इंदौर में पुलिस पर पथराव, हवाई फायर:जमीनी विवाद को लेकर दो पक्ष भिड़े, डायल-100 के कांच फोड़े, SDOP, TI व बल पर भी बरसाए पत्थर, आधा दर्जन पुलिसकर्मी घायल
बड़गोंदा में बुधवार को जमीनी विवाद को लेकर दो पक्ष आपस में भिड़ गए। सूचना के बाद मौके पर पुलिस पहुंची। एक पक्ष के लोगों ने पुलिस पर ही हमला कर दिया। यहां डायल-100 पर पथराव भी किया गया, जिसमें कांच फूट गए। इस दौरान SDOP, TI व बल पर भी पत्थर बरसाए गए। इसमें 6 पुलिसकर्मी घायल हो गए। काबू पाने के लिए पुलिस को हवाई फायर भी करना पड़े।
मामला दोपहर महू तहसील मुख्यालय से करीब 18 किलोमीटर दूर मेढ़ के समीप आदिवासी बाहुल्य मार्ग रसानिया माल मोगरा घाटी का है। यहां ग्रामीण जितेंद्र कटारे और छोटेलाल भील के परिवार आमने-सामने हो गए। सूचना के बाद बड़गोंदा थाना क्षेत्र की डायल 100 मौके पर पहुंची। पुलिस वाहन में मौजूद पुलिसकर्मी कुछ समझते, उसके पूर्व ही डायल 100 पर एक पक्ष ने पथराव कर दिया। पायलेट ने समझदारी दिखाते हुए वाहन को रिवर्स मोड़ लिया। बावजूद, पथराव से ना सिर्फ डायल 100 के कांच फूट गए, बल्कि ASI व 3 जवानों को भी चोटें आईं।
इसके बाद SDOP विनोद शर्मा, किशनगंज थाना प्रभारी शशिकांत चौरसिया व एक दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी पहुंचे। इस दौरान 300 से अधिक लोग यहां इकट्ठा हो गए। इन लोगों ने पुलिस पर कार्रवाई के दौरान पथराव कर दिया। इसके बाद किशनगंज TI ने हवाई फायर किए, जबकि मौजूद पुलिसकर्मी भागे। बाद में यहां ASP पुनीत गेहलोत, SDOP विनोद शर्मा सहित अन्य थाना प्रभारी व भारी पुलिस बल पहुंचा, तब कहीं स्थिति को काबू किया गया।
इन पर हुई कार्रवाई
रीना बाई पति जितेंद्र की रिपोर्ट पर करण पिता सुखराम, मेघु पिता सुखराम, विजय पिता सुखराम और राजू बाई सहित अन्य पर केस दर्ज किया गया है, जबकि राजू बाई पति छोटेलाल भील की रिपोर्ट पर जिरावर, ईश्वर, जितेद्र, जादूसिंह आदि पर केस दर्ज किया गया है।
ये पुलिसकर्मी घायल हुए
घटना में ASI ओमप्रकाश स्वामी, प्रधान आरक्षक सुरेश परमार, प्रधान आरक्षक बाबूलाल पटेल, आरक्षक विजय चौहान व 100 डायल पायलेट विपिन पारवे सहित अन्य पुलिसकर्मी। हालांकि सभी कही स्थिति ठीक बताई जा रही है।
विवाद का कारण
सूत्रों के मुताबिक दोनों पक्षों में पिछले कई दिनों से जमीन विवाद को लेकर चला आ रहा है। दोनों ही पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ बड़गोंदा थाना में लिखित शिकायतें की है। बताया जाता है कि उक्त गांव में आदिवासियों ने करीब 75 बीघा वन भूमि पर कब्जा किया है।