छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की कैद से जवान को मुक्त कराने कैसे एक पत्रकार ने निभाई अहम भूमिका

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में पिछले दिनों सुरक्षाबलों के साथ हुई मुठभेड़ के बाद बंधक बनाए गए कोबरा कमांडो के जवान को नक्सलियों ने लगभग 100 घंटे बाद शुक्रवार को रिहा कर दिया। इस जवान की रिहाई में बीजापुर के ही एक स्थानीय पत्रकार ने अहम भूमिका निभाई। पत्रकार की भूमिका की सराहना खुद बस्तर के आईजी ने भी की। बता दें कि 2 अप्रैल को हुई इस मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हो गए थे। खुद पत्रकार गणेश मिश्रा ने बताया है कि आखिर जवान को उन्होंने कैसे रिहा करवाया और इसके लिए उनको क्या करना पड़ा।

जवान की रिहाई के समय नक्सलियों के पास जाने वाली पत्रकारों की टीम के एक सदस्य गणेश मिश्रा ने कहा कि मुठभेड़ के बाद मीडिया ने कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास के लापता होने की सूचना दी। इसके बाद माओवादियों ने 5 अप्रैल को मुझसे संपर्क किया और बताया कि लापता जवान उनके पास बंधक है कहा कि केवल सरकारी वार्ताकारों के जरिए ही छोड़ा जाएगा।

इस तरह से शुरू हुई बातचीत
गणेश मिश्रा आगे बताते हैं कि नक्सलियों से बात होने के बाद उन्होंने तुरंत आईजी बस्तर को सूचना दी। सूचना मिलने के बाद जो रायपुर में उच्च अधिकारियों के पास गए बाद में पद्मश्री पुरस्कार विजेता धर्मपाल सैनी और गोंडवाना समाज के नेता तेलम बोरैया के साथ दो सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को मध्यस्थता करने का काम सौंपा गया। गणेश मिश्रा ने कहा कि माओवादियों के साथ 6 अप्रैल को फिर से संपर्क स्थापित किया गया और प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के बारे में उनको जानकारी दी गई। जब माओवादी राजी हो गए तो उन्होंने प्रतिनिधिमंडल के साथ कुछ पत्रकारों को अगले दिन उसी स्थान पर आने के लिए कहा जहां पर मुठभेड़ हुई थी और 22 जवान शहीद हो गए थे।

फिर 7 अप्रैल को बासागुड़ा के लिए निकल पड़े थे
गणेश आगे बताते हैं कि अगले दिन 7 अप्रैल को मैं मुकेश चंद्राकर, रंजन दास, चेतन कपेवार, के शंकर, और युकेश चंद्राकर निकल पड़े और दोपहर तक बासागुड़ा कैंप पहुंच गए। वहां, पहुंचने के बाद मैंने एसपी को नियुक्त मध्यस्थों को भेजने के लिए कहा, तभी आईजी ने कहा कि समय लगेगा क्योंकि धर्मपाल सैनी उस समय जगदलपुर में थे। गणेश ने आगे कहा कि मैंने आईजी से कहा कि मध्यस्थों को 8 अप्रैल की सुबह तक तेर्रम पुलिस स्टेशन पहुंचना पड़ेगा। बासागुड़ा में ही रात बिताने के बाद 8 अप्रैल की सुबह करीब 5 बजे तेर्रम पुलिस स्टेशन से मध्यस्थों को लेने के बाद वो मुठभेड़ स्थल के लिए रवाना हो गए।

रास्ते में बीच-बीच में मिलते रहे ग्रामीण
गणेश मिश्रा ने आगे बताया कि पत्रकारों और मध्यस्थों की दोनों टीमें मोटर साइकिलों पर सवार होकर मुठभेड़ स्थल पहुंचीं जो कि तेर्रम पुलिस थाने से करीब 20 किमी दूर है। इसके बाद कुछ स्थानीय लोगों ने उन्हें आगे जाने के लिए कहा। दोनों टीमें मोटरसाइकिलों पर थीं और मुठभेड़ स्थल पर पहुंचीं जो कि तेर्रम पुलिस स्टेशन से लगभग 20 किमी दूर है। वहीं पहुंचने के बाद स्थानीय लोगों द्वारा उन्हें आगे जाने के लिए कहा गया था।

सुबह 9 बजे तमेल पहुंच गए थे
आगे जाते-जाते वो जोनागुडा पहुंच गए लेकिन वहां भी उन्हें कुछ नहीं मिला। इसके बाद कुछ और ग्रामीणों ने उनको बताया कि वे 3-4 किमी और आगे जाएं। आगे बढ़ते-बढ़ते हम सुकमा जिले से लगे तमेल गांव पहुंचे गए। गणेश मिश्रा ने बताया कि सुबह 9 बजे तक वे तमेल पहुंच गए थे, जहां स्थानीय लोग उनसे मिले और लगभग 2 किलोमीटर और आगे जाने के लिए कहा। वहां, पहुंचने के बाद हम पहली बार माओवादियों से मिले।

पहले जुट रहे थे ग्रामीण
टीम के एक अन्य पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने बताया कि तमेल गांव पहुंचने के बाद मोटरसाइकिलों पर सवार माओवादियों के एक समूह हमें लेकर उस जगह पर गया जहां सभा होनी थी। मौके पर पहुंचे तो देखा कि वहां ग्रामीण पहले से ही इकट्ठा हो रहे थे। जब तक दूर-दराज के ग्रामीण जुटते तब तक दोपहर के 2 बजे चुके थे।

बातचीत में क्या कहा?
इसके बाद दो मध्यस्थ तेलम बोरैया और धर्मपाल सैनी को लगभग एक किलोमीटर दूर स्थित एक छोपड़ी में ले जाया गया। वहीं, पर नामित क्षेत्र समिति की सचिव जिसका नाम मनीला था, से मुलाकात हुई। मिश्रा ने कहा झोपड़ी में पहुंचने के बाद मनीला ने घटना के बारे में बताया और कहा कि उनको बेहोशी की हालत में जवान मिला था जिसके बाद वो उसे जंगल में ले गए। उसने बताया कि जवान को मामूली चोटें भी आईं हैं।

5.30 बजे शाम को कैंप के लिए रवाना हुए मध्यस्थ
इसके बाद ग्रामीणों की सभा में जवान राकेश्वर सिंह को लाया गया और निर्देश दिया गया कि जवान को पत्रकारों और मध्यस्थों को सौंप दिया जाए और यहां घर वापस ले जाना उनकी जिम्मेदारी होगी। मिश्रा ने कहा कि शाम 5.30 बजे जवान और पत्रकारों की दोनों टीमों को तेर्रम कैंप के लिए रवाना किया और लगभग एक घंटे में हम पहुंच भी गए। कैंप पहुंचने के बाद आईजी बस्तर ने जवान की रिहाई में पत्रकारों की भूमिका की सराहना भी की। आईजी ने कहा कि जवान की रिहाई में पत्रकार गणेश मिश्रा और मुकेश चंद्राकर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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