जबलपुर में लापरवाही से ही गई थीं 5 जानें
अनट्रेंड था अस्पताल स्टाफ, ऑक्सीजन कम होने पर कोरोना मरीजों को तड़पता छोड़ भागे थे डॉक्टर; मामला दबाने के लिए रेडक्रॉस में दिया 25 लाख का चंदा
मध्यप्रदेश के जबलपुर में ऑक्सीजन की कमी से 5 कोविड मरीजों की मौत गैलेक्सी अस्पताल की लापरवाही से हुई थी। काफी किरकिरी के बाद समिति ने रविवार देर रात अपना जांच प्रतिवेदन कलेक्टर को सौंप दिया। इसमें खुलासा हुआ है कि मरीजों को तड़पता छोड़ कर डॉक्टर और स्टाफ भाग गए थे। ऑक्सीजन सुपरवाइजर प्रशिक्षित नहीं था। जांच रिपोर्ट के बाद प्रभारी सीएमएचओ डॉक्टर संजय मिश्रा ने जिम्मेदार अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए हैं।
सीएमएचओ डाॅक्टर मिश्रा ने आदेश में अस्पताल प्रबंधन से तत्काल कोविड के नए मरीजों की भर्ती पर रोक लगा दी है। वहीं अस्पताल में कोविड मरीजों के इलाज संबंधी अनुमति भी निरस्त कर दी गई है। वर्तमान में जो भी कोविड के मरीज भर्ती हैं, उनका उपचार करने के बाद डिस्चार्ज करने का आदेश दिया गया है
16 दिन से जांच लटकाए रखा प्रशासन
22 अप्रैल की देर रात दो बजे के लगभग गैलेक्सी हॉस्पिटल में ऑक्सीजन समाप्त होने के चलते पटेल नगर निवासी अनिल शर्मा (49), विजय नगर निवासी देवेंद्र कुररिया (58), गाडरवारा नरसिंहपुर निवासी गोमती राय (65), नरसिंहपुर निवासी प्रमिला तिवारी (48) और छिंदवाड़ा निवासी आनंद शर्मा (47) की मौत हो गई थी। इस मामले में कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने संयुक्त कलेक्टर शाहिद खान की अगुवाई में जांच समिति गठित की थी।
कलेक्टर ने गैलेक्सी प्रबंधन से रेडक्रॉस के माध्यम से 25 लाख का ले लिया था दान
कलेक्टर ने 24 घंटे में रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था, लेकिन अस्पताल पर दरियादिली दिखाने वाला प्रशासन कार्रवाई करने में हीलाहवाली कर रहा था। और तो और जांच रिपोर्ट प्राप्त होने से पहले ही गैलेक्सी प्रबंधन से 25 लाख रुपए रेडक्रॉस में दान दिला कर मामला सेटल करने की तैयारी थी। दैनिक भास्कर ने 9 मई इससे संबंधित खबर के माध्यम से इस मामले को उठाया था। इस मामले में पूर्व सीएम कमलनाथ ने भी सोशल मीडिया के माध्यम से कई सवाल उठाए थे।
जांच प्रतिवेदन में चार बिंदुओं पर तय हुई लापरवाही
- अस्पताल में कोविड-19 के स्वीकृत संख्या से अधिक मरीजों को भर्ती किया गया था।
- रात में अस्पताल में कोई जिम्मेदार मैनेजर नहीं था।
- ऑक्सीजन सप्लाई करने के लिए नियुक्त ऑक्सीजन सुपरवाइजर प्रशिक्षित नहीं था।
- ऑक्सीजन के समय जब संक्रमित तड़पने लगे तो बजाय मदद के वहां मौजूद डॉक्टर व स्टाफ भाग गए।
- इन कारणों के चलते ही अस्पताल में भर्ती पांच संक्रमितों की मौत हुई थी।
17वें दिन पेश की गई रिपोर्ट
22 अप्रैल की देर रात अस्पताल में ऑक्सीजन समाप्त हो गई थी। सांस लेने में कठिनाई के बाद पांच मरीजों ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया था। प्रशासन ने समिति गठित कर 24 घंटे में घटना की जांच करने की बात कही थी, लेकिन 16 दिन तक खामोश रहे। इस बीच अस्पताल की ओर से रेडक्रास को 25 लाख रुपए दान दे दिया गया। 17वें दिन रविवार को किरकिरी के बाद देर रात रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी गई।