दिल्ली में ढलने लगी कोरोना की दूसरी लहर:अप्रैल के आखिरी हफ्ते में श्मशानों में रोजाना 700 लाशें आ रहीं थीं, अब यह संख्या करीब 450 हो गई है
हम फिलहाल दिल्ली की बात करते हैं। आंकड़े अभी भी सुकून देने वाले तो नहीं हैं, लेकिन फिर भी इन्हें देखकर यह उम्मीद की जा सकती है कि दूसरी वेव जल्द ही उतार पर होगी। अप्रैल के अंतिम हफ्ते में रोजाना 700 से ज्यादा अंतिम संस्कार हो रहे थे, वहीं मई के दूसरे हफ्ते में यह आंकड़ा गिरकर करीब 450 हो गया है।
दिल्ली के सीमापुरी श्मशान में पिछले 25 सालों से लाशों का दाह संस्कार करा रहे जितेंद्र सिंह शंटी भी इस बात की तस्दीक करते हैं। श्मशान में आ रही लाशों के बारे में पूछने पर वे भावुक हो जाते हैं, ‘रब भी न जाने क्या-क्या दिन दिखाएगा! पांच महीने की बच्ची का चेहरा मैं भूल ही नहीं पा रहा हूं। उसका नाम परी था। उसका पिता शव लेकर आया था। बिल्कुल मायूस। हमने उसको श्मशान घाट के सबसे शांत कोने में दफना दिया। पिता बस इतना बोला, पहला बच्चा था हमारा, इसे ऐसी जगह दफनाइएगा जहां इसे बिल्कुल भी चोट न लगे।’ जितेंद्र सिंह शंटी का गला यह बोलते-बोलते रुंध गया।
पांच मिनट के गैप के बाद उन्होंने कहा, ‘लेकिन अब चीजें कुछ सुधरती दिख रही हैं। पिछले 5-6 दिनों से शवों के आंकड़े घटने लगे हैं। 12 मई को सिर्फ 31 शव आए, जबकि 11 मई को 46 और 10 मई को 55 शव आए थे।’ शंटी कहते हैं कि अप्रैल में स्थिति बहुत डरावनी थी। वे कहते हैं, ‘अप्रैल में रोजाना औसतन 95-100 शव घाट में आ रहे थे। अप्रैल के आखिरी हफ्ते में तो एक दिन 118 लाशें आईं थीं, लेकिन बस… अब रब करम कर दे।’
दिल्ली के तीनों नगर निगमों के श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों में घटे शवों के आंकड़े
दिल्ली एमसीडी के आंकड़ों के मुताबिक 1 अप्रैल से लेकर 29 अप्रैल तक अंतिम संस्कार के लिए आने वाले शवों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई, लेकिन उसके बाद संख्या में कुछ कमी आने लगी। 10 मई तक घाटों में 14,000 कोविड संक्रमित मृत शरीरों का दाह संस्कार किया गया। हालांकि 1 मई से शवों की संख्या में कमी आ रही है।
ईस्ट दिल्ली के मेयर निर्मल जैन कहते हैं, ‘पिछले एक महीने से दिल दहला देने वाले आंकड़े सामने आ रहे थे, लेकिन पिछले करीब एक हफ्ते से कब्रिस्तानों और श्मशान घाटों में शवों की संख्या घटने लगी है। लग रहा है-दूसरी लहर का कहर थमने लगा है।’ साउथ दिल्ली की अधिकारी वंदना ने बताया, ‘आंकड़ों में काफी कमी देखी जा रही है। अगर अप्रैल के अंतिम हफ्ते से तुलना करें तो घाटों और कब्रिस्तान में आने वाले शवों का आंकड़ा 40-45 प्रतिशत तक कम हो गया है