13 साल सजा काटने के बाद दोषमुक्त, कोर्ट ने दिए तीन लाख क्षतिपूर्ति के आदेश

कोर्ट ने कहा शासन चाहे तो झूठे गवाहों से वसूल सकता है क्षतिपूर्ति। गुना के युवक को 2009 में सुनाई गई थी आजीवन कारावास सजा

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ की युगल पीठ ने एक दस साल से ज्यादा पुरानी अपील का निराकण करते हुए आरोपित को दोषमुक्त कर दिया। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि संवैधानिक जिम्मेदारियों के प्रति कोर्ट आंख बंद करके नहीं रख सकता। संविधान के अनुच्छेद 20 व 21 में मौलिक अधिकार दिए हैं, उनकी रक्षा करना कोर्ट की जिम्मेदारी है। एक व्यक्ति ने 13 साल जेल में सजा काटी है।

कोर्ट ने कहा कि इस मामले के जांच अधिकारी की जांच भी दोषपूर्ण रही है, इसलिए अपीलार्थी को शासन तीन लाख रुपये क्षतिपूर्ति अदा करे। यह राशि एक महीने में देनी होगी। शासन चाहे तो क्षतिपूर्ति की राशि उन गवाहों से वसूल कर सकता है, जिन्होंने झूठी गवाही दी थी। इसके अलावा अपीलार्थी को अलग से सिविल सूट दायर करने की स्वतंत्रता है। जो समय जेल में काटा है, उसकी भरपाई की अतिरिक्त मांग कर सकता है।

अधिवक्ता पवन विजयवर्गीय को रामनारायण का पक्ष रखने की जिम्मेदारी दी गई। वर्ष 2010 से अपील हाई कोर्ट में लंबित थी। हाई कोर्ट ऐसी अपीलों की सुनवाई कर रहा है, जिनके आरोपितों को जेल में बंद हुए दस साल या उससे अधिक हो चुके हैं। रामनारायण की अपील 10 साल से अधिक पुरानी है। 30 जुलाई 2021 को इस मामले में अंतिम बहस हुई। कोर्ट ने बहस के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। कोर्ट ने पाया कि अपीलार्थी बिना कारण 13 साल जेल में बंद रहा, इसलिए उसे दोषमुक्त कर दिया।

कोर्ट ने इन आधारों पर अपीलार्थी को किया दोषमुक्त

1- जसवंत की हत्या होने के बाद रामनारायण के भाई पप्पू ने आत्महत्या कर ली थी। उसको डर था कि अब उसे हत्या के आरोप में जेल जाना पड़ेगा। पप्पू व रामनारायण के पास काफी संपत्ति थी। पप्पू की पत्नी का भाई मिश्रीलाल पुलिस विभाग में था। उसकी मदद से रामनारायण को हत्या के मामले में फंसाने का षड्यंत्र रचा, ताकि उसके जेल जाने के बाद संपत्ति पर एकाधिकार हो जाए।

– रामनारायण का एफआइआर में नाम नहीं था। जांच के दौरान नाम जोड़ गया। जब हत्या हुई थी, तब अंधेरा था। बनवारी व कमलेशी ने रामनारायण को फर्सा ले जाते हुए देखा था। इस गवाही के आधार पर उसे आरोपित बना दिया गया।

– दो अन्य गवाह शिवराज व गजराज ने भी गवाही दी कि रामनारायण को फर्सा ले जाते हुए देखा था। इनकी गवाही में झूठ दिख रहा था। पुलिस जांच को भी दूषित माना। जांच अधिकारी ने सही से जांच नहीं की।

यह था मामला

गुना जिले के चाचौड़ा थाने में 20 दिसंबर 2008 को जसवंत की हत्या का मामला दर्ज हुआ था। रात आठ से नौ बजे के बीच हत्या की गई। मृतक के बेटा व बहू घर के अंदर सो रहे थे। जब चिल्लाने की आवाज आई तो बहू-बेटा बाहर आए। घर के बाहर अंधेरा था। चिमनी जलाई तो जसवंत खटिया पर खून में लथपथ पड़े थे। इस हत्या की एफआइआर के डर से पप्पू ने आत्महत्या कर ली थी। बाद में पप्पू के भाई रामनारायण मीणा को ही हत्या का आरोपित बना दिया।

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