शहीदों के परिवारों को मिलेगी 80 लाख रुपए की मदद, एक फैमिली मेंबर को सरकारी नौकरी

छत्तीसगढ़ में शहीद हुए जवानों के घरवालों को 80 लाख रुपए तक की आर्थिक सहायता दी जाएगी और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी मिलेगी.

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में शनिवार को हुए नक्सली हमले (Chhattisgarh Naxal Attack) में शहीद हुए 22 जवानों के परिवारों के लिए न्यूनतम 80 लाख रुपए ( 80 lac compensation for martyrs families) की आर्थिक सहायता का ऐलान किया गया है. इसके अलावा शहीदों के परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा के तहत नौकरी भी दी जाएगी. केंद्र की तरफ घोषित मुआवजा राशि के अलावा यूपी और बिहार की सरकारों ने भी शहीदों के लिए अलग से मुआवजे का ऐलान किया है. यूपी की योगी सरकार ने शहीदों को 50-50 लाख रुपए देने का ऐलान किया है. उधर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अधिकारियों को आर्थिक सहायता और अनुकंपा नियुक्ति की प्रक्रिया जल्द पूरी करने के निर्देश दिए हैं.

इस आर्थिक सहायता के तहत राज्य शासन द्वारा विशेष अनुग्रह अनुदान, सामूहिक विकल्प विशेष अनुदान, शहीद सम्मान निधि, समूह बीमा राशि और कई अन्य तरह की आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाएंगी. इस मुठभेड़ में केंद्रीय अर्द्ध सैनिक बल के शहीद पुलिस अधिकारियों और जवानों को राज्य सरकार द्वारा विशेष अनुग्रह अनुदान और सामूहिक बीमा विकल्प विशेष अनुदान राशि के तौर पर कुल 45.40 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दिए जाने का ऐलान किया गया है. केंद्रीय अर्द्ध सैनिक बल के शहीद अधिकारियों और जवानों के परिवारजनों को अनुकंपा नियुक्ति और अन्य आर्थिक सहायता के संबंध में अग्रिम कार्यवाही अर्द्ध सैनिक बल द्वारा की जाएगी.

अमित शाह ने नक्सलियों को दी चुनौती

उधर सोमवार को केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह जगदलपुर पहुंचे और उन्होंने घायल सैनिकों से मुलाक़ात की. सीआरपीएफ कैंप में मौजूद जवानों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा यह लड़ाई है और इस लड़ाई को हमें अंजाम तक पहुंचाना है हालांकि जो लोग हथियार डालकर मुख्यधारा में आना चाहते हैं उनका स्वागत है.

उन्होंने साफ़ कहा कि जो लोग हथियार का रास्ता चुनेंगे उनका अंजाम बुरा होगा और ये एकदम स्पष्ट है. अमित शाह ने जवानों से कहा कि आपके साथियों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा, उन्होंने जिस उद्देश्य के लिए उन्होंने बलिदान दिया है, निश्चित रूप से वह उद्देश्य पूरा होगा और जीत हमारी होगी. उनके बलिदान को देश भुला नहीं सकता, उनके परिवारों के प्रति देश की सहानूभूति है.

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