इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स
- रत्न (जवाहरात)
- सोलर प्रॉडक्ट्स
- मोबाइल
- चार्जर
- इम्पोर्टेड कपड़े
- फ्रिज/एसी
- प्लास्टिक
- ऑटो पार्ट्स
इन वस्तुओं पर मिली राहत
- नायलॉन के कपड़े
- लोहा
- स्टील
- कॉपर आइटम्स
- सोना
- चांदी
- प्लेटिनम
कृषि सेस लगाने से होगी बढ़ोत्तरी
आम बजट 2021(Budget 2021) में ऐलान किया कि कुछ सामानों पर एग्रीकल्चर इन्फ्रा डिवेलपमेंट सेस (कृषि अवसंरचना विकास उपकर) लगाया जाएगा। जिसका लाभ किसानों को दिया जाएगा। लोन के 1.5 लाख रुपए तक की राशि पर ब्याज पर छूट की स्कीम एक साल बढ़ा दी गई है।
शराब पर 100 प्रतिशत कृषि बुनियादी ढांचा उपकर
सोना और चांदी पर 2.5 प्रतिशत, सेब पर 35 प्रतिशत, विशेषीकृत उर्वरकों पर 5 प्रतिशत, कोयला, लिग्नाइट, पेट कोक पर 1.5 प्रतिशत कृषि बुनियादी उपकर लगाया गया। कच्चे पाम तेल पर 17.5%, कच्चे सोयाबीन तेल, सूरजमुखी तेल पर 20% कृषि अवसंचरना उपकर लगाने का प्रस्ताव दिया गया है। शराब पर 100 प्रतिशत कृषि बुनियादी ढांचा उपकर लगाया गया। नया कृषि अवसंरचना विकास उपकर दो फरवरी 2021 से लागू होगा।
बीमा सेक्टर में FDI लिमिट बढ़ी
सरकार ने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(FDI) की सीमा बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है। इस कदम का उद्देश्य विदेशी कंपनियों को निवेश के लिए आकर्षित करना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सभी वित्तीय उत्पादों के लिए निवेशक चार्टर पेश किया जाएगा। यह सभी वित्तीय निवेशकों का अधिकार होगा।
सीतारमण ने कहा कि नए ढांचे के तहत ज्यादातर निदेशक और बोर्ड तथा प्रबंधन स्तर के अधिकारी निवासी भारतीय होंगे। कम से कम 50 प्रतिशत निदेशक स्वतंत्र निदेशक होंगे। इसके अलावा मुनाफे का एक निश्चित प्रतिशत सामान्य आरक्षित निधि के रूप में रखा जाएगा।