Corona Effect: कफन का कारोबार बयां कर रहा है कोरोना वायरस की क्रूरता, गया में हर दिन बनाए जा रहे 50 हजार पीस
एक जानकारी के अनुसार पटवाटोली में हर दिन 40 से 50 हजार पीस कफन तैयार किए जा रहे हैं. इस काम में लगे लोगों का कहना है कि मार्च के बाद से कफन की मांग में भारी उछाल आया है.
Corona Effect in Bihar: पिछले एक साल से ज्यादा समय से देश कोरोना वायरस (Coronavirus) की मार झेल रहा है. कोविड 19 की दूसरी लहर 2020 से भी ज्यादा खतरनाक साबित हुई है. देश में जितनी तेजी से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं उतनी ही तेजी से लोगों की मौते हो रही है. कोरोना (Corona Crisis) ने देश में किस तरह से तबाही मचाई है इसका मंजर बिहार (Bihar News) और यूपी के जिलों में गंगा और यमुना नदी में बहती लाशों को देखकर लगाया जा सकता है.
भले ही सरकारें कोरोना से हो रही मौतों को कम दिखाने की कोशिश कर रही हैं लेकिन मरने वाले के शवों को कहां छुपाया जा सकता है. अधजली लाशें नदी बहकर बाहर आएंगी और कोरोना वायरस की क्रूरता (Corona virus cruelty) और उसके भयावह रूप की सच्चाई को बयां करेगीं. आलम यह हो गया है कि कोरोना की मार को देखने और इसकी डराने वाली सच्चाई के लिए किसी रिपोर्ट की जरूर नहीं है क्योंकि अब तो कफन (Kaphan Business) की संख्या ही यह बता रही है कि आंकड़ों और सच्चाई में कितना अंतर है.
हर दिन तैयार हो रहे 50 हजार पीस
बिहार के गया में कोरोना वायरस के चलते कफन के कारोबार में भारी उछाल आया है. तेजी से होती मौतों के कारण अचानक से कफन की डिमांड बढ़ गई है. अब बिहार में चादर और गमछे तैयार करने वाले बुनकर आजकल कफन बना रहे हैं. जहां फरवरी और मार्च के महीने में गया में 15-20 हजार कफन की हर दिन सप्लाई होती थी वहां अब बुनकर हर दिन लगभ 50 हजार कफन तैयार कर रहे हैं.
कफन के व्यवसाय में आई तेजी
एक तरफ कोरोना वायरस से लाखों लोगों की नौकरियां छिन गई. कई सारे व्यवसाय बंद हो गए. रोजगार घटते जा रहे हैं और बेरोजारों की तेजी से संख्या तेजी से बढ़ रही है. ऐसे बुरे दौर में अब कफना का एक व्यवसाय बचा है जहां मंदी की जगह तेजी दर्ज की गई है. इस व्यवसाय में लगे कामगारों का बोझ इतना बढ़ गया है कि उन्हें दिनभर में एक पल की फुरसत नहीं मिल रही है.
मशीनों के साथ-साथ हाथों से भी बन रहे कफन
गया का मानपुर के पटवा टोली में मुख्य रूप से कफन तैयार करने का काम होता है. यहां मशीनों और हाथों दोनों ही माध्यम से कफन बनाए जाते हैं. एक जानकारी के अनुसार पटवाटोली में हर दिन 40 से 50 हजार पीस कफन तैयार किए जा रहे हैं. इस काम में लगे लोगों का कहना है कि अप्रैल महीने से कफन की मांग में भारी उछाल आया है. काम इतना ज्यादा है कि अब लोग मशीन से ही नहीं हाथ से भी कफन तैयार कर रहे हैं.