लापरवाही:दमकल में 30% कर्मचारी ही ट्रेंड स्थायी हाइड्रोलिक ऑपरेटर भी नहीं, 80 प्रतिशत स्टाफ विनियमित और आउटसोर्स आधार पर कार्यरत
नगर निगम के दमकल विभाग में 140 कर्मचारी हैं। इनमें से 80 प्रतिशत स्टाफ विनियमित और आउटसोर्स आधार पर कार्यरत है। विनियमित कर्मचारियों को 12 हजार रुपए और आउटसोर्स पर कार्यरत स्टाफ काे 8 हजार रुपए महीना वेतन मिलता है। इनमें 45 वाहन चालक हैं, जो दमकल के 22 वाहनों को चलाते हैं।
इनमें से सिर्फ 30 प्रतिशत स्टाफ भोपाल में ट्रेनिंग लेकर आया है। इनके माध्यम से शेष स्टाफ को ट्रेनिंग दिलाने की बात कही जा रही है, लेकिन हकीकत ये है कि हाइड्रोलिक वाहन चलाने और प्लेटफॉर्म को आॅपरेट करने वालों को ट्रेनिंग नहीं मिली थी। निगम अफसर काम चलाने के लिए किसी भी चालक से हाइड्रोलिक वाहन से चलवा रहे थे। पूर्व निगम आयुक्त शिवम वर्मा ने 21 जून को दमकल विभाग से उपायुक्त डाॅ. अतिबल सिंह यादव को हटा दिया था। इससे दस दिन पहले नोडल अधिकारी केशव सिंह चौहान को भी हटा दिया गया था, तब से दोनों पद खाली हैं। तीन सहायक फायर अधिकारी ही पूरा दमकल को संभाल रहे हैं। इनके ऊपर सीधे अपर आयुक्त संजय मेहता हैं, जो मुख्यालय में बैठते हैं।
पहले सिर्फ घायल हुए निगमकर्मी
दमकल कर्मचारियों के साथ पहले भी घटनाएं हो चुकी हैं। शिवपुरी-श्योपुर में आई बाढ़ में मदद के लिए दमकल वाहन और नाव पहुंचाई गई थी। वहां से लौटकर वाहन और नाव पांच दिन पहले आई थी। दमकल वाहन के ऊपर रखी नाव को उतारते वक्त नरेश राठौर चालक चोटिल हो गए थे। दमकल स्टाफ का कहना है कि निगम ने कोई मदद नहीं की। चावड़ी बाजार में आग की घटना के दौरान कर्मचारी अजय कांदू के ऊपर पटिया आकर गिर पड़ी थी। इससे वह घायल हो गया था। वहीं दर्पण काॅलाेनी में हादसे में गाेविंद पाल की रीढ़ की हड्डी टूट गई थी।
कलेक्टर से मिले दमकल कर्मचारी
कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह के बुलावे पर 14 फायर ब्रिगेड कर्मचारी घटना के बाद कलेक्ट्रेट पहुंचे। उन्होंने कलेक्टर को बताया कि उन्हें हर काम आग, पानी, सफाई जैसे हर काम में लगा दिया जाता है पर सुविधाएं नहीं दी जाती हैं। अब तक उन्हें नियमित नहीं किया जा रहा है जबकि पद खाली हैं। निगम में न उनकी सुरक्षा के लिए व्यवस्था है न बीमा।